क्या उत्तर प्रदेश में कोरोना जांच में हो रहा फर्जीवाड़ा?

जिन लोगों ने एंटीजन टेस्ट नहीं कराया है, उनको भी संदेश मिल रहा है कि उनका टेस्ट नेगेटिव आया है
Photo : Wikimedia Commons
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निखिल  

लखनऊ के गोमतीनगर निवासी 32 वर्षीय मिथलेश ने बुखार आने पर इंदिरानगर स्थित बीआरडी अस्पताल में 6 जनवरी को अपनी एंटीजन और आरटीपीसीआर जांच करवाई थी। एंटीजन रिपोर्ट निगेटिव आई और दूसरे दिन आरटीपीसीआर रिपोर्ट भी निगेटिव आई।

मिथलेश ने बताया कि जब दो दिन बाद उन्होंने कोविन पोर्टल पर देखा तो पाया कि उनके नाम के साथ-साथ उनके 2 और 6 साल के बच्चों ने नाम भी चढ़े थे, जबकि उनकी कभी जांच तक नहीं हुई।

ऐसा ही कुछ इसी शहर के कृष्णा नगर निवासी रुद्राक्ष के साथ हुआ। रुद्राक्ष ने बताया कि 3 जनवरी को कोरोना के लक्षण आने पर जांच करवाई। रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर कोविड कन्ट्रोल रूम से आई टीम ने उनके परिवार की जांच की और दवा देकर वापस लौट गई। उनका कहना है कि परिवार के सदस्यों की आरटीपीसीआर जांच हुई थी। जबकि पोर्टल पर एंटीजन जांच भी चढ़ा दी गई।

लखनऊ में 220 आरआरटी टीमें सैम्पल कलेक्शन का काम कर रही है। कर्मचारियों द्वारा बिना जांच सैंपल लिए ही लोगों की एंटीजन रिपोर्ट निगेटिव बना दी जा रही है। ये सारा खेल सिर्फ एंटीजन जांच में हो रहा है।

स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी कहते हैं कि आदेश है कि एक संक्रमित के मिलने पर कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग के आधार पर 40 लोगों की जांच होनी चाहिए, जबकि जमीन पर काम करने वाले कर्मचारी का कहना है कि किसी भी परिवार या उनके आसपड़ोस में इतने सदस्य नहीं है। ऐसे में बड़े स्तर पर जांच रिपोर्ट में फर्जीवाड़ा की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।

कोरोना की पहली और दूसरी लहर में एंटीजन जांच के नाम पर खूब फर्जीवाड़ा हुआ था। स्वास्थ्य विभाग में प्रशासनिक पद पर तैनात एक आईएस अफसर के नाम पर भी फर्जी जांच चढ़ा दी गई थी। अफसर को जैसे इसके बारे में जानकारी हुई तो जिम्मेदारों को जम कर फटकार लगाई थी।

तत्कालीन सीएमओ और डिप्टी सीएमओ से इसका जवाब भी तलब किया गया था। आरआरटी टीम में शामिल स्वास्थ्य कर्मचारी रमेश ने बताया कि पूरे दिन में 50 से ज्यादा लोगों की जांच करने के लिए कहा जाता है। एक से दूसरे घर जाने में समय लगता है, यानि चाह कर भी 50 लोगों की जांच नहीं हो पाती है।

रिकॉर्ड बताते हैं कि लखनऊ में हर दिन आठ हजार से ज्यादा एंटीजन जांच हो रहीं हैं। हालांकि ये जांचें आरटीपीसीआर जांच से कम हैं। 6 जनवरी से लेकर 20 जनवरी तक 129,175 लोगों की एंटीजन जांच हुई, इसमें सिर्फ 312 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटव आई, वहीं 178,292 आरटीपीसीआर जांच हुई जिसमें 24,681 में कोरोना संक्रमित मिले। आरटीपीसीआर के मुकाबले एंटीजन में पॉजिटव 1 प्रतिशत से भी कम संक्रमित मिल रहे हैं।

जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ. मिलिंद वर्धन ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर की बात करें तो अप्रैल के पीक में राजधानी में पॉजिटिविटी रेट 50 फीसद तक पहुंच गया था। यानि हर 100 सैंपल में 50 लोगों में संक्रमण की पुष्टि हो रही थी, जो विभिन्न तरीकों से लिए गए सैंपल के माध्यम से देखने को मिले हैं।

वहीं तीसरी लहर के दौरान बीते 10 दिनों मे राजधानी में पॉजिटिविटी रेट बड़ी तेजी से बढ़ता जा रहा है। एक जनवरी को जो पॉजिटिविटी रेट 0.38 के आसपास चल रहा था, वो 10 जनवरी को बढ़कर 7.16 तक हो गया है। वहीं 24 जनवरी तक ये 20 से ऊपर चला गया है। हालांकि इसके बाद पॉजिटिविटी में मामूली गिरावट देखी गई है।

वैक्सीनेशन नोडल अधिकारी डॉ. एम के सिंह ने बताया कि एंटीजन जांच को लेकर कई शिकायतें आई है। चार सदस्यों की टीम बनाई गई है जो फील्ड पर काम कर रही टीमों से इस बात की जानकारी ले रही है कि ऐसा क्यों हो रहा है। वहीं उन्होंने टारगेट पूरी करने वाली बात पर कहा कि ऐसा नहीं कर्मचारियों पर ऐसा कोई दबाव नहीं है।

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