हाल ही में किए एक शोध से पता चला है कि जो लोग मोटापे और वजन की समस्या से जूझ रहे हैं उनमें कोरोना के गंभीर संक्रमण का खतरा कहीं ज्यादा है| यही नहीं उन्हें इससे उबरने के लिए ऑक्सीजन और सांस सम्बन्धी उपायों का कहीं अधिक सहारा लेना पड़ता है| मर्डोक चिल्ड्रन रिसर्च इंस्टीट्यूट और द यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड द्वारा किया यह शोध जर्नल डायबिटीज केयर में प्रकाशित हुआ है|
इस शोध से जुड़े शोधकर्ता डेनिएल लोंगमोर ने बताया कि यह शोध मोटापे और कोरोना के बढ़ते बोझ के बीच सम्बन्ध को उजागर करता है| ऐसे में मोटापे में वृद्धि के लिए जिम्मेवार जटिल सामाजिक-आर्थिक कारको को नियंत्रित करने के लिए तुरंत रणनीतियां बनाने की जरुरत है| साथ ही जंक फूड के विज्ञापन पर प्रतिबंध लगाने जैसी सार्वजनिक नीतियों को अपनाने की जरुरत है| उनके अनुसार हालांकि अभी मोटापे को रोकने के लिए जो कदम उठाए जाएंगे, उसके कोविड-19 पर तत्काल प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है| वो संभवतः भविष्य में इस तरह की बीमारियों के बोझ को कम करने में मदद करेंगे| साथ ही इनसे ह्रदय रोग और स्ट्रोक जैसे बीमारियों के जोखिम को कम करने में मदद मिलेगी|
इस शोध में चीन, अमेरिका, इटली, दक्षिण अफ्रीका और नीदरलैंड सहित 11 देशों के अस्पतालों में सार्स-कोव-2 से संक्रमित रोगियों का अध्ययन किया गया है| इस शोध में शामिल 18 वर्ष से बड़े 7,244 रोगियों में से 34.8 फीसदी अधिक वजन और 30.8 फीसदी मोटापे से ग्रस्त थे|
शोध के दौरान जो रोगी मोटापे से ग्रस्त थे उन्हें ऑक्सीजन की ज्यादा आवश्यकता पड़ी थी, साथ ही 73 फीसदी को सांसे लेने के लिए मशीनों की मदद लेनी पड़ी थी| इसी तरह जो मरीज बढ़ते वजन की समस्या से भी ग्रस्त थे, उनमें भी इसी तरह की जरूरतें पड़ी थी| हालांकि शोध के दौरान अधिक वजन या मोटापे के चलते कोविड-19 से मरने वालों के बीच किसी तरह का सम्बन्ध नहीं देखा गया था|
जो लोग हृदय और सांस संबंधी बीमारियों से ग्रस्त हैं उनमें कोविड-19 से मरने का खतरा कहीं ज्यादा होता है| लेकिन उनमें ऑक्सीजन और मैकेनिकल वेंटिलेशन की जरुरत नहीं देखी गई थी| इसी तरह जो पहले से मधुमेह से ग्रस्त थे उन रोगियों में सांस लेने में बाधा देखी गई थी जिसके लिए मदद की जरुरत पड़ी थी| इसके अलावा मोटापे और मधुमेह से ग्रस्त मरीजों में किसी अन्य तरह के जोखिम में वृद्धि नहीं देखी गई थी|
महिलाओं की तुलना में पुरुषों में कोविड-19 की अधिक गंभीरता और मेकैनिकल वेंटिलेशन की आवश्यकता पड़ी थी| जबकि 65 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोगों में ऑक्सीजन और अस्पताल में उच्च मृत्युदर की सम्भावना कहीं अधिक थी|
बढ़ते वजन और मोटापे से ग्रस्त है दुनिया की 40 फीसदी आबादी
यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी आंकड़ों को देखें तो दुनिया में करीब 190 करोड़ व्यस्क बढ़ते वजन और 65 करोड़ मोटापे से ग्रस्त हैं| वहीं 2019 के आंकड़ों के अनुसार 5 वर्ष या उससे कम उम्र के 3.8 करोड़ बच्चे मोटापे या बढ़ते वजन की समस्या से जूझ रहे हैं|
यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड और इस शोध से जुड़ी शोधकर्ता किर्स्टी शार्ट के अनुसार वैश्विक स्तर पर देखें तो करीब 40 फीसदी लोग बढ़ते वजन या मोटापे की समस्या से ग्रस्त हैं| उन्होंने बताया कि मोटापा स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याओं की जड़ है| इससे ह्रदय और सांस सम्बन्धी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है| साथ ही यह इन्फ्लूएंजा, डेंगू और सार्स-कोव-1 के साथ अन्य गंभीर वायरल बीमारियों से भी जुड़ा है|
शार्ट के अनुसार इससे पहले भी शोधों में मोटापे और कोविड-19 की गंभीरता के बीच सम्बन्ध देखा गया था| पर इस शोध में हमने कई देशों में बड़े पैमाने पर इनके बीच के सम्बन्ध को देखा है| इस शोध से जुड़े प्रोफेसर डेविड बर्गनर के अनुसार फिलहाल विश्व स्वास्थ्य संगठन के पास इस तरह के कोई आंकड़ें नहीं हैं जिनसे बढ़ते वजन और मोटापे को कोविड-19 की गंभीरता के साथ जोड़ा जा सके| यह अध्ययन इसमें मदद कर सकता है| इससे यह फैसला लेने में मदद मिलेगी कि उच्च जोखिम वाले समूहों को वैक्सीन देने में प्राथमिकता दी जानी चाहिए|
यदि वैश्विक स्तर पर इस महामारी की गंभीरता को देखें तो अब तक दुनिया भर में 14 करोड़ से ज्यादा लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं, जबकि यह महामारी अब तक 30 लाख से भी ज्यादा लोगों की जान ले चुकी है| भारत में भी अब तक करीब 1.45 करोड़ लोग संक्रमित हो चुके हैं, वहीं यह अब तक 175,649 लोगों की जिंदगियां छीन चुका है|