तफ्तीश : कितना बड़ा है कोविड - 19 टीके का संकट

आखिर कोरोना वायरस से बचाव का एकमात्र उपाय वैक्सीन के मामले में भारत की क्या स्थिति है
तफ्तीश : कितना बड़ा है कोविड - 19 टीके का संकट
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भारत में कोविड-19 की दूसरी लहर के लिए आखिर जिम्मेवार कौन हैं। यह जानने के लिए डाउन टू अर्थ ने एक व्यापक तफ्तीश की।  दिल्ली से रिचर्ड महापात्रा, बनजोत कौर, विभा वार्ष्णेय, शगुन कपिल, किरण पांडे, विवेक मिश्रा और रजित सेनगुप्ता के साथ वाराणसी से ऋतुपर्णा पालित, भोपाल से राकेश कुमार मालवीय, नुआपाड़ा से अजीत पांडा, तिरुवनंतपुरम से केए शाजी, कोलकाता से जयंत बसु, अहमदाबाद से जुमाना शाह, बंगलुरु से तमन्ना नसीर और चेन्नई से ऐश्वर्या सुधा गोविंदराजन ने रिपोर्ट की। पहले भाग में आपने पढ़ा कि किस तरह दूसरी लहर में पूरे देश में हालात बन गए थे, रिपोर्ट पढ़ने के लिए क्लिक करें। दूसरे भाग में आपने पढ़ा - कोविड-19 की दूसरी लहर के लिए सरकार कितनी दोषी? । अगला भाग में पढ़ा, क्या भारत के लिए स्थानीय महामारी बन जाएगा कोविड-19? । पढ़ें अगली कड़ी- 



विशेषज्ञ इस बात पर एकमत हैं कि टीकाकरण और हर्ड इम्यूनिटी ही वायरस से लड़ने का एकमात्र तरीका है। बंगलुरु मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट में माइक्रोबायोलॉजी की प्रोफेसर और ट्रॉमा एंड इमरजेंसी केयर कोविड सेंटर, विक्टोरिया हॉस्पिटल की नोडल अधिकारी असिमा बानू कहती हैं, “बहुत से लोग संक्रमित हो रहे हैं, इसलिए हमें हर्ड इम्यूनिटी विकसित होने की बात पर यकीन करना चाहिए। एक बार जब 70-80 प्रतिशत आबादी का टीकाकरण हो जाएगा, तब टीकाकरण और प्राकृतिक प्रतिरक्षा मिलकर वायरस के प्रकोप को नीचे ले आएंगे।” बानू कहती हैं कि पिछली बार बीमारी की गंभीरता थोड़ी अलग थी। यह 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों और बीमार रहने वाले लोगों को ज्यादा निशाने पर ले रही थी।

इस बार यह 20-50 आयु वर्ग है जो वास्तव में बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। इस बार बिल्कुल स्वस्थ लोग प्रभावित हुए हैं। पिछले साल खांसी, गले में खराश, बुखार जैसे लक्षण होते थे और रोगी को निमोनिया होता था। इस बार पहले दिन हल्का बुखार आता है, दूसरे दिन खांसी आती है और फिर वे बिल्कुल ठीक हो जाते हैं। या तीन-चार दिनों तक हल्के लक्षण के बाद अचानक पांचवें या छठे दिन सांस फूलने लगती है। यहां तक ​​कि बच्चे भी तेजी से प्रभावित हो रहे हैं, जो पिछले साल इससे बचे हुए थे।

वह बताती हैं कि इस बार एक अलग आयु वर्ग के प्रभावित होने का एकमात्र कारण टीकाकरण नहीं हो सकता है। वह कहती हैं, “हमने कितनी आबादी का टीकाकरण किया है? शायद सिर्फ 1 फीसदी। इसलिए, इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा। मैं अभी प्रमुख वेरिएंट्स पर टिप्पणी नहीं कर सकती, क्योंकि हमें अभी बहुत सी सीक्वेंसिंग (वायरस की जेनेटिक स्टडी) करनी है। अभी हम महामारी से निपटने की प्रक्रिया में हैं।

आईसीएमआर द्वारा डेटा जारी होना बाकी है। वायरस रूप बदल रहा है, डबल म्यूटेंट और ट्रिपल म्यूटेंट हो रहा है। यदि हम सभी लोगों की गेनेटिक सीक्वेंसिंग करते हैं, तो हमें पता चलेगा कि कौन सा म्यूटेंट हावी है। लेकिन निश्चित रूप से ये एक नया म्यूटेंट है। बानू कहती हैं, “तीसरी लहर की संभावना है। हो सकता है कि तीसरी लहर 20 साल से कम उम्र के लोगों को प्रभावित करे। ये वही हैं, जिन्हें टीका नहीं लगाया गया है। लेकिन फिर भी हम स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कह सकते।”

टीके की कमी 

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