नहीं पता चला कि कोविड-19 की शुरुआत कैसे हुई? चीन ने नहीं दी जानकारी

डब्ल्यूएचओ की ताजा रिपोर्ट में अभी भी कई सवाल बाकी
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प्रतीकात्मक छवि, फोटो साभार: आईस्टॉक
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कोरोना जैसी महामारी की शुरुआत कहां से हुई? क्या यह किसी जानवर से इंसान में फैली या किसी प्रयोगशाला से गलती से बाहर निकली? इन सवालों के जवाब खोजने के लिए पिछले तीन वर्षों से काम कर रहे विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के विशेषज्ञों के समूह ने अपनी नई रिपोर्ट जारी की है।

इस समूह को साइंटिफिक एडवाइजरी ग्रुप फॉर दी ऑरिजिंस ऑफ नोवल पेथागेन्स (सागो) कहा जाता है, जिसमें 27 देशों के स्वतंत्र वैज्ञानिक शामिल हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि इस दौरान कुछ नई जानकारियां तो मिली हैं, लेकिन अब भी कई जरूरी सूचनाएं उपलब्ध नहीं हो पाई हैं।

प्रेस को जारी एक बयान में डब्ल्यूएचओ के प्रमुख डॉक्टर टेड्रोस घेब्रेयेसस ने कहा, "यह एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक कार्य रहा है, लेकिन अब भी सभी संभावनाएं खुली हुई हैं – चाहे यह किसी जानवर से इंसान में फैला हो या प्रयोगशाला से दुर्घटनावश निकला हो। हम चीन और उन सभी देशों से अपील करते हैं कि यदि उनके पास कोई जानकारी है, तो वह पूरी दुनिया के हित में उसे साझा करें, ताकि भविष्य में ऐसी महामारियों को रोका जा सके।"

रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि जो प्रमाण अब तक मिले हैं, उनके अनुसार यह वायरस संभवतः किसी जंगली जानवर, विशेषकर चमगादड़ से, या किसी मध्यवर्ती जानवर के माध्यम से इंसानों तक पहुंचा।

डब्ल्यूएचओ ने चीन से यह अनुरोध किया था कि वह महामारी की शुरुआत में संक्रमित लोगों के जीवन-कोषों की जानकारी, वुहान की मंडियों में बिकने वाले जानवरों का विवरण और प्रयोगशालाओं में हुए कार्यों तथा उनकी सुरक्षा व्यवस्था से जुड़ी जानकारियां साझा करे, लेकिन आज तक चीन ने यह जानकारी न तो डब्ल्यूएचओ के साथ और न ही विशेषज्ञों के समूह के साथ साझा की है।

सागो ने इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए अब तक 52 बैठकें कीं, कई शोध रिपोर्टों और प्रत्यक्ष अनुभवों का अध्ययन किया, तथा वैज्ञानिकों, पत्रकारों और सरकारी अधिकारियों से बातचीत की।

सागो की अध्यक्ष डॉक्टर मरीत्जी वेंटर ने कहा, "यह केवल एक वैज्ञानिक खोज नहीं है, बल्कि यह नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारी भी है। यह समझना कि यह वायरस कैसे पैदा हुआ और कैसे पूरी दुनिया में फैला, बहुत आवश्यक है ताकि आगे हम ऐसी घटनाओं से समय रहते बचाव कर सकें।"

कोरोना महामारी के शुरुआती समय में यानी वर्ष 2020 के अंत में विश्व स्वास्थ्य महासभा में सभी देशों ने यह प्रस्ताव पारित किया था कि इस वायरस की उत्पत्ति का अध्ययन किया जाना चाहिए। इसके बाद वर्ष 2021 में एक दल चीन गया और प्रारंभिक रिपोर्ट प्रकाशित हुई।

इसी क्रम में वर्ष 2021 में डब्ल्यूएचओ ने सागो का गठन किया। इस दल को दो जिम्मेदारियां दी गईं — एक तो ऐसे नए और दोबारा उभरते रोगों की उत्पत्ति की खोज के लिए एक ढांचा बनाना, और दूसरी, उसी ढांचे का प्रयोग कर कोरोना वायरस की उत्पत्ति की जाँच करना।

डब्ल्यूएचओ ने यह भी कहा है कि यह कार्य अभी समाप्त नहीं हुआ है। यदि भविष्य में कोई नई जानकारी सामने आती है, तो विशेषज्ञों का दल उसका गहन अध्ययन करेगा।

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