पिछले 25 सालों में उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करने, वृद्धावस्था के दौरान स्वास्थ्य में सुधार लाने वाली चीजों की पहचान करने के प्रयास तेज हुए हैं। वैज्ञानिकों ने इस बात का पता लगा लिया है कि उम्र बढ़ने की प्रक्रिया में बदलाव किया जा सकता है।
कई अध्ययनों में पाया गया है कि शरीर में खून के प्रवाह के द्वारा ले जाने वाले विभिन्न अणु उम्र बढ़ने से जुड़े होते हैं। क्या ये अणु उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को सक्रिय रूप से आगे बढ़ाने में मदद करते हैं? या बस की तरह यात्रियों को ले जाते हैं।
भारतीय शोधकर्ताओं की अगुवाई में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक, टॉरिन नामक पोषक तत्व की कमी जल्दी बुढ़ापा ला सकता है। टॉरिन - शरीर में उत्पन्न होने वाला एक पोषक तत्व है जो कई खाद्य पदार्थों में पाया जाता है। अध्ययन में कहा गया है कि यह पोषक तत्व जीवन का अमृत हो सकता है।
अध्ययन में यह भी पाया गया कि टॉरिन की खुराक कीड़े, चूहों और बंदरों में उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा कर सकती है।
चूहों के साथ किए गए एक बड़े प्रयोग से पता चला है कि टॉरिन ने मादा चूहों के औसत जीवनकाल में 12 प्रतिशत और नरों में 10 प्रतिशत की वृद्धि की है। चूहों के लिए, इसका मतलब तीन से चार जीने के अतिरिक्त महीने थे, यदि इसे किसी मनुष्य पर लागू किया जाए तो, वह लगभग सात या आठ साल अधिक जीवन जीने के बराबर है।
नई दिल्ली में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी में अनुसंधान प्रयोगशाला के प्रमुख तथा शोधकर्ता विजय यादव ने कहा, पिछले 25 वर्षों से वैज्ञानिक ऐसे चीजों को खोजने की कोशिश कर रहे हैं जो न केवल हमें लंबे समय तक जीवित रहने में मदद करें, बल्कि स्वास्थ्य को स्वस्थ बनाए रखने की अवधि को भी बढ़ाएं।
यादव ने कहा, इस अध्ययन से पता चलता है कि टॉरिन हमारे भीतर जीवन का अमृत हो सकता है जो हमें लंबे और स्वस्थ जीवन जीने में मदद करता है। यादव कोलंबिया यूनिवर्सिटी वैगेलोस कॉलेज ऑफ फिजिशियन एंड सर्जन में जेनेटिक्स एंड डेवलपमेंट के सहायक प्रोफेसर भी हैं।
जबकि मनुष्यों में टॉरिन के फायदों की पुष्टि करने के लिए अभी और जांच और परीक्षण करने की आवश्यकता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि दो प्रयोगों से पता चलता है कि टॉरिन में जीवन बढ़ाने की क्षमता है। पहले प्रयोग में, यादव और उनकी टीम ने 60 और उससे अधिक आयु के 12,000 यूरोपीय वयस्कों में टॉरिन के स्तर और लगभग 50 स्वास्थ्य मापदंडों के बीच संबंधों को देखा।
अध्ययन में पाया गया कि, टॉरिन के अधिक स्तर वाले लोग स्वस्थ थे, टाइप 2 मधुमेह के कम मामलों, कम मोटापे के स्तर, कम उच्च रक्तचाप आदि पाया गया।
यादव कहते हैं, कि वे इस बात को स्थापित नहीं करते हैं, लेकिन परिणाम इस संभावना के अनुरूप हैं कि टॉरिन की कमी लोगों में उम्र बढ़ने के लिए जिम्मेवार है।
अध्ययन में दूसरा परीक्षण किया गया कि, क्या टॉरिन का स्तर स्वास्थ्य में सुधार के लिए जाने जाने वाले व्यायाम से संबंधित है? शोधकर्ताओं ने विभिन्न प्रकार के पुरुष एथलीटों और कम गतिविधि करने वाले लोगों के पहले और बाद में टॉरिन के स्तर को मापा और एथलीटों के सभी समूहों में टॉरिन में महत्वपूर्ण वृद्धि पाई गई।
यादव कहते हैं कि, कोई फर्क नहीं पड़ता कि किसी व्यक्ति में व्यायाम के बाद टॉरिन के स्तर में वृद्धि होती है, जो बताता है कि व्यायाम से स्वास्थ्य को होने वाले कुछ फायदों के रूप में टॉरिन में वृद्धि हो सकती है।
यादव कहते हैं कि टॉरिन को लेकर विचार किया जाना चाहिए। इसके कुछ फायदे हैं, टॉरिन स्वाभाविक रूप से हमारे शरीर में उत्पन्न होता है, इसे स्वाभाविक रूप से आहार में हासिल किया जा सकता है। इसका कोई ज्ञात विषाक्त प्रभाव नहीं है और इसे व्यायाम द्वारा बढ़ाया जा सकता है।
टॉरिन की उम्र बढ़ने के साथ के साथ शरीर में इसकी कमी हो जाती है, इसलिए उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करने में टॉरिन अहम भूमिका निभा सकता है।यह अध्ययन साइंस पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।