कीटनाशक 2,4- डाइक्लोरोफिनॉक्सीएसिटिक एसिड (2,4-डी) दुनिया भर के अधिकतर देशों में सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला खरपतवार-नाशक में से एक है। 2012 में, 2,4-डी कृषि के अलावा और जगह भी सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला खरपतवार-नाशक था। इस अध्ययन का उद्देश्य लोगों के मूत्र बायोमार्कर में 2,4-डी कीटनाशक का पता लगाना था।
अब इसी क्रम में जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन के मुताबिक, एक बड़े सर्वेक्षण में तीन लोगों में से एक ने 2,4-डी नामक कीटनाशक के संपर्क में आने के लक्षण पाए गए। इस नए अध्ययन में पाया गया कि इस केमिकल का लोगों में खतरा बढ़ रहा है क्योंकि इसका कृषि उपयोग में वृद्धि हुई है। एक ऐसी खोज जो लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में चिंता पैदा करती है।
जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय के शोधकर्ता मार्लैना फ्रीस्टलर ने कहा हमारे अध्ययन से पता चलता है कि 2,4-डी कीटनाशक के सम्पर्क में काफी लोग आ रहे हैं। भविष्य में इसके और भी बढ़ने का अनुमान है। अत्यधिक इस्तेमाल किया जाने वाला खरपतवार-नाशक स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ा सकता है, खासकर छोटे बच्चों के लिए जो केमिकल के खतरों के प्रति बहुत संवेदनशील हैं।
मुख्य अध्ययनकर्ता फ़्रीस्टलर और उनके सहयोगियों ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य और पोषण परीक्षण सर्वेक्षण में प्रतिभागियों के मूत्र के नमूनों में पाए जाने वाले कीटनाशक के बायोमार्कर की खोज की। उन्होंने 2001 से 2014 तक सार्वजनिक और निजी कीटनाशकों के उपयोग के आंकड़ों का अध्ययन करके 2,4-डी कीटनाशक के कृषि उपयोग का अनुमान लगाया।
सर्वेक्षण में शामिल 14,395 प्रतिभागियों में से लगभग 33 फीसदी के मूत्र में 2,4-डी नामक कीटनाशक का स्तर पाया गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि 2001-2002 के अध्ययन की शुरुआत में इस कीटनाशक के मूत्र के स्तर के 17 फीसदी के निचले स्तर से दस साल बाद लगभग 40 प्रतिशत के उच्च स्तर पर पहुंच गया।
नए अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष:
जैसे-जैसे अध्ययन अवधि के दौरान खरपतवार का उपयोग बढ़ता गया, वैसे-वैसे लोगों के स्वास्थ्य पर भी खतरा बढ़ता गया।
6 से 11 वर्ष की आयु के बच्चों में 2,4-डी के संपर्क में आने का खतरा दोगुने से अधिक पाया गया।
इसके अलावा, मां बनने की उम्र की महिलाओं में समान आयु वर्ग के पुरुषों की तुलना में खतरे बढ़ने का जोखिम लगभग दोगुना पाया गया।
निकट भविष्य में लोगों में खतरे और भी अधिक बढ़ने के आसार हैं क्योंकि इस खरपतवार का उपयोग लगातार बढ़ रहा है।
2,4-डी कीटनाशक 1940 के दशक में विकसित किया गया था और जल्द ही उन किसानों के लिए एक लोकप्रिय खरपतवार-नाशक बन गया जो फसल की पैदावार बढ़ाना चाहते थे। इस केमिकल के उच्च स्तर के संपर्क से कैंसर, प्रजनन समस्याओं और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से जोड़ा गया है।
जबकि वैज्ञानिकों को यह नहीं पता है कि खरपतवार के कम स्तर के संपर्क का क्या प्रभाव हो सकता है, वे जानते हैं कि 2,4-डी कीटनाशक से शरीर में हार्मोन या अन्य उत्पादों को सीधे रक्त में स्रावित कर देता है। इस अध्ययन से पता चलता है कि मां बनने की उम्र की महिलाओं को इस कीटनाशक का अधिक खतरा होता है।
बच्चों के इस खरपतवार-नाशक के सम्पर्क में आने तथा जहां इसका उपयोग किया गया हो वहां नंगे पैर खेलने के बाद अपने मुंह में हाथ डालते हैं जो उनके लिए खतरनाक हो सकता है। लोगों के सोयाबीन आधारित खाद्य पदार्थों को खाने और सूंघने के माध्यम से भी इस कीटनाशक से खतरा हो सकता है।
शोधकर्ताओं के अनुसार, जीएमओ सोयाबीन और कपास पर अब 2,4-डी के व्यापक उपयोग से हवा में 2,4-डी की गति बढ़ जाती है, जो अधिक लोगों को इस केमिकल के संपर्क में ला सकती है।
पर्यावरण और व्यावसायिक स्वास्थ्य के प्रोफेसर और अध्ययनकर्ता मेलिसा पेरी ने कहा आगे के अध्ययन से यह निर्धारित होना चाहिए कि 2,4-डी का बढ़ता खतरा मानव स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है? खासकर जब खतरा जीवन में जल्दी होता है। इस कीटनाशक के संपर्क में आने के अलावा, बच्चे और अन्य कमजोर समूह भी अन्य कीटनाशकों के संपर्क में आ रहे हैं और ये केमिकल स्वास्थ्य समस्याओं को पैदा करने के लिए जिम्मेवार हो सकते हैं।
उपभोक्ता जो कीटनाशकों के संपर्क से बचना चाहते हैं, वे जैविक रूप से उगाए गए खाद्य पदार्थ खरीद सकते हैं, जिनकी खरपतवार नाशकों के साथ उगाए जाने की संभावना कम है। शोधकर्ताओं ने कहा कि वे अपने खेत या बगीचे में 2,4-डी या अन्य कीटनाशकों के उपयोग से भी बच सकते हैं। यह अध्ययन एनवायर्नमेंटल हेल्थ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है