जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के शोधकर्ताओं ने घातक मलेरिया परजीवियों के फैलने को रोकने का एक नया तरीका खोजा है। स्पेशल सेंटर फॉर मॉलिक्यूलर मेडिसिन की टीम ने एक नया यौगिक या कंपाउंड खोजा है जिसने संक्रमण के फैलने को रोकने या ट्रांसमिशन-ब्लॉकिंग की शक्तिशाली गतिविधि दिखाई है।
जेएनयू के शोधकर्ताओं ने प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम के एक नए कोल्ड शॉक प्रोटीन की पहचान की है, जो मलेरिया परजीवियों के यौन और यौन विकास में एक अहम भूमिका निभाता है। चूंकि मलेरिया परजीवी मच्छरों में कम तापमान को सहन नहीं कर पाता है, यह प्रोटीन ठंड की स्थिति के खिलाफ परजीवी को एक सुरक्षात्मक आवरण प्रदान करता है।
मच्छर जनित रोग, मलेरिया, एक परजीवी के कारण होता है, जो पहले यकृत की कोशिकाओं में और फिर रक्त की लाल कोशिकाओं में बढ़ता है। परजीवी लाल रक्त कोशिकाओं में बढ़ता है, अपने को दोहराता है और आगे आक्रमण करता है।
अमेरिका स्थित रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के अनुसार, चार प्रकार के मलेरिया परजीवी मनुष्यों को संक्रमित करते हैं जिनमें प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम, पी. विवैक्स, पी. ओवले और पी. मलेरिया शामिल हैं।
जर्नल आईसाइंस में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि कम तापमान के प्रतिकूल प्रभावों से निपटने के लिए बैक्टीरिया, पौधों और मनुष्यों में कोल्ड शॉक प्रोटीन का उपयोग करते हैं जो ठंड को सहन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
शोध के मुताबिक, कोल्ड शॉक प्रोटीन आरएनए में माध्यमिक संरचनाओं को अस्थिर करने के लिए जाने जाते हैं जो बदले में कुशलता से बदलाव करने की अनुमति देते हैं।
वैज्ञानिकों ने बताया कि एलआई71 के साथ इस आवश्यक प्लाज्मोडियम कोल्ड शॉक प्रोटीन को निशाना बनाने से मलेरिया परजीवियों के विकास और फैलने को रोका जा सकता है।
अध्ययनकर्ता प्रोफेसर शैलजा सिंह ने बताया कि, हमने एक फैलने को रोकने वाले मलेरिया-रोधी एजेंट के विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया है। पी. फाल्सीपेरम के अलैंगिक चरणों के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली अधिकांश मलेरिया-रोधी दवाओं का पी. फाल्सीपेरम गैमेटोसाइट्स पर बहुत कम या कोई सीधा प्रभाव नहीं पड़ता है। अध्ययन में फैलने वाले यौगिकों के विकास के लिए एक नए प्रोटीन 'पीएफसीओएसपी' की पहचान की गई है।
उन्होंने कहा कि प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरमफ सीओएसपी (पीएफसीओएसपी) मलेरिया परजीवी का एक कोल्ड शॉक प्रोटीन है जो परजीवी को मच्छर के अंदर ठंडे की स्थिति में अनुकूल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता पाया गया। एलआई71 द्वारा इस प्रोटीन को ब्लॉक करने से मच्छरों के बीच संचरण चक्र टूट जाएगा।
मलेरिया-रोधी दवाओं को बढ़ाने के लिए शोध चल रहे हैं क्योंकि परजीवी ने इसके खिलाफ मुकाबला करने का तंत्र विकसित कर लिया है। प्रमुख अध्ययनकर्ता डॉ. अंकिता बहल ने कहा, वर्तमान में उपलब्ध मलेरिया-रोधी दवाओं के प्रतिरोध के लिए अतिरिक्त दवाओं की पहचान के प्रयासों और इस घातक बीमारी के और शोध करने की आवश्यकता है।
प्रमुख अध्ययनकर्ता रुमाइशा शोएब ने कहा कि, उनकी टीम ने उम्मीद जताई है कि उनका नया काम दवा प्रतिरोधी परजीवियों को निशाना बनाकर मार्ग प्रशस्त कर सकता है। हम जानते हैं कि मलेरिया उन्मूलन एक प्रमुख वैश्विक स्वास्थ्य चिंता बनी हुई है, इसलिए हमें अपनी ओर से हर उपकरण का उपयोग करना चाहिए और नए उपकरण विकसित करना चाहिए। यह खोज हमें आशा देती है कि मलेरिया को नियंत्रित किया जा सकता है और लोगों के जीवन को बचाया जा सकता है।