दुनिया भर के 18 देशों की 61 खानों में काम करने वाले करीब 4000 खनन मजदूर कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं| यह जानकारी एक नयी रिपोर्ट में सामने आई है| जिसे माइनिंग वाच नामक संस्था ने कंसोर्टियम ऑफ़ इंटरनेशनल आर्गेनाईजेशन के साथ मिलकर तैयार किया है| इस रिपोर्ट में खनिकों के जरिये माइंस के आसपास के इलाकों में कोरोनावायरस के फैलने की आशंका जताई गई है|
इसके साथ ही रिपोर्ट में कई उदाहरणों के जरिये इस बात को भी स्पष्ट किया ही कि किस तरह यह माइनिंग कंपनियां कोरोनावायरस की आड़ में अपने खिलाफ हो रहे विरोधों को दबाकर ज्यादा से ज्यादा माइनिंग को बढ़ावा दे रहीं हैं| जिससे भविष्य में वो ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमा सकें| इसके साथ ही यह भी बताया गया है कि किस तरह कंपनियां महामारी का उपयोग अपनी धूमिल छवि को साफ सुथरा दिखाने के लिए कर रही हैं| साथ ही वो मौके का फायदा उठाकर नियमों में भी बदलाव के लिए दबाव डाल रही हैं|
रिपोर्ट के अनुसार माइनिंग साइट्स कोरोनावायरस की हॉटस्पॉट बनते जा रही हैं| जिनसे न केवल खनिकों बल्कि आसपास के इलाकों में भी कोरोनावायरस के फैलने का खतरा बढ़ गया है| जोकि पहले से ही इन खानों से हो रहे प्रदूषण के चलते अन्य बीमारियों का दंश झेल रहे हैं| हालांकि रिपोर्ट के अनुसार यह जो आंकड़ें सामने आये हैं वो बहुत छोटे सैंपल को दिखाते हैं| वास्तविकता में इन आंकड़ों से कहीं ज्यादा खनिक कोरोना संक्रमित हो सकते हैं, क्योंकि परिक्षण की कमी, मामलों को रिपोर्ट न किया जाना ऐसे कई कारण हैं जिनके चलते सही आंकड़ें सामने नहीं आये हैं|
जब दुनिया भर में लॉकडाउन कर दिया गया था| उस समय भी माइनिंग कंपनियों और कई देशों ने खनन को 'आवश्यक' घोषित करके लॉकडाउन के समय में भी खनन का काम जारी रखा था| जिससे ने केवल उन माइंस में काम करने वालों की जिंदगियों को खतरे में डाला गया बल्कि माइंस के आसपास के इलाकों पर भी संक्रमण के फैलने का खतरा बढ़ गया था| कई जगह पर पहले ही इन खानों के आसपास रहने वाले लोग इन माइंस से हो रहे प्रदूषण का असर झेल रहे हैं| ऐसे में कोरोनावायरस ने इनकी समस्यों को और बढ़ा दिया है|
यदि संक्रमण से जुड़े आंकड़ों पर गौर करें तो सबसे ज्यादा 1476 मामले पोलैंड में सामने आये हैं| इसके बाद रूस में 868, पेरू में 755, साउथ अफ्रीका में 224 और ब्राज़ील में 208 मामले सामने आये हैं| पनामा (106), इंडोनेशिया (102), चेक रिपब्लिक (82), कनाडा (74), मेक्सिको (54), चिली (16), इक्वेडोर (10), माली (10), अमेरिका (10), अर्जेंटीना (3), घाना (1), बुर्किना फासो (1), कोलंबिया (1) में मामले सामने आये हैं| यह विश्लेषण फील्ड रिपोर्टस, 500 से ज्यादा मीडिया रिपोर्ट की समीक्षा और सिविल सोसाइटी के बयानों और उनके विश्लेषण पर आधारित है|
रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर की 61 खानों में जो कोरोनावायरस के संक्रमण मिले हैं उनमें से करीब एक तिहाई माइनिंग कंपनियां कनाडा की हैं| जिनमें करीब 500 लोग संक्रमित पाए गए हैं| जबकि उनसे 175 लोगों में वायरस फैला है|
इसके साथ ही रिपोर्ट में इस बात की भी जानकारी दी गई है कि कंपनियां किस तरह से महामारी का उपयोग अपने जनसंपर्क के अवसर के रूप में कर रही हैं| जिससे वो इस सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट का फायदा उठाकर अपनी छवि को साफ सुथरा प्रस्तुत कर सकें| उदाहरण के लिए कनाडा की कंपनी टेक रिसोर्सेज ने सार्वजनिक स्वास्थ्य और कल्याण के लिए करीब 152 करोड़ रूपए देने का वादा किया है|
इसके बावजूद लॉकडाउन के दौरान भी कंपनी ने अपना काम बंद नहीं किया था| इस रिपोर्ट से अलग जारी एक बयान में, दुनिया भर के 330 से अधिक संगठनों ने खनन को सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग की श्रेणी में रखा है, जो कि सबसे ज्यादा घातक और विनाशकारी उद्योगों में से एक है| उन्होंने माइनिंग पर महामारी के खतरों की अनदेखी करने और महामारी की आड़ में नियमों को कमजोर करके उसका फायदा उठाने का भी आरोप लगाया है। इस रिपोर्ट में कई ऐसे उदाहरणों को शामिल किया गया है जिससे पता चलता है कि कंपनियां माइनिंग प्रभावित लोगों के हितों को अनदेखा कर रही है|
इसके साथ ही वो गैरजरुरी और पर्यावरण के लिए हानिकारक प्रोजेक्ट्स को आगे बढ़ाने के लिए नियमों में बदलाव करने का भी दबाव डाल रही हैं| जिससे वो लम्बे समय तक उसका लाभ उठा सकें| रिपोर्ट के अनुसार महामारी की आड़ में उन लोगों को घर पर बंद रहने के लिए मजबूर किया जा रहा है जो जमीन और जल को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं| उन पर हमला किया जा रहा है| साथ ही क़ानूनी कार्रवाई के साथ-साथ प्रताड़ित भी किया जा रहा है| जिससे इन कंपनियों की माइनिंग का रास्ता साफ़ किया जा सके|