कोविड वैक्सीन में पक्षपात से भारत को हो सकता है 58 लाख करोड़ रुपए का नुकसान

वैश्विक टीकाकरण में फैली असमानता के चलने होने वाला यह नुकसान भारत के सकल घरेलू उत्पाद के 27 फीसदी हिस्से के बराबर है
कोविड वैक्सीन में पक्षपात से भारत को हो सकता है 58 लाख करोड़ रुपए का नुकसान
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वैश्विक स्तर पर कोविड-19 के टीकाकरण में व्याप्त असमानताओं के चलते भारत को करीब 57,70,454 करोड़ रुपए (78,600 करोड़ डॉलर) का नुकसान हो सकता है जोकि उसकी सकल घरेलू उत्पाद के 27 फीसदी के बराबर है। वहीं, दूसरी तरफ वैश्विक टीकाकरण में विफल रहने पर अमीर देशों को औसतन प्रति व्यक्ति 146,831 रुपए (2,000 डॉलर) का नुकसान हो सकता है। यह जानकारी अंतराष्ट्रीय संगठन ऑक्सफेम द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में सामने आई है।

इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स के अनुमान के अनुसार यदि दुनिया के अमीर देश दुनिया में हर व्यक्ति के लिए कोविड-19 के टीकाकरण का मार्ग प्रशस्त नहीं करते तो वैश्विक अर्थव्यवस्था को कुल 675,42,214 करोड़ रुपए (9.2 लाख करोड़ डॉलर) का नुकसान पहुंचेगा।

यदि अमीर देशों को प्रति व्यक्ति होने वाले नुकसान की बात करें तो अमेरिका में प्रति व्यक्ति 198,222 रुपए (2,700 डॉलर) का नुकसान हो सकता है। जिससे अमेरिका में जीडीपी को 95,44,008 करोड़ रुपए (130,000 करोड़ डॉलर) का नुकसान होगा। वहीं ब्रिटेन में प्रति व्यक्ति 1,380 डॉलर, फ्रांस में प्रति व्यक्ति 1,239 डॉलर, जापान में 1,451 डॉलर, इटली में 1,495 और कनाडा में प्रति व्यक्ति 1,979 डॉलर का नुकसान होगा।

ऐसे में इन देशों को चाहिए कि वो वैश्विक अर्थव्यवस्था में 47,72,004 करोड़ रुपए (65,000 करोड़ डॉलर) के निवेश के लिए सहमत हो जाएं जिससे विकासशील देश पहले से ही इस महामारी के चलते हो रहे नुकसान और विनाशकारी प्रभावों से निपटने में मदद मिल सके।

ऐसे में ऑक्सफैम ने आईएमएफ के सदस्यों से आग्रह किया है कि वो अमीर देशों को इस बात के लिए राजी करें जिससे गरीब देशों को एक साल के लिए अपने स्वास्थ्य खर्च को दोगुना करने में मदद मिलेगी। साथ ही इससे दुनिया के सामने एक सकारात्मक सन्देश भी जाएगा। हालांकि, ऑक्सफैम ने चेतावनी दी है कि कोविड-19 वैक्सीन के वैश्विक उत्पादन और वितरण के जो दृष्टिकोण वर्तमान में अपनाया गया है उसके कारण वो आवश्यकता की तुलना में बहुत कम है।

हाल ही में रॉकफेलर फाउंडेशन द्वारा जारी रिपोर्ट से पता चला है कि आईएमएफ के आपातकालीन भंडार से 323,028 करोड़ रुपए (4,400 करोड़ डॉलर) की सहायता, 2022 के अंत तक निम्न और मध्यम आय वाले देशों में 70 फीसदी आबादी के लिए टीकाकरण में मदद कर सकती है। जिससे अमीर देशों पर कोई अतिरिक्त खर्च नहीं आएगा।

ऑक्सफैम की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रबंधक अन्ना मैरियट जोकि पीपुल्स वैक्सीन एलायंस का भी हिस्सा हैं के अनुसार, अमीर देश अन्य व्यवसायों और उनकी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में फार्मास्युटिकल्स क्षेत्र के हितों का बचाव कर रहे हैं। जोकि बड़ा विचित्र है क्योंकि यह वित्तीय और आर्थिक हितों को नुकसान पहुंचा रहा है। जिसके लिए न केवल अन्य लोग बल्कि उनके नागरिक ही उनकी निंदा कर रहे हैं। ऐसे में ऑक्सफैम, पीपुल्स वैक्सीन एलायंस के अन्य सदस्यों के साथ वैक्सीन में व्याप्त असमानता को दूर करने के लिए जोर दे रहा है। जहां अमीर देश एक व्यक्ति को दूसरी खुराक दे रहें हैं वहीं कई विकासशील देशों में अभी तक पहली खुराक का ही इंतजाम नहीं हुआ है।

ऐसे में यह एलायंस अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और अन्य प्रमुख नेताओं से वैश्विक दवा निर्माण में व्याप्त एकाधिकार और बौद्धिक संपदा नियमों को हटाने की सिफारिश कर रहा है जिससे वैश्विक स्तर पर टीकाकरण को बढ़ाया जा सके।

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