वैज्ञानिकों ने मलेरिया से निपटने का एक नया उपाय खोज निकला है| जिसके अंतर्गत वो मच्छरों के जीन में बदलाव कर देंगें| जीन में हुआ यह बदलाव मादा मच्छरों को जन्म लेने से रोक देगा| इस तकनीक की मदद से केवल नर मच्छरों को ही जन्म लेने और पनपने दिया जायेगा| जिसकी मदद से इन मच्छरों की आबादी को नियन्त्रित किया जा सकता है| गौरतलब है कि मलेरिया फैलाने में मादा मच्छर का हाथ होता है| यह शोध इंपीरियल कॉलेज लंदन के नेतृत्व में एक टीम द्वारा किया गया था| जोकि अंतराष्ट्रीय जर्नल नेचर बायोटेक्नोलॉजी में प्रकाशित हुआ था|
जिसमें उन्होंने 'जीन ड्राइव' नामक तकनीक का उपयोग किया था| इस तकनीक की मदद से शोधकर्ताओं ने एनोफिलिस गाम्बिया मच्छरों की जीन में ऐसे परिवर्तन कर दिए कि जिसकी वजह से केवल नर मच्छरों की ही उत्पत्ति संभव हो सके| जबकि मादा मच्छर को न पैदा होने दिया जाये| वैज्ञानिकों का मानना है कि इस तकनीक की मदद से मछरों की आबादी को नियंत्रित किया जा सकता है| यह पहला मौका है जब जीन ड्राइव तकनीक की मदद से किसी एक लिंग के जीव को पैदा होने से रोकने में सफलता हासिल हुई है| गौरतलब है कि दुनिया भर में मच्छरों की करीब 3,500 प्रजातियां पायी जाती हैं| जिनमें से 40 ऐसी हैं जो मलेरिया फैला सकती हैं|
दुनिया भर में मलेरिया की समस्या कितनी गंभीर है उसका अंदाजा आप इस बात से ही लगा सकते हैं कि अकेले 2018 में मलेरिया के करीब 22.8 करोड़ मामले सामने आये थे| जबकि इसके चलते 4.05 लाख से ज्यादा लोगों की मृत्यु हो गयी थी| यह आंकड़ें विश्व स्वस्थ्य संगठन द्वारा जारी किये गए थे| साथ ही 5 वर्ष से कम आयु के बच्चे मच्छरों का आसान शिकार होते हैं| यही वजह है कि मलेरिया के कुल सामने आये मामलों में से करीब 67 फीसदी (2,72,000) मामले बच्चों में ही सामने आये हैं| दुनिया भर में मलेरिया के करीब 93 फीसदी मामले अफ्रीका में सामने आये थे, जबकि उनसे होने वाली 94 फीसदी मौतें भी अफ्रीका में ही हुई थी|जोकि एक चिंता का विषय है|
शोध के अनुसार आमतौर पर मच्छर की उम्र 20 से 22 दिनों की होती है| ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर में मादा मच्छर ही क्यों काटती है नर क्यों नहीं, क्योंकि भोजन की जरुरत तो दोनों को ही पड़ती है| सामान्यतः नर मच्छर शाकाहारी होते हैं, वो पेड़ पौधों का रस पीकर जिन्दा रह सकते हैं, पर चूंकि मादा मच्छर अण्डों को जन्म देती है और उनके विकास और पोषण के लिए उसे रक्त की जरुरत होती है| अपनी इस जरुरत को पूरा करने के लिए वो इंसानों को अपना शिकार बनाती है| जिसके साथ-साथ वो मलेरिया के परजीवियों को भी इंसानी रक्त में छोड़ देती है|
क्योंकि यह जीन ड्राइव तकनीक मादा मच्छरों के जन्म को रोक देती है ऐसे में मलेरिया के फैलने को भी रोका जा सकता है| ऐसे में यह तकनीक मलेरिया को रोकने में कारगर सिद्ध हो सकती है| हलांकि यह प्रयोग लैब में किया गया था| जिसमें नियंत्रित रूप से मच्छरों की आबादी पर किया गया था| इसलिए इन मॉडिफाइड मच्छरों को खुले में छोड़ने से पहले उनके सभी पहलुओं को समझना जरुरी है और उसपर और अधिक प्रयोग करने की आवश्यकता है|