विशेष प्रजाति के पौधों को लगाने से मलेरिया को किया जा सकता है नियंत्रित: अध्ययन

अध्ययन के अनुसार एक विशेष तरह के पौधे की प्रजाति जिसे पार्थेनियम हिस्टरोफोरस कहते है, इसे मच्छरों को बहुत बार खिलाया गया, यह अन्य मच्छरों के पसंदीदा पौधों की तुलना में ए. बोगोरेंसिस के संक्रमण को नहीं बढ़ाता है।
Photo : Wikimedia Commons
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अध्ययनकर्ताओं ने मलेरिया से निपटने के लिए एक नया तरीका ईजाद किया है, जिसमें यह जानने की कोशिश की गई है कि मच्छर के किस अवस्था में काटने से सबसे अधिक मलेरिया फैलाने की आशंका है। कौन-कौन से ऐसे तरीके हैं जिससे मलेरिया पर रोक लग सकती है, इसी क्रम में यह अध्ययन किया गया है।

आहार के तौर पर ली गई शक़्कर और आंत के रोगाणुओं मच्छरों में मलेरिया परजीवी संक्रमण को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाते हैं। चीन के शोधकर्ताओं ने इस बात का खुलासा किया है कि मच्छरों के आहार के रूप में ली जाने वाली शक्कर बैक्टीरिया की प्रजाति असिया बोगोरेंसिस की संख्या को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है, जो आंत के संक्रमण के तहत पीएच स्तर को बढ़ाता है।

चीन के शंघाई स्थित फुडन विश्वविद्यालय के सह-अध्ययनकर्ता जिंगवेन वांग कहते हैं कि हमारा काम मच्छर-माइक्रोबायोटा मेटाबॉलिक इंटरैक्शन की भूमिका में उनकी रोग फैलाने की क्षमता के बारे में जांच करने के लिए एक नया रास्ता खोलता है। इसके परिणाम संचारी रोगों को नियंत्रित करने के उपायों के बारे में बताते हैं।

मच्छर के प्रजनन और जिंदा रहने के लिए शर्करा, जैसे कि ग्लूकोज की ऊर्जा पर निर्भरता रहती हैं। इसी तरह, ग्लूकोज प्राथमिक ऊर्जा स्रोत है जो प्लास्मोडियम-मलेरिया परजीवी के फैलने में मदद करता है, जो एनाफिलीज मादा मच्छरों के लोगों को काटने से होती है कुछ अप्रत्यक्ष साक्ष्य यह भी बताते हैं कि कार्बोहाइड्रेट चयापचय मलेरिया परजीवी को फैलाने के लिए मच्छरों की क्षमता को प्रभावित करता है। हालांकि ग्लूकोज चयापचय (मेटाबोलिज्म) से मच्छरों में प्लास्मोडियम संक्रमण को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाने की उम्मीद है, लेकिन इसके बुनियादी तंत्र स्पष्ट नहीं हैं।  

इस सवाल को हल करने के लिए, वांग ने फुडन विश्वविद्यालय के सह-अध्ययनकर्ता हुइरू तांग के साथ मिलकर काम किया। उन्होंने पाया कि एनाफिलीज स्टीफेंसी मच्छरों को पांच दिनों तक ग्लूकोज युक्त घोल पिलाने से परजीवी के संक्रमण के बाद छोटी आंत सहित, एलिमेंटरी कैनाल का मध्य भाग जिसे मिडगुट कहते हैं उसमें प्लास्मोडियम ओओसाइट्स की संख्या बढ़ गई।

लेकिन एक एंटीबायोटिक घोल के साथ इलाज किए गए मच्छरों ने इस प्रभाव को नहीं दिखाया, प्लास्मोडियम संक्रमण के शक़्कर से प्रेरित वृद्धि में आंत के रोगाणुओं के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका की ओर इशारा करता है।  

संक्रमित मच्छरों को, जो ग्लूकोज खिलाया गया था उसे केवल . बोगोरेंसिस के साथ संक्रमित किया गया था, उनमें पी. बरगैई ओओसाइट्स की संख्या में वृद्धि हुई थी। निष्कर्ष बताते हैं कि शक़्कर का सेवन . बोगोरेंसिस के प्रसार को बढ़ाकर मच्छरों में प्लास्मोडियम संक्रमण को बढ़ावा देता है। अतिरिक्त प्रयोगों ने भी खुलासा किया है कि यह जीवाणु प्रजाति मिडगुट के पीएच स्तर को बढ़ाकर संक्रमण को बढ़ाता है।  

तांग ने कहा हमारा अध्ययन महत्वपूर्ण अणु संबन्धी जानकारी प्रदान करता है कि कैसे मच्छरों के ग्लूकोज चयापचय और उनके आंत माइक्रोबायोटा, . बोगोरेंसिस के एक घटक के बीच जटिल अंतर है और यह मलेरिया परजीवी संक्रमण को प्रभावित करता है। मलेरिया को रोकने के लिए मच्छर के चयापचय (मेटाबोलिज्म) को निशाना बनाना एक आशाजनक रणनीति हो सकती है।

जर्नल सेल रिपोर्ट्स में प्रकाशित इस अध्ययन में यह भी बताया गया है कि एक विशेष तरह के पौधे की प्रजाति जिसे पार्थेनियम हिस्टेरोफोरस कहते है, जिसे मच्छरों को बहुत बार खिलाया गया, यह अन्य मच्छरों के पसंदीदा पौधों की तुलना में ए. बोगोरेंसिस के संक्रमण को बढ़ावा नहीं देता है। अध्ययनकर्ताओं ने कहा इस प्रजाति के पौधों को लगाने से मलेरिया के फैलने को नियंत्रित किया जा सकता है।

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