कोरोना से जंग: एक करोड़ की आबादी वाले उत्तराखंड में केवल 590 नमूनों की जांच

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा है कि जरूरत पड़ने पर देहरादून और हल्द्वानी में 500 बेड के प्री-फैब कोरोना अस्पताल बनाए जा सकते हैं
चमोली के गोपेश्वर जिला अस्पताल का निरीक्षण करते राज्यमंत्री डॉ धन सिंह रावत। फोटो: वर्षा सिंह
चमोली के गोपेश्वर जिला अस्पताल का निरीक्षण करते राज्यमंत्री डॉ धन सिंह रावत। फोटो: वर्षा सिंह
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उत्तराखंड सरकार ने कोरोना के खतरे को देखते हुए कुछ जरूरी फैसले लिए हैं। बागेश्वर, चमोली, चंपावत, पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग, उधमसिंहनगर, टिहरी, उत्तरकाशी के जिला अस्पतालों, अल्मोड़ा बेस अस्पताल, दून मेडिकल कॉलेज, हरिद्वार मेला चिकित्सालय, हल्द्वानी का सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज, नैनीताल के बीडी पांडे अस्पताल, कोटद्वार के बेस अस्पताल और श्रीनगर मेडिकल कॉलेज को कोरोना के इलाज के लिए आरक्षित कर दिया गया है। 

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा है कि जरूरत पड़ने पर देहरादून और हल्द्वानी में 500 बेड के प्री-फैब कोरोना अस्पताल बनाए जा सकते हैं। इसके लिए दोनों जगह जिलाधिकारियों को 5 एकड़ ज़मीन चुनने को कहा गया है। देहरादून में निजी अस्पतालों की भी मदद ली जा रही है। एम्स ऋषिकेश और दून अस्पताल में 400-400 बेड कोरोना के मरीजों के लिए आरक्षित किए गए हैं। देहरादून के हिमालयन अस्पताल और महंत इंद्रेश अस्पताल में 200-200 बेड की व्यवस्था की गई है। आर्मी अस्पताल देहरादून में भी 200 बेड की व्यवस्था की गई है।

देहरादून के कोरोना नोडल अधिकारी दिनेश चौहान ने बताया कि जिले के सभी अस्पतालों में आइसोलेशन बेड बनाए गए हैं। जौलीग्रांट अस्पताल, महंत इंद्रेश अस्पताल और ऋषिकेश एम्स को भी सिर्फ कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित कर दिया गया है। इसके अलावा 100 बेड से अधिक वाले निजी अस्पतालों में 25 प्रतिशत वेंटिलेटर कोरोना मरीजों के लिए उपलब्ध कराने को कहा गया है। जबकि 100 बेड से कम वाले अस्पताल में 15 प्रतिशत तक वेंटिलेटर कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित किए गए हैं।

दून अस्पताल में कोरोना मरीजों के लिए अभी तीन वेंटिलेटर

दून अस्पताल में अभी कोरोनावायरस के मरीजों के लिए फिलहाल तीन वेंटिलेटर हैं। इसके अलावा 8-10 वेंटिलेटर भी कोरोना के लिए आरक्षित कर दिया जाएगा। चौहान ने बताया कि कोरोनावायरस की जांच किट दिल्ली-हरियाणा समेत अन्य राज्यों से मंगाई गई है और आइसोलेशन बेड वाले अस्पतालों में भेजी गई है। चौहान कहते हैं कि लॉकडाउन की वजह से दिक्कत आ सकती है लेकिन जरूरत पड़ने पर जांच किट दूसरे राज्यों से मंगाई जाएगी। 

उत्तराखंड को मिले 477 नए डॉक्टर 

डॉक्टरों की सख्त कमी से जूझ रहे राज्य को 477 नए डॉक्टर मिल गए हैं। उत्तराखंड मेडिकल सर्विस सलेक्शन बोर्ड के चेयरमैन डीएस रावत बताते हैं कि 637 डॉक्टरों का साक्षात्कार किया गया था। इनमें से  201 रेग्युलर डॉक्टरों को 31 मार्च को ज्वाइन करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। लॉकडाउन के चलते डॉक्टरों को दिक्कत न हो इसके लिए भी व्यवस्था की गई है। इसके अलावा कोविड-19 को देकते हुए सीनियर मेडिकल ऑफिसर की 562 खाली पोस्ट को एंट्री लेवल के मेडिकल ऑफिसर के स्केल पर भर्ती करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। इसमें से 276 डॉक्टरों का चयन कर एक अप्रैल को सरकार को भेज दिया गया है। बाकी पोस्ट के लिए नियुक्ति अभी होनी है। इसके साथ ही राज्य सरकार ने कहा है कि जरूरत पड़ने पर आयुर्वेद और होम्यपैथ डॉक्टरों की भी सेवाएं ली जाएंगी।

सीमित है जांच 

एक अप्रैल तक राज्य में कुल सात कोरोना पॉजिटिव मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से दो मरीज ठीक हो चुके हैं। लेकिन कोरोना की जांच की संख्या बेहद सीमित है। राज्य में अब तक कोविड-19 के कुल 590 जांच के नमूने भेजे गए हैं। एक अप्रैल तक इसमें 505 की रिपोर्ट नेगेटिव आई है जबकि 78 रिपोर्ट के नतीजे आने है। घर और प्रशासन की निगरानी में कुल 9650 लोगों को क्वारनटाइन किया गया है। इस दौरान उत्तरकाशी में दूसरे राज्य से गांव लौटे दो युवकों को गौशाला में क्वारनटाइन करने की खबर भी मिली। जबकि नैनीताल में क्वारनटाइन किये गए लोगों के बाहर घूमने की सूचना पर जिलाधिकारी ने शरीर पर निशान बनाए जाने की बात कही।

25 मार्च को सूचना दी गई थी कि राज्य के सरकारी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए 933 आइसोलेशन बेड और संस्थागत क्वारंटाइन के लिए 1,384 बेड की व्यवस्था की गई है। हालांकि अब इसमें नए अस्पताल जोड़े गए हैं। 8-10 वेंटिलेटर वाले दून अस्पातल में कोरोना पॉजिटिव मरीजों का इलाज चल रहा है। लेकिन एक करोड़ से अधिक आबादी वाले राज्य में ये इंतजाम पर्याप्त नहीं हैं।

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