बिहार से जुड़े नेपाल की अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर कोरोना वायरस को लेकर इन दिनों सघन जांच अभियान चल रहा है। 26 जनवरी से शुरू हुए इस अभियान के तहत अब तक 50 हजार से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है। राज्य में अब तक कुल 28 लोगों को कोरोना वायरस का संदिग्ध मरीज मानकर उन्हें घर में ही आइसोलेशन में रखा गया है। बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग को आशंका है कि नेपाल स्थित खुली सीमा के रास्ते कोरोना वायरस के मरीज बिहार में आ सकते हैं, क्योंकि नेपाल के एयरपोर्ट पर अभी भी चीन के विमानों की आवाजाही जारी है।
बिहार में राज्य स्वास्थ्य समिति से जुड़ी निगरानी इकाई की प्रमुख रागिनी मिश्रा ने डाउन टू अर्थ को बताया कि कोरोना वायरस के लिहाज से भारत-नेपाल की खुली सीमा को हमलोग बहुत संवेदनशील मानकर चल रहे हैं। बिहार के दस जिले दोनों देशों की सीमा से जुड़े हैं। इसलिए हमने इन सीमावर्ती इलाकों पर 49 स्थानों पर 26 जनवरी, 2020 से सभी आने वाले लोगों की स्क्रीनिंग शुरू की है, इस अभियान के तहत अब तक 50 हजार लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है।
रागिनी मिश्रा ने बताया कि इस स्क्रीनिंग के दौरान हमें अब तक सिर्फ एक संदिग्ध मिला है, जो सुपौल का रहने वाला है। उस व्यक्ति को उसके घर में ही आइसोलेशन में रखा गया है और स्वास्थ्य विभाग के कर्मी उसकी नियमित निगरानी रख रहे हैं। उसे 28 दिनों तक आइसोलेशन में रखा जायेगा।
उन्होंने बताया कि इसी तरह राज्य में अब तक कुल 28 लोग कोरोना वायरस के संदिग्ध मिले हैं, जिन्हें होम आइसोलेशन में रखा गया है। इनमें से दस लोगों के सैंपल हमने जांच के लिए भेजे थे, पांच के नतीजे आ गये और वे नेगेटिव हैं। पांच अन्य लोगों के नतीजे आने बाकी है।
रागिनी मिश्रा ने बताया कि इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग सीमावर्ती जिलों में पंचायती राज्य संस्थाओं के जरिये इस वायरस को लेकर जागरूकता अभियान भी चला रहा है और लोगों को बता रहा है कि इससे बहुत अधिक डरने की जरूरत नहीं है, पर बचाव और परहेज रखना जरूरी है।