भारतीय वैज्ञानिकों ने ग्रीन टी से तैयार किए सस्ते सिल्वर नैनोकण, जले घावों के उपचार में नई उम्मीद

ग्रीन टी के एंटीऑक्सीडेंट जैव-अणुओं के साथ एजी-एनपी युक्त किफायती स्टार्च को आसानी से तैयार किया जा सकता है और घाव की ड्रेसिंग के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
ग्रीन टी से बनाए गए सिल्वर युक्त एंटीमाइक्रोबियल नैनोपार्टिकल को शरीर के जले हुए घावों पर इस्तेमाल किया जा सकता है।
ग्रीन टी से बनाए गए सिल्वर युक्त एंटीमाइक्रोबियल नैनोपार्टिकल को शरीर के जले हुए घावों पर इस्तेमाल किया जा सकता है।फोटो साभार: आईस्टॉक
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शरीर के जलने के कारण घावों की वजह से होने वाला संक्रमण, शरीर के लिए एक गंभीर समस्या होती है, इसके बढ़ने से मृत्यु तक हो जाती है। सफाई और ड्रेसिंग के अलावा एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग से गंभीर घावों का उपचार किया जाता है।

हालांकि बहुत ज्यादा कीमत, पहुंच में कमी और बैक्टीरिया प्रतिरोध के कारण एंटीबायोटिक दवाओं का असर कम या नहीं हो रहा हैं। यदि तय उपचार के दौरान एंटीबायोटिक दवाओं का कोर्स पूरा नहीं किया जाता है तो भी समस्याएं बढ़ जाती हैं।

दुनिया भर में जलने की वजह से शरीर में संक्रमण फैलने के कारण बड़ी संख्या में मौतें होती हैं, खासकर गरीब देशों में और सबसे आम तौर पर ग्रामीण इलाकों में ऐसा अक्सर देखा जा सकता है।

शरीर के जले हुए घावों का उपचार अलग-अलग कारणों से कठिन हो जाता है। जलने से त्वचा पर बहुत बुरा असर पड़ता है, घाव से निकलने वाला तरल पदार्थ मौकापरस्त बैक्टीरिया के संपर्क में आता है जो इस तरह के पोषक तत्वों पर इनको पनपने का मौका देते हैं।

घावों के कारण शरीर में खून की आपूर्ति भी प्रभावित होती हैं और ये प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया पर भी बुरा असर डालते हैं। इसके अलावा त्वचा के पांचवें हिस्से से अधिक हिस्से का एक बड़ा जला हुआ हिस्सा अक्सर सिस्टमिक इन्फ्लेमेटरी रिस्पांस सिंड्रोम (एसआईआरएस) को जन्म देता है, जिससे संक्रमण प्रबंधन और भी कठिन हो जाता है।

इंटरनेशनल जर्नल ऑफ बायोमेडिकल नैनोसाइंस एंड नैनोटेक्नोलॉजी नामक पत्रिका में प्रकाशित शोध में इस बात पर गौर किया गया है कि सिल्वर युक्त एंटीमाइक्रोबियल नैनोपार्टिकल को शरीर के जले हुए घावों पर इस्तेमाल किया जा सकता है। यह एक एंटीसेप्टिक क्रीम के रूप में नहीं, बल्कि इसे एक सबसे अच्छे घाव के ड्रेसिंग करने वाले के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

हालांकि ऐसी ड्रेसिंग पर होने वाला खर्ज सामान्य परिस्थितियों में इसे अपनाने में कठिनाई पैदा कर सकता है। लेकिन अब, भारत के बेलगावी में केएलई विश्वविद्यालय से जुड़ी टीम ने एक किफायती, एंटीमाइक्रोबियल स्टार्च-आधारित पॉलीमर फिल्म विकसित की है, जिसके भीतर वे चाय के अर्क से एक सरल विधि का उपयोग करके संश्लेषित सिल्वर नैनोपार्टिकल्स को जोड़ा जा सकता है।

शोधकर्ताओं ने शोध के हवाले से कहा है कि उपचार के लिए, पर्यावरण के अनुकूल उन पौधों के अर्क का उपयोग करने से भी फायदा मिलता है, क्योंकि उनमें पॉलीफेनोलिक यौगिक होते हैं, जिनमें एक अतिरिक्त रोगाणुरोधी गुण होता है क्योंकि वे एंटीऑक्सीडेंट, सूजन को कम करने वाले और रोगाणुरोधी होते हैं।

परीक्षणों में, शोधकर्ताओं ने दिखाया कि उनकी स्टार्च-आधारित फिल्म ने विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया के खिलाफ महत्वपूर्ण रोगाणुरोधी गतिविधि दिखाई, जिसमें गड़बड़ी पैदा करने वाले स्टैफिलोकोकस ऑरियस और स्यूडोमोनस एरुगिनोसा शामिल हैं।

शोधकर्ताओं के निष्कर्ष के मुताबिक, इस अध्ययन ने ग्रीन टी के एंटीऑक्सीडेंट जैव-अणुओं के साथ एजी-एनपी युक्त किफायती स्टार्च-आधारित पॉलिमर फिल्म की रोगाणुरोधी असर को दर्शाया है, जिसे आसानी से तैयार किया जा सकता है और घाव की ड्रेसिंग के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

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