प्रदूषण से भरा शहरी वातावरण बच्चों के विकास पर डाल रहा है बुरा असर: अध्ययन

अध्ययन में बचपन में बच्चों के विकास पर असर डालने वाले पर्यावरणीय खतरे के प्रमुख पहलुओं को बताया गया है, जैसे कि वायु एवं ध्वनि प्रदूषण, रसायन और धातु संबंधी खतरे।
फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, कोट्टक्कल नेट
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एक नए शोध में पाया गया है कि वायु और ध्वनि प्रदूषण, भीड़भाड़ तथा सीमित हरियाली वाली जगहें जीवन के शुरुआती दौर में बच्चों के विकास पर बुरा असर डाल सकते हैं।

यह अध्ययन ऑस्ट्रेलिया में सिडनी के यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी की अगुवाई में किया गया है। अध्ययन में 41 देशों के 235 शोधों का विश्लेषण किया गया है, जिसमें बचपन में विकास को प्रभावित करने वाले पर्यावरणीय खतरों के प्रमुख पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है।

जीवन के पहले 2000 दिन या शून्य से पांच वर्ष के बाद के जीवन में शारीरिक, ज्ञान संबंधी, सामाजिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर असर डालने वाली एक महत्वपूर्ण अवधि के रूप में पहचाना जाता है।

शोधकर्ताओं ने पब्लिक हेल्थ रिसर्च एंड प्रैक्टिस जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में कहा कि बच्चों के विकास के लिए महत्वपूर्ण अन्य खतरों में वातावरण, रासायनिक और धातु संबंधित खतरे, पड़ोस में निर्मित विशेषताएं, सामुदायिक समर्थन, आवास और रहने का वातावरण शामिल हैं।

शोध के निष्कर्ष शहरी जीवन के स्वास्थ्य के खतरों को समझने में मदद करते हैं, जो इन परिणामों को बेहतर बनाने के लिए शहरी वातावरण के डिजाइन और योजना को और अधिक अच्छा बनाने में मदद कर सकते हैं । क्योंकि इस बात की उम्मीद है कि 2030 तक, दुनिया की 60 प्रतिशत से अधिक आबादी शहरी क्षेत्रों में रहेगी।

इंस्टीट्यूट फॉर सस्टेनेबल फ्यूचर्स, यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी सिडनी की प्रमुख शोधकर्ता एरिका मैकइंटायर ने कहा, शहरी योजनाकारों और नीति निर्माताओं को उस भूमिका को पहचानने की जरूरत है जो रोजमर्रा के शहरी वातावरण स्वास्थ्य और कल्याण की नींव के रूप में प्रदान करते हैं।

अध्ययन में शहरी जीवन से संबंधित जिन चिंताओं की सबसे अधिक जांच की गई उनमें से एक वायु प्रदूषण था।

शोधकर्ताओं ने पाया कि वाहनों और उद्योगों से निकलने वाले पार्टिकुलेट मैटर या सूक्ष्म कण तत्व और विषाक्त पदार्थों जैसे प्रदूषकों के संपर्क में आने से अस्थमा जैसी सांस संबंधी समस्याओं के अलावा न्यूरोलॉजिकल विकास पर लंबे समय तक प्रभाव पड़ सकते हैं।

उन्होंने यह भी पाया कि पार्कों, बगीचों और प्राकृतिक परिवेश तक पहुंच की कमी छोटे बच्चों को महत्वपूर्ण संवेदी अनुभवों और अन्वेषण के अवसरों से वंचित कर सकती है, जिससे शारीरिक और ज्ञान संबंधी विकास प्रभावित हो सकती है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि निष्कर्षों ने शहरी डिजाइन के पहलुओं को बेहतर ढंग से समझने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला - जैसे कि हरियाली वाली जगहों तक पहुंच जो मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा दे सकता है, यह देखते हुए कि ये मुद्दे बच्चों और किशोरों में व्यापक रूप से बढ़ रहे हैं।

शोधकर्ता मैकइंटायर ने कहा, बच्चों के अनुकूल डिजाइनों को शामिल करना, अधिक हरियाली वाली जगहों की वकालत करना, शोर और प्रदूषण कम करने के उपाय, और पैदल चलने योग्य हिस्से जो शारीरिक गतिविधि को प्रोत्साहित करते हैं, ऐसे कुछ उपाय हैं जो बच्चों के स्वस्थ विकास के लिए अनुकूल वातावरण बनाने में मदद करते हैं।

इसके अलावा, शहरी जीवन की तेज-तर्रार प्रकृति अक्सर माता-पिता और देखभाल करने वालों को अलग-अलग और अभिभूत महसूस कराती है, जिससे स्वस्थ शिशु विकास के लिए महत्वपूर्ण चीजों का अभाव होता है। शोधकर्ताओं ने कहा, इस प्रकार, परिवारों को सामाजिक अलगाव और सीमित सामुदायिक समर्थन जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

मैकइंटायर ने कहा, पेरेंटिंग कक्षाएं, प्लेग्रुप और सामुदायिक केंद्र प्रदान करने वाले कार्यक्रम पेरेंटिंग की चुनौतियों से निपटने को बढ़ावा दे सकते हैं।

उन्होंने शहरी परिवेश में बच्चों के पालन-पोषण की चुनौतियों से निपटने के लिए आगे के शोध, नीति वकालत और सामुदायिक भागीदारी की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

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