क्लोरपाइरीफोस, जिसे भारत सहित दुनिया भर में कीटों को मारने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, वो कहीं हद तक मोटापे की समस्या के लिए जिम्मेवार हो सकता है। यह जानकारी मैकमास्टर यूनिवर्सिटी द्वारा किए हालिया अध्ययन में सामने आई है। वैश्विक समुदाय पहले ही कृषि में बढ़ते कीटनाशकों और उसके हानिकारक प्रभावों को लेकर चिंतित है, ऐसे में जानकारी उसे और बढ़ा सकती है।
गौरतलब है कि बच्चों पर पड़ते दुष्प्रभावों को देखते हुए इस कीटनाशक ‘क्लोरपाइरीफोस’ को जल्द ही अमेरिका बैन कर सकता है। वहीं कनाडा इसके खाद्य पदार्थों पर उपयोग को पहले ही प्रतिबन्धित कर चुका है। हालांकि भारत सहित दुनिया के कई अन्य देशों में अभी भी फसलों को कीटों से बचाने के लिए इसका व्यापक रूप से छिड़काव किया जाता है।
चूहों पर किए इस नए अध्ययन से पता चला है कि यह कीटनाशक भूरे वसा ऊतकों में कैलोरी खर्च होने की प्रक्रिया धीमा कर देता है, जिसकी वजह से थर्मोजेनेसिस की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इसके कारण शरीर में अतिरिक्त कैलोरी जमा होने लगती है, जो आगे चलकर मोटापे का कारण बनती है। गौरतलब है कि वैज्ञानिकों ने यह जानकारी आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले 34 कीटनाशकों और उनके भूरी वसा कोशिकाओं पर पड़ने वाले असर का अध्ययन करने के बाद दी है।
क्या होती है भूरी वसा, वजन को कैसे करती है नियंत्रित
इस शोध के वरिष्ठ शोधकर्ता और सेंटर फॉर मेटाबॉलिज्म, ओबेसिटी एंड डायबिटीज रिसर्च से जुड़े ग्रेगरी स्टाइनबर्ग ने इस बारे में बताया है कि भूरी वसा हमारे शरीर में चयापचय भट्टी की तरह काम करती है, जो सामान्य वसा के विपरीत कैलोरी को जलाती है।
यह भूरी वसा हमारे शरीर में गर्मी उत्पन्न करती है और कैलोरी को हमारे शरीर में जमा होने से रोकती है। भूरी वसा ठंड के दौरान जब हम भोजन करते हैं तब सक्रिय होती है। स्टाइनबर्ग ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि अक्सर जीवनशैली में किए बदलावों जैसे आहार और व्यायाम के बावजूद वजन स्थायी तौर पर कम नहीं होता है। ऐसा क्लोरपाइरीफोस के कारण हो सकता है जो हमारी चयापचय भट्टी को सुस्त कर देता है। आमतौर पर वजन बढ़ने के लिए ज्यादा भोजन को जिम्मेवार माना जाता है लेकिन इसकी मुख्य वजह कम कैलोरी का इस्तेमाल होना है।
उनके अनुसार यदि क्लोरपाइरीफोस हर रोज वयस्कों में भूरी वसा द्वारा ऊर्जा के रूप में उपयोग की जा रही 40 कैलोरी को रोक देता है तो वो मोटापे का कारण बन सकता है। अनुमान है कि इसके कारण हर वर्ष करीब 2.3 किलोग्राम वजन बढ़ सकता है। हालांकि अभी तक मनुष्यों में इसके निष्कर्षों की पुष्टि नहीं हुई है। लेकिन इतना तो तय है कि यह कीटनाशक मानव स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं ऐसे में जितना हो सके कीटनाशक रहित भोजन का उपयोग करना चाहिए।
यह शोध जर्नल नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित हुआ है।