भारत में क्षय रोग (टीबी) विकसित करने वाले एचआईवी संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ रही है। 25 सितंबर, 2019 को भारत सरकार द्वारा जारी की गई टीबी रिपोर्ट 2019 में यह खुलासा किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एचआईवी और टीबी से एक साथ पीड़ित होने पर मौत होने की आशंका बढ़ जाती है।
इस समूह में वायरस के बिना व्यक्तियों की तुलना में टीबी विकसित होने की 21 गुना अधिक संभावना है। एचआईवी संक्रमण और टीबी एक साथ होने पर मृत्य दर अधिक होती है। एचआईवी पीड़ित लोगों की मौत का 25 फीसदी कारण टीबी पाया गया। भारत के लिए ये आंकड़े निराशाजनक हैं, क्योंकि यह दुनिया का तीसरा सबसे अधिक एचआईवी बोझ वाला देश है, जिसमें वयस्कता 0.22 प्रतिशत है।
2019 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में टीबी के साथ-साथ एचआईवी के संक्रमण से पीड़ितों की संख्या लगभग 50,000 है, जबकि टीबी के कुल मामले कुल 2,155,894 हैं। यानी कि टीबी-एचआईवी पीड़ितों की का प्रतिशत 3.4 है, जबकि 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक, यह दर 3 फीसदी थी। 2018 में टीबी के कुल मामले 1,444,175 थे, जिनमें से 43,253 मामले टीबी-एचआईवी संक्रमित रोगियों की थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि हर साल लगभग 11 हजार एचआईबी-टीबी सह संक्रमित रोगियों की मौत होती है। ऐसे मामले सबसे अधिक नागालैंड (15.6 प्रतिशत) के बाद कर्नाटक (10 प्रतिशत) और चंडीगढ़ में 9.1 प्रतिशत और मणिपुर में 8.9 प्रतिशत रिकॉर्ड किए गए।
डायबिटीज जिम्मेवार
रिपोर्ट में कहा गया है कि टीबी के 5 लाख से अधिक मामलों के लिए डायबिटीज को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक डायबिटीज के बाद टीबी होने का जोखिम लगभग दो-तीन गुना बढ़ जाता है। इसके अलावा, डायबिटीज की वजह से टीबी रोगी के दिनचर्या को भी खराब कर सकता है, और डायबिटीज वाले लोगों में टीबी ग्लाइसेमिक कंट्रोल को खराब कर सकता है। इसके अलावा डायबिटीज से टीबी के इलाज में दिक्कतें बढ़ जाती है। इससे रोगी के मौत होने की आशंका बढ़ जाती है या टीबी रोगी को ठीक होने में अधिक समय लग सकता है।
तंबाकू है बड़ी वजह
रिपोर्ट में टीबी होने की बड़ी वजह तंबाकू सेवन को माना गया है और कहा गया है कि टीबी होने के 8 फीसदी मामले तंबाकू सेवन के कारण होते हैं।
इन राज्यों में हैं अधिक टीबी रोगी
उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 4.2 लाख टीबी रोगी हैं। यह कुल टीबी रोगियों का लगभग 20 फीसदी है। इसके बाद कुल रोगियों के मुकाबले महाराष्ट्र में लगभग 10 फीसदी, राजस्थान में सात फीसदी, मध्यप्रदेश और गुजरात में भी लगभग 7 फीसदी, तमिलनाडु, बिहार व पश्चिम बंगाल में 5 फीसदी है।
अधिसूचित नहीं हो रहे हैं मामले
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 में 21.5 लाख टीबी रोगी अधिसूचित हुए हैं, लेकिन अनुमान है कि भारत में टीबी रोगियों की संख्या 27 लाख से अधिक है, ऐसे में बाकी मामलों में क्या हो रहा है, इस बारे में सरकार को नहीं पता।
बच्चों में टीबी
टीबी रिपोर्ट 2019 में कहा गया है कि देश में 15 साल से कम उम्र के बच्चों में टीबी रोग बढ़ा है और 133059 बच्चों को टीबी रोगी के तौर पर अधिसूचित किया गया है। ये मामले उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक पाए गए हैं। एमडीआर टीबी एक बार दवा शुरू करने के बाद बीच में दवा छोड़ने से टीबी दोबारा हो जाती है, इसे मल्टी ड्रग रेसिसटेंस (एमडीआर) कहा जाता है। दुनिया में ऐसे मामले में 114237 हैं, इनमें 26966 भारत में हैं। इसी तरह एक्सटेंसिव ड्रग रेसिसटेंस के मामले भी भारत में 2130 हैं, जबकि दुनिया में इनकी संख्या 8000 है।