अगर बढ़ते वजन और मोटापे पर अभी ध्यान न दिया गया तो 2035 तक दुनिया हर दूसरा इंसान यानी करीब 51 फीसदी आबादी इस समस्या से जूझ रही होगी। यह जानकारी कल वर्ल्ड ओबेसिटी फेडरेशन द्वारा जारी रिपोर्ट “वर्ल्ड ओबेसिटी एटलस 2023” में सामने आई है।
यदि आंकड़ों की बात करें तो इन आने वाले वर्षों में करीब 400 करोड़ लोग मोटापे और बढ़ते वजन की समस्या से ग्रस्त होंगें। रिपोर्ट के मुताबिक 260 करोड़ लोग पहले ही इस समस्या से जूझ रहे हैं।
रिपोर्ट से पता चला है कि बच्चों में यह समस्या तेजी से बढ़ रही है, जो चिंता का विषय है। इतना ही नहीं जहां पहले यह माना जाता था कि विकसित देशों में यह समस्या कहीं ज्यादा गंभीर है वहीं आंकड़े दर्शाते हैं कि भारत जैसे विकासशील देशों में भी यह समस्या तेजी से फैल रही है। अनुमान है कि अफ्रीका और एशिया में निम्न या मध्यम आय वाले देशों में यह समस्या बड़ी तेजी से बढ़ सकती है।
यदि इससे होने वाले आर्थिक नुकसान को देखें तो वो करीब 353 लाख करोड़ रुपए (4,32,000 करोड़ डॉलर) आंका गया है। देखा जाए तो यह वैश्विक जीडीपी के करीब तीन फीसदी के बराबर है। जो करीब-करीब 2020 में कोविड-19 के प्रभाव जितना ही है।
वहीं यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी आंकड़ों को देखें तो दुनिया भर में 200 करोड़ लोग पहले ही बढ़ते वजन और मोटापे की समस्या से ग्रस्त हैं। पता चला है कि 18 वर्ष से ज्यादा उम्र के करीब 39 फीसदी लोग बढ़ते वजन जबकि 13 फीसदी मोटापे से पीड़ित हैं। आंकड़ों की मानें तो 1975 के बाद से दुनिया भर में मोटापे की यह समस्या बढ़कर करीब तीन गुणा हो गई है।
ऐसा नहीं है कि बच्चों मे यह समस्या नहीं है। डब्लूएचओ के मुताबिक 2020 में पांच वर्ष से कम आयु के करीब 3.9 करोड़ बच्चे बढ़ते वजन और मोटापे का शिकार थे। इसी तरह पांच से 19 वर्ष की आयु के 34 करोड़ बच्चों और युवाओं में यह समस्या देखी गई थी। डब्लूएचओ का अनुमान है कि यदि यह आंकड़ा ऐसे ही बढ़ता रहा तो 2025 तक मोटापे और बढ़ते वजन का शिकार 16.7 करोड़ लोगों में स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं पैदा हो जाएंगी।
इंपीरियल कॉलेज लंदन द्वारा किए एक अध्य्यन में सामने आया है कि पिछले चार दशकों में वैश्विक स्तर पर मोटापे से ग्रस्त बच्चों और किशोरों (5 से 19 वर्ष) की संख्या दस गुणा बढ़ चुकी है।
ऐसा नहीं है कि भारत इस समस्या से बचा हुआ है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस -5) के आंकड़ों से पता चला है कि पिछले पांच वर्षों के दौरान देश में महिलाओं और पुरुषों दोनों में मोटापे की समस्या चार फीसदी बढ़ चुकी है। देश में जहां 24 फीसदी महिलाएं बढ़ते वजन और मोटापे का शिकार हैं, वहीं पुरुषों में यह आंकड़ा 22.9 फीसदी दर्ज किया गया है।
13 तरह के कैंसर को दावत देता है मोटापा
जैसे-जैसे इंसान के शरीर में अतिरिक्त वसा जमा होने लगता है मोटापे की समस्या भी बढ़ती जाती है। इसके चलते शरीर में अंगों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। शरीर में असंतुलन के चलते स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचता है। इससे कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। रिसर्च से पता चला है कि बढ़ते मोटापे से मृत्यु का जोखिम 91 फीसदी तक बढ़ सकता है। इतना ही नहीं अध्ययन में यह भी सामने आया है कि हाई बॉडी मास इंडेक्स वाले लोगों में मृत्यु दर्ज ज्यादा होती है।
अधिक वजन और मोटापे से ग्रस्त लोगों में हृदय की बीमारी, हाई ब्लड प्रेशर, फैटी लिवर और डायबिटीज जैसे विकारों का जोखिम ज्यादा रहता है। इसके साथ ही खराब जीवनशैली और खानपान पर ध्यान न देने के कारण होने वाली यह समस्या 13 तरह के कैंसर की वजह बन सकती है।
विशेषज्ञों की मानें तो इसके लिए कहीं न कहीं बदलती जीवनशैली और गलत खानपान जिम्मेवार हैं। आज लोग स्वादिष्ट खाने के चक्कर में पोषण को पीछे छोड़ते जा रहे हैं। इस समस्या से बचने का बड़ा ही सरल उपाय संतुलित आहार और नियमित व्यायाम है। साथ ही जीवनशैली में सुधार भी इस समस्या को दूर करने में काफी हद तक मददगार हो सकता है।
ऐसे में यह जरुरी है कि हम स्वयं जंक फूड और ज्यादा तले भोजन के मायाजाल से बचें और बच्चों को भी इनसे दूर रखने की कोशिश करें। अपने साथ अपने बच्चों को खुली हवा में घूमने की सलाह दें, उनमें ऑनलाइन गेम और टीवी की आदतों को कम करके पार्कों में खेलने के लिए प्रेरित करें।
देखा जाए तो यह कोई ऐसी बीमारी नहीं है, जिसका इलाज दवाओं में है। यह ऐसी बीमारी है, जिसका उपचार हमारे अपने पास है। बस अपना खानपान और जीवनशैली बदलिए और जीवन में पॉजिटिव बदलावों के लिए तैयार हो जाइए।