एनीमिया और बच्चों में कम वजन को रोकने में भारत ने नहीं की प्रगति: रिपोर्ट

रिपोर्ट के अनुसार, 15-49 आयु वर्ग की आधी से अधिक भारतीय महिलाएं एनीमिया से ग्रस्त हैं
एनीमिया और बच्चों में कम वजन को रोकने में भारत ने नहीं की प्रगति: रिपोर्ट
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भारत ने एनीमिया और बचपन की बर्बादी की रोकथाम के मामले में कोई प्रगति नहीं की है। 23 नवंबर, 2021 को जारी 2021 ग्लोबल न्यूट्रिशन रिपोर्ट (जीएनआर, 2021) में ये बातें कही गई हैं। भारत समेत 161 देशों को रिपोर्ट में शामिल किया गया है, जिसमें कहा गया है कि एनीमिया को कम करने में भारत ने कोई  प्रगति नहीं की है या इसकी स्थिति और खराब होने की बात कही है।

रिपोर्ट के अनुसार, 15-49 आयु वर्ग की आधी से अधिक भारतीय महिलाएं एनीमिया से ग्रस्त हैं। साल 2016 से एनीमियाग्रस्त भारतीय महिलाओं की तादाद में इजाफा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2016 में 52.6 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से पीड़ित थीं, लेकिन साल 2020 में एनीमिया से पीड़ित महिलाओं की संख्या 53 फीसदी हो गई।

भारत उन 23 देशों में भी शामिल है, जिन्होंने 'बच्चों में लम्बाई के हिसाब से कम वजन' को कम करने में कोई प्रगति नहीं की है या स्थिति और बिगड़ी है। कम वजन से तात्पर्य उन बच्चों से है जिनका वजन उनकी लम्बाई के हिसाब से कम है।

भारत में 5 वर्ष से कम उम्र के 17 प्रतिशत से अधिक बच्चे इससे प्रभावित हैं। यह आंकड़ा एशिया के औसत से काफी अधिक है। एशिया में करीब 9 फीसदी बच्चे इससे प्रभावित हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, 13 वैश्विक पोषण लक्ष्यों में से भारत सात लक्ष्यों को पूरा नहीं कर सका है, जिनमें सोडियम का सेवन, बढ़ा हुआ ब्लड प्रेशर (पुरुष और महिला दोनों), मोटापा (पुरुष और महिला दोनों) और शुगर (पुरुष और महिला दोनों) शामिल हैं।

देश के लगभग 6.2 प्रतिशत वयस्क (18 वर्ष और उससे अधिक आयु) महिलाएं और 3.5 प्रतिशत वयस्क पुरुष मोटापे से ग्रस्त हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि असल में दुनिया का कोई भी देश मोटापा कम करने के लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाया है।

हालांकि, बौनापन के लक्ष्य को पूरा करने के मामले में प्रगति देखी जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत उन 53 देशों में शामिल है, जो बौनापन कम करने के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। लेकिन, इसके बावजूद भारत में 5 साल से कम उम्र के 34 फीसदी से अधिक बच्चे अब भी इससे प्रभावित हैं।

ये आंकड़े एशिया के औसत से अधिक हैं। एशिया के करीब 22 फीसदी बच्चे बौनापन के शिकार हैं। भारत उन 105 देशों में शामिल है जो 'बचपन में मोटापा' के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, वहींं,

स्तनपान के मामले में भारत उन 53 देशों में शामिल है, जो स्तनपान बढ़ाने के लक्ष्य में प्रगति कर रहे हैं।  रिपोर्ट के अनुसार, 0 से 5 महीने के आयु वर्ग के लगभग 58 प्रतिशत शिशुओं को भारत में विशेष रूप से स्तनपान कराया जाता है।

रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 'जन्म के समय कम वजन' के पर्याप्त आंकड़े नहीं हैं। वार्षिक वैश्विक पोषण रिपोर्ट वैश्विक पोषण लक्ष्यों में हो रही प्रगति के बारे में बताती है।

रिपोर्ट मानव स्वास्थ्य और ग्रह पर खराब आहार के प्रभाव का भी मूल्यांकन, पोषण के लिए फाइनेंसिंग का आकलन और विकास प्रतिबद्धताओं के लिए पिछले पोषण लक्ष्यों  पर रिपोर्टिंग का एक व्यापक नजरिया प्रदान करती है।

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