कई लोग जब बड़े हो जाते हैं, तो अपने वजन को कम करने के लिए संघर्ष करते रहते हैं। इसी को लेकर अब करोलिंस्का इंस्टीट्यूट में नए शोध ने खुलासा किया है कि ऐसा क्यों होता है - उम्र बढ़ने के दौरान वसा ऊतक में लिपिड का काम (टर्नओवर) कम हो जाता है, जिसके कारण वजन आसानी से बढ़ जाता है, भले ही खाना कम ही क्यों न खाया हो। लिपिड - एक अघुलनशील पदार्थ हैं, जो कार्बोहाइड्रेट एवं प्रोटीन के साथ मिलकर प्राणियों एवं वनस्पति के ऊतक का निर्माण करते है। यह अध्ययन नेचर मेडिसिन पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
वैज्ञानिकों ने 13 वर्ष की औसत अवधि में 54 पुरुषों और महिलाओं में वसा कोशिकाओं का अध्ययन किया। उस दौरान सभी चीजें, चाहे उन्होंने वजन में इजाफा किया हो या उनका वजन कम हुआ हो, वसा ऊतक में लिपिड का काम (टर्नओवर) में कमी देखी गई, यही वह दर है जिस पर वसा कोशिकाओं में लिपिड को हटाकर इसे संग्रहीत किया जाता है। अध्ययन के अनुसार कम कैलोरी खाने वालों ने औसतन 20 फीसदी तक अपना वजन कम किया। यह अध्ययन स्वीडन में उप्साला विश्वविद्यालय और फ्रांस में यूनिवर्सिटी ऑफ लियोन के शोधकर्ताओं के सहयोग से किया गया है।
महिलाओं पर भी किया अध्ययन
शोधकर्ताओं ने 41 महिलाओं में लिपिड टर्नओवर की भी जांच की, जिनकी बैरिएट्रिक सर्जरी हुई थी, इन महिलाओं में लिपिड टर्नओवर की दर ने सर्जरी के बाद चार से सात साल तक उनके वजन पर नियंत्रण करने की क्षमता को प्रभावित किया। परिणाम से पता चला कि सर्जरी से पहले जिन लोगों की लिपिड टर्नओवर की दर कम थी, वे अपने लिपिड टर्नओवर को बढ़ाने और अपना वजन कम करने में कामयाब रहे। शोधकर्ताओं का मानना है कि इन लोगों के पास अपने लिपिड टर्नओवर को बढ़ाने के अधिक अवसर हो सकते है, उन लोगों की तुलना में जिनके पास सर्जरी के पहले से ही लिपिड टर्नओवर की गति अधिक है।
कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट में मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर और मुख्य अध्ययनकर्ता, पीटर अर्नर कहते है कि परिणाम पहली बार यह संकेत देते हैं कि हमारे वसा ऊतक में प्रक्रियाएं उम्र बढ़ने के दौरान शरीर के वजन में बदलाव को नियंत्रित करती हैं जो अन्य कारकों से स्वतंत्र होती है। अर्नर ने इस अध्ययन के माध्यम से मोटापे के इलाज के नए तरीके खुलने की उम्मीद जताई है।
अधिक व्यायाम और कम कैलोरी
पिछले अध्ययनों से पता चला है कि वसा ऊतक में लिपिड टर्नओवर को तेज करने का एक आसान तरीका अधिक व्यायाम करना है। इसके अलावा वजन घटाने की सर्जरी के साथ यदि शारीरिक गतिविधियों में वृद्धि की जाए तो इसके दीर्घकालिक परिणामों में सुधार होगा।
कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट में सेल और आणविक जीवविज्ञान विभाग के वरिष्ठ शोधकर्ता और मुख्य अध्ययनकर्ता, कर्स्टी स्पालडिंग कहते है कि मोटापा और मोटापे से संबंधित बीमारियां एक वैश्विक समस्या बन गई है। उन्होंने आगे जोड़ते हुए कहा कि लिपिड गतिकी को समझना और जो मनुष्यों में वसा द्रव्यमान के आकार को नियंत्रित करता है वह कभी भी अधिक प्रासंगिक नहीं रहा है।
भारत में बढ़ता मोटापा
एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में, 13.5 करोड़ से अधिक लोग मोटापे से ग्रसित हैं। भारत में मोटापे की व्यापकता उम्र, लिंग, भौगोलिक वातावरण, सामाजिक-आर्थिक स्थिति आदि के कारण भिन्न होती है। भारत में, पेट का मोटापा हृदय रोग (सीवीडी) के लिए प्रमुख खतरों में से एक है। विभिन्न अध्ययनों से पता चला है कि पुरुषों की तुलना में महिलाएं मोटापे से अधिक ग्रसित है।
द सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, मोटे होने से व्यक्ति को टाइप 2 डायबिटीज, कोरोनरी हार्ट डिजीज, स्ट्रोक्स, ऑस्टियोआर्थराइटिस और कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती हैं।
नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर न्यूट्रीशन, जो भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के अंतर्गत आता है, ने 2016 के एक अध्ययन में वयस्कों में मोटापा बढ़ने की बात कही थी - भारत की 44 फीसदी शहरी महिलाएं मोटापे से ग्रस्त थीं। 2017 में अनुमानित 7.2 करोड़ मामलों के साथ, वर्तमान भारत में दुनिया के 49 फीसदी मधुमेह रोगी रहते है, यह आंकड़ा 2025 तक लगभग 13.4 करोड़ तक होने की आशंका है।