प्लेग के खिलाफ ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने शुरू किया नए टीके का परीक्षण

यह टीका सीएचएडीओएक्स1 एडेनोवायरस वायरल वेक्टर प्लेटफॉर्म पर आधारित है, जिसका सफल उपयोग ऑक्सफोर्ड की कोरोनावायरस वैक्सीन में भी किया गया था
प्लेग के खिलाफ ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने शुरू किया नए टीके का परीक्षण
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प्लेग के उपचार के लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक नए टीके पर परीक्षण शुरू किया है जो अभी पहले चरण में है। यह टीका सीएचएडीओएक्स1 एडेनोवायरस वायरल वेक्टर प्लेटफॉर्म पर आधारित है। गौरतलब है कि इसका सफल उपयोग ऑक्सफोर्ड कोरोनावायरस वैक्सीन में भी किया गया था।

परीक्षण के लिए पहले चरण में  शोधकर्ता 18 से 55 वर्ष की उम्र के 40 स्वस्थ वयस्कों को यह नया टीका देंगें, जिससे इसके साइड इफेक्ट का आकलन किया जा सके और यह तय किया जा सके कि यह वैक्सीन सुरक्षात्मक एंटीबॉडी और टी सेल प्रतिक्रियाओं को कितनी अच्छी तरह से प्रेरित करती है। इस परीक्षण में अगले 12 महीनों तक उन लोगों की निगरानी की जाएगी जिन्हें ट्रायल स्वरुप यह वैक्सीन दी गई है। इसके बाद शोधकर्ता उन आंकड़ों का मूल्यांकन करेंगे और अपने नतीजों की रिपोर्ट तैयार करेंगें।    

ऑक्सफोर्ड वैक्सीन ग्रुप के निदेशक सर एंड्रयू पोलार्ड ने बताया कि, ‘कोरोनावायरस महामारी ने बैक्टीरिया और वायरस से होने वाले खतरे से बचाने के लिए टीकों के महत्व को साबित कर दिया है। पिछली कई सदियों में प्लेग दुनिया के सामने एक बड़ा खतरा था, जिसका प्रकोप आज भी समुदायों को डरा रहा है। ऐसे में प्लेग से बचाव के लिए एक नया टीका हमारे स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।‘

दुनिया में प्लेग का सबसे प्रसिद्ध उदाहरण 14वीं सदी में फैली प्लेग की बीमारी है, जिसे ब्लैक डेथ के नाम से जाना जाता है। संभवतः यह इतिहास की सबसे बड़ी वैश्विक महामारी थी, जिसने दुनिया भर में करोड़ों लोगों की जान ले ली थी। हालांकि दुनिया के अधिकांश हिस्सों में प्लेग का सफाया कर दिया गया है, फिर भी अफ्रीका, एशिया और अमेरिका के ग्रामीण इलाकों में भी हर साल इसके मामले सामने आते रहते हैं। 

प्लेग तीन अलग-अलग ब्यूबोनिक, न्यूमोनिक और सेप्टिकैमिक प्रकार के होते हैं। यदि इलाज न मिले तो ब्यूबोनिक प्लेग में 30 से 60 फीसदी मामलों में मृत्यु हो जाती है, जबकि न्यूमोनिक प्लेग लगभग हमेशा घातक होता है। वहीं सेप्टीसीमिया नामक रक्त के जानलेवा संक्रमण में ब्यूबोनिक और न्यूमोनिक दोनों ही तरह के प्लेग विकसित हो सकते हैं।

2010 से 2015 के बीच प्लेग के 3,248 मामले आए थे सामने

यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी आंकड़ों को देखें तो 2010 से 2015 के बीच प्लेग के 3,248 मामले सामने आए थे, जिनमें से 584 मरीजों की मौत हो गई थी। वहीं मेडागास्कर में अगस्त 2017 से नवंबर 2017 के बीच इसके 2,119 संदिग्ध मामले सामने आए थे जिनमें 171 लोगों की मौत हो गई थी। वर्तमान में इनका सबसे ज्यादा खतरा कांगो, मेडागास्कर और पेरू में है। 

इस बारे में ऑक्सफोर्ड वैक्सीन ग्रुप में वैक्सीनोलॉजी की एसोसिएट प्रोफेसर क्रिस्टीन रोलियर ने बताया कि, 'हालांकि प्लेग के इलाज के लिए एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन इसके प्रकोप का सामना करने वाले कई क्षेत्र बहुत ही दूर-दराज के क्षेत्रों में हैं। ऐसे में इसका एक प्रभावी टीका बीमारी से निपटने के लिए रोकथाम की एक सफल रणनीति पेश कर सकता है।'

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