डब्ल्यूएचओ के मानकों से 78 फीसदी ज्यादा नमक खा रहे भारतीय पुरुष: आईसीएमआर स्टडी

आईसीएमआर और एम्स, दिल्ली के शोधकर्ताओं द्वारा की गई रिसर्च से पता चला है कि एक औसत भारतीय तय मानकों से 60 फीसदी ज्यादा नमक का सेवन कर रहा है
फोटो: आईस्टॉक
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खाने में जरूरत से ज्यादा या कम नमक उसका स्वाद बिगाड़ सकता है, लेकिन खाने में इसकी सही मात्रा केवल स्वाद ही नहीं, सेहत के लिहाज से भी बेहद मायने रखती है। वैसे भी हम भारतीय नमकीन और चटपटा खाने के कुछ ज्यादा ही शौकीन हैं। इसकी पुष्टि इंडियन कॉउन्सिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के नेशनल सेंटर फॉर डिजीज इंफॉर्मेटिक्स एंड रिसर्च और एम्स, दिल्ली के शोधकर्ताओं द्वारा की गई रिसर्च भी करती है।

रिसर्च से पता चला है कि एक औसत भारतीय तय मानकों से 60 फीसदी ज्यादा नमक का सेवन कर रहा है। यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा तय मानक को देखें तो उसके अनुसार एक व्यस्क को हर दिन करीब पांच ग्राम या उससे कम नमक का सेवन करना चाहिए, जबकि सोडियम की मात्रा दो ग्राम प्रतिदिन से कम होनी चाहिए।

हालांकि अध्ययन की मानें तो एक औसत भारतीय हर दिन आठ ग्राम नमक खा जाता है। वहीं यदि भारतीय पुरुषों की बात करें तो वो हर दिन औसतन 8.9 ग्राम नमक का सेवन कर रहे हैं, जो तय मानकों से करीब 78 फीसदी अधिक है।

अंतराष्ट्रीय जर्नल नेचर साइंटिफिक रिपोर्ट में प्रकाशित इस अध्ययन के नतीजे दर्शाते हैं कि नमक के सेवन के मामलें में भारतीय महिलाएं, पुरुषों से पीछे हैं, जो हर दिन करीब 7.9 ग्राम नमक का सेवन कर रही है, लेकिन यह मात्रा भी तय मानकों से 40 फीसदी ज्यादा है, जो स्वास्थ्य के लिहाज से सही नहीं है।

नमक में आयोडीन पाया जाता है जो शरीर के लिए जरूरी होता है, लेकिन साथ ही खाने में नमक की सही मात्रा पर भी ध्यान देना जरूरी है, क्योंकि ऐसा न करने पर कई तरह की बीमारियां और विकार पैदा हो सकते हैं।

यहां तक की रिपोर्ट में जो नतीजे सामने आए हैं, उनके मुताबिक देश में जो लोग मोटापे की समस्या से पीड़ित हैं वो भी हर दिन औसतन 9.2 ग्राम नमक का सेवन कर रहे हैं। इसी तरह जिन लोगों को हाई ब्लडप्रेशर की समस्या हैं वो भी हर दिन अपने आहार में औसतन 8.5 ग्राम नमक ले रहे हैं, जो स्वास्थ्य के लिहाज से ठीक नहीं हैं।

वहीं जो लोग नौकरीपेशा हैं उनमें यह आंकड़ा 8.6 ग्राम दर्ज किया गया, जबकि तम्बाकू का सेवन करने वाले लोग हर दिन अपने भोजन में औसतन 8.3 ग्राम नमक का सेवन करते हैं, जो तय मानकों से कहीं ज्यादा है।

इस बारे में लोगों पर किए सर्वेक्षण से पता चला है कि करीब 43.8 फीसदी वयस्क हर सप्ताह एक से छह दिन घर का बना नमकीन भोजन खाते हैं, जबकि 36.1 फीसदी ने माना कि वो महीने में कम से कम एक बार (एक से तीन दिन या उससे कम) नमकीन, पापड़ और चिप्स जैसे नमक युक्त स्नैक्स लेते रहे हैं।

रिसर्च से पता चला है कि भारत में करीब 28.1 फीसदी मौतों के लिए हृदय संबंधी रोग (सीवीडी) जिम्मेदार हैं। यदि 2016 के आंकड़ों को देखें तो देश में उच्च रक्तचाप के चलते 16.3 लाख लोगों की मौत हो गई थी, जो 1990 में दर्ज की गई 7.8 लाख मौतों के दोगुणा से भी ज्यादा है।

वहीं यदि वैश्विक स्तर पर देखें तो सोडियम युक्त आहार के कारण सात करोड़ विकलांगता समायोजित जीवन वर्षों (डीएएलवाई) का नुकसान हुआ था। इतना ही इस सोडियम और उससे सम्बंधित कार्डियोवास्कुलर बीमारियों के कारण 30 लाख लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था।

सेहत पर जंक फ़ूड के बढ़ते दुष्प्रभावों को लेकर सीएसई भी कर चुका है आगाह

यह कोई पहला अध्ययन नहीं है जिसमें भारतीयों की जरूरत से ज्यादा नमक खाने की आदत को उजागर किया गया है। इससे पहले भी किए गए अध्ययन में इस बात की पुष्टि हुई है। 2007 में किए ऐसे ही एक अध्ययन से पता चला है कि भारतीय तय मानकों से करीब दोगुने नमक का सेवन कर रहे हैं।

आज कहीं न कहीं जिस तरह से पैकेटबंद फास्ट फूड भोजन का चलन बढ़ रहा है वो हमें कहीं ज्यादा बीमार कर रहा है। इनमें मौजूद नमक की असंतुलित मात्रा, हमारी सेहत का संतुलन बिगाड़ रही है।

गौरतलब है कि इससे पहले सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) ने भी अपने अध्ययन में जंक फूड और पैकेटबंद भोजन को लेकर आगाह किया था। इस बारे में जारी रिपोर्ट का कहना है कि इस तरह का भोजन खाकर हम जाने-अनजाने में खुद को कई बीमारियों के भंवरजाल में धकेल रहे हैं। इस अध्ययन के नतीजे दर्शाते हैं कि जंक फूड में नमक, वसा, ट्रांस फैट की अत्यधिक मात्रा होती है जो मोटापा, उच्च रक्तचाप, मधुमेह और हृदय सम्बन्धी बीमारियों के लिए जिम्मेवार है।

इस रिपोर्ट में लोगों के पसंदीदा जंक फूड में अत्यधिक नमक होने की पुष्टि हुई है। उदाहरण के लिए अध्ययन में जांचे गए टू यम मल्टीग्रेन चिप्स के चिप्स पैकेट्स में 30 ग्राम चिप्स में एक ग्राम नमक ज्यादा पाया गया। दूसरे शब्दों में कहें तो दिन भर में स्नैकर के तहत 30 ग्राम का यह चिप्स मानकों से दोगुना ज्यादा नमक आपके शरीर में पहुंचाएगा। मतलब की यदि आपने इसे एक बार खा लिए है तो दोबारा स्नैक्स लेने से पहले सोचने की जरूरत है।

इसी तरह अध्ययन में नोर के क्लासिक थिक टोमेटो सूप में निर्धारित सीमा से 12 गुणा ज्यादा नमक पाया गया। हल्दीराम के नट क्रेकर में भी आठ गुणा अधिक था। इसी तरह 100 ग्राम के चिप्स और नमकीन के लिए वसा की सीमा आठ ग्राम निर्धारित है, लेकिन अधिकांश चिप्स और नमकीन में यह दो से छह गुणा ज्यादा पाया गया है।

इसी तरह हल्दीराम की आलू भुजिया खाते ही आप आरडीए मानकों द्वारा तय 21 फीसदी नमक खा लेते हैं, लेकिन ग्राहक किसी भी तरीके से यह नहीं जान सकता है कि इस नमकीन और चिप्स को खाते हुए वह कितनी मात्रा में नमक खा चुका है। सीएसई के जरिए जांचे गए 14 पैकेटबंद भोजन में 10 ने अपने उत्पादों में सोडियम के बारे में बताया है लेकिन नमक के बारे में नहीं।

हाल ही में जर्नल साइंस ट्रांसलेशनल मेडिसिन में प्रकाशित रिसर्च से पता चला है कि जरुरत से ज्यादा नमक आपके इम्यून सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकता है। इस बारे में यूनिवर्सिटी ऑफ बोन के इंस्टीट्यूट ऑफ एक्सपेरिमेंटल इम्यूनोलॉजी में प्रोफेसर डॉ क्रिश्चियन कुर्ट्स का कहना है कि “अधिक मात्रा में नमक के सेवन से ब्लड प्रेशर में इजाफा हो जाता है, जिससे दिल का दौरा पड़ने या स्ट्रोक होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके साथ ही हमें यह भी पता चला है कि अधिक मात्रा में नमक का सेवन शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर देता है।“

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