भारत में नया बीएमआई लागू, वजन में 5 किग्रा की वृदि्ध

अगर किसी व्यक्ति का बॉडी मास इंडेक्स निर्धारित मानक से ज्यादा होता है तो वो शरीर के लिए सही नहीं माना जाता है।
Photo: PickPik
Photo: PickPik
Published on
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की संस्था आईसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन ने देश में महिला और पुरुष के लिए आदर्श वजन और आदर्श लंबाई में बदलाव किया है। यानी कि देश का बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) बदल गया है।

बीएमआई से यह पता लगाया जाता है कि किसी व्यक्ति के शरीर के हिसाब से उसका वजन और लंबाई कितनी होनी चाहिए। अगर किसी व्यक्ति का बॉडी मास इंडेक्स निर्धारित मानक से ज्यादा होता है तो वो शरीर के लिए सही नहीं माना जाता है।

नए नियमों के मुताबिक, अब तक पुरुष का आदर्श वजन 60 किलोग्राम था, जिसे अब बढ़ा कर 65 किलोग्राम कर दिया गया है। जबकि महिलाओं का आदर्श वजन अब 50 की बजाय 55 किलोग्राम माना जाएगा।

वहीं, पुरुषों की आदर्श लंबाई 5 फुट 6 इंच से बढ़ाकर 5 फुट 8 इंच कर दी गई है, जबकि महिलाओं की आदर्श लंबाई 5 फुट की बजाय अब 5 फुट 3 इंच मानी जाएगी।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन (एनआईएन) ने "न्यूट्रिएंट रिक्वायरमेंट फॉर इंडियंस, रिकमंडेड डायटरी अलाउंसेस" रिपोर्ट जारी की है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 1989 की विशेषज्ञ कमेटी ने शरीर के आदर्श वजन और लंबाई के बारे में कमेटी ने सिफारिश वक्त केवल बच्चों और किशोरों का ही वजन और लंबाई को शामिल किया गया था और जब 2010 में दूसरी कमेटी देश के केवल 10 राज्यों को ही शामिल किया था।

एनआईएन ने महिलाओं और पुरुषों की रेफरेंस एज में भी बदलाव किया है। यह अब तक 20-39 थी, इसे अब 19-39 कर दिया गया है।

बीएमआई में बदलाव का कारण बताया गया है, क्योंकि भारतीयों के पोषक खाद्य तत्वों के सेवन में वृद्धि हुई है। इस बार जो सर्वे किया गया है, उसमें ग्रामीणों को भी शामिल किया गया है। 2010 में किए गए सर्वे में केवल शहरी क्षेत्रों को ही शामिल किया गया था।

इस नए सर्वे में वैज्ञानिकों के पैनल ने पूरे देश का डाटा शामिल किया है। साथ ही, फाइबर आधारित एनर्जी पोषक तत्वों का भी ध्यान रखा गया है।

शहरी वयस्कों में वसा की मात्रा अधिक

एक दूसरी रिपोर्ट में एनआईएन ने कहा है कि भारत के शहरी क्षेत्रों में रह रहे वयस्क लोग गांवों की तुलना में अधिक वसा (फेट) का सेवन कर रहे हैं।

"व्हाट इंडिया इट्स" यानी कि भारत क्या खाता है नाम के इस सर्वेक्षण में पाया गया कि शहरी भारत का एक वयस्क औसतन एक दिन में 51.6 ग्राम वसा का सेवन करता है। जबकि ग्रामीण क्षेत्र में रह रहा एक वयस्क औसतन केवल 36 ग्राम वसा का सेवन करता है।

इस रिपोर्ट में वसा को दो समूहों में वर्गीकृत किया गया है। एक, दृश्यमान (दिखाई देने वाले) या इसे अतिरिक्त वसा भी है। इसमें श्रेणी में ऐसा तेल और वसा होता है, जो भोजन तैयार करने के लिए उपयोग किया जाता है या तले हुए भोजन में उपयोग किया जाता है और मांस और मुर्गी से प्राप्त वसा भी शामिल होती है। दूसरी श्रेणी अदृश्य वसा है, जिसमें चावल, दाल, नट और तिलहन से वसा या तेल शामिल हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, शहरी वयस्कों के खाने में दृश्यमान वसा की मात्रा 29.5 ग्राम है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे वयस्कों के खाने में दृश्यमान वसा की मात्रा 16.5 ग्राम है। सरकारी सिफारिश के अनुसार, कुल वसा या तेल में दृश्यमान वसा की मात्रा 50 फीसदी से अधिक नहीं होनी चाहिए, जबकि बाकी वसा की मात्रा बादाम, तिलहन और दालों से मिलनी चाहिए, जिसे अदृश्य वसा की श्रेणी में रखा जाता है।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in