अब निजी प्रयोगशालाओं में हो सकेगी कोरोनावायरस की जांच

देश में अभी तय लक्षण के आधार पर ही जांच होगी।भारत ने जांच बढ़ाने के डब्ल्यूएचओ के सुझाव को नकार दिया है
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केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने तय किया है कि उच्च गुणवत्ता वाले निजी प्रयोगशालाओं को भी नावेल कोरोनावायरस (कोविद 19) की जांच की अनुमति होगी।

भारतीय आयुर्विज्ञान शोध परिषद (आईसीएमआर) के निदेशक बलराम भार्गव का कहना है कि निजी प्रयोगशालाओं को जांच की अनुमति तो दी गई है, लेकिन अभी भी सरकारी प्रयोगशालाओं का उपयोग क्षमता से कम ही हो रहा है। भार्गव कहते हैं कि कई निजी प्रयोगशालाओं ने सरकार से देश की सेवा करने की इच्छा जताई थी, इसलिए यह निर्णय लिया गया। भार्गव से सरकारी प्रयोगशालाओं में क्षमता होने के बावजूद उसके अनुरूप जांच के नमूने न मिलने के बाद भी निजी प्रयोगशालाओं को जांच की अनुमति देने की वजह पूछे जाने पर यह जवाब दिया। 

भार्गव इस निजी क्षेत्र की संस्थाओं से कोरोना वायरस की जांच मुफ्त में करने की अपील की। वह कहते हैं कि निजी प्रयोगशालाओं ने आगे आकर सरकार की मदद करने की बात कही थी, तो यह जांच उन्हें मुफ्त में ही करना चाहिए। हालांकि उन्होंने कहा कि यह महज एक अपील है, न कि जरूरी आदेश। न ही इन जांचों की शुल्क तय की गई है न ही सरकार निजी संस्थान में जांच में आने वाले खर्च को वहां करेगी। मंत्रालय के मुताबिक इस वक्त कोरोना वायरस के पहली जांच के 1500 रुपए और उसको सुनिश्चित करने के लिए दूसरी जांच के लिए 3000 रुपए का खर्च आता है। सरकार की प्रयोशालाओं में यह जांच निशुल्क हो रही है।  

निजी प्रयोगशालाओं को जांच शुरू करने से नेशनल अस्क्रेडिटेशन बोर्ड फोर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लैबोरेट्रीज क्वालिटी से तीन विशेष तरह के नमूने हासिल करने होंगे जो कि इस जांच के किट का महत्वपूर्ण अंग है।

किसकी जांच हो सकेगी?
आईसीएमआर ने एकबार फिर इस बात पर जोर दिया कि यह जांच सिर्फ उन्हीं की हो सकेगी जिनका या तो कोई अंतरराष्ट्रीय यात्रा का हालिया इतिहास हो, या संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आये हों, या फिर उनमें इस संक्रमण के लक्षण हों। अगर किसी डॉक्टर को मरीज में कोविद 19 के लक्षणों के साथ सांस लेने में तकलीफ दिखे और मौजूदा दवाओं का असर न हो रहा हो तो ऐसी स्थिति में क्या वह उसकी जांच करवा सकेगा? इस सवाल के जवाब में दिल्ली आईसीएमआर के एपिडेमोलॉजी यूनिट के प्रमुख आर गंगाखेड़कर कहते हैं कि ऐसे मरीजों को भी जांच की अनुमति नहीं होगी। वे जांच के मामले में अंधाधुंध परीक्षण से बचना चाहते हैं।   

यह महत्वपूर्ण है क्योंकि डब्ल्यूएचओ के आपात कार्यक्रम के निदेशक माइक रयान ने पिछले सप्ताह एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि एक चिकित्सक को जांच के मामले में अपने फैसले लेने अनुमति दी जानी चाहिए क्योंकि कई संक्रमण के मामले जांच के बिना ही रह सकते है।  भारत में भी कई विशेषज्ञ कहते रहे हैं कि सरकार को समान आधार पर परीक्षण मानदंडों का विस्तार करना चाहिए।

हालांकि, सरकार का मानना है कि चूंकि भारत में संक्रमण का 'सामुदायिक प्रसार' नहीं हो रहा है, इसलिए परीक्षण मानदंडों के विस्तार की आवश्यकता नहीं है। वर्तमान में, केवल 'स्थानीय प्रसार' है।

स्थानीय प्रसार का मतलब हुआ केवल वही मामले सामने आ रहे जिसमें व्यक्ति का यात्रा का हालिया इतिहास हो और संक्रमण रोग प्रभावित क्षेत्र की यात्रा के बाद हुआ हो। सामुदायिक प्रसार इसके बाद कि स्थिति है जहां वे लोग भी संक्रमण का शिकार होने लगते हैं जिनका न को यात्रा का इतिहास है न ही वे किसी रोगी के संपर्क में आए।

आईसीएमआर का कहना है कि ऐसे लोग जिनको सांस में तकलीफ थी, उनके नमूने परीक्षण कर लिए प्रयोगशाला में लाए गए थे, लेकिन लगभग ज्यादातर मामलों में संक्रमण नहीं पाया गया। देशभर के 51 प्रगोगशालाओं में 20 या उससे अधिक ऐसे नमूने की जांच की गई। इस वक्त सामुदायिक स्तर पर संक्रमण नहीं फैल रहा है। इसलिए सांस में तकलीफ होने के बावजूद अगर किसी का विदेश यात्रा का इतिहास नहीं तो जांच की जरूरत नहीं है। 

हालांकि यह सवाल उठता है कि प्रति प्रयोगशाला 20 से कम नमूने वह भी सरकारी अस्पताल के ही, की जांच के आधार पर इतने बड़े देश के लिए सामुदायिक संक्रमण न होने जैसा नतीजा निकलना उचित है। इस बात के जवाब में गंगाखेड़कर कहते हैं कि सरकारी प्रयोगशाला नमूनों की लगातार जांच कर रहा है और उन्हें इस वक्त जांच का दायरा बढ़ाने की जरूरत महसूस नहीं हो रही है। 

भार्गव ने यह भी कहा कि आईसीएमआर ने 16 मार्च को विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रोस घेब्रेयस के बयान पर एक निवेदन प्रस्तुत किया है, जिन्होंने कहा कि परीक्षण, परीक्षण, परीक्षण केवल इस महामारी को नियंत्रित करने के लिए मंत्र था। भार्गव कहते हैं कि इस मंत्र को देते समय उन्हें यह भी कहना चाहिए था कि जिन देशों में स्थानीय प्रसार नहीं हो रहा वहां के लिए यह लागू नहीं होता।

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