Photo: wikimedia commons
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बच्चों पर नहीं होता कोविड-19 का असर, लेकिन...

651 बच्चों में किए गए सर्वेक्षण के बाद पाया गया कि अगर बच्चों को एमआईएस-सी बीमारी भी है तो कोरोनावायरस उनके लिए घातक हो सकता है
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कोविड-19 के मरीजों के साथ अस्पताल में किए गए सबसे बड़े अध्ययन के अनुसार, बच्चों और किशोरों के स्वास्थ्य पर कोविड-19 का प्रभाव कम पड़ता है, इनके इस बीमारी से मरने की आशंका बहुत कम होती है, लेकिन अगर कोविड-19 के साथ-साथ बच्चों में सूजन जैसी बीमारी (इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम)  भी होती है तो उनके लिए घातक हो सकता है। यही वजह है कि शोधकर्ताओं ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम इन चिल्ड्रन (एमआईएस-सी) से ग्रसित बच्चों की पहचान करने, उनके इलाज में सुधार करने में मदद करने की अपील की है। 

क्या है मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (एमआईएस-सी)?

बच्चों में मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (एमआईएस-सी) एक ऐसी स्थिति है, जिसमें विभिन्न शरीर के अंगों में सूजन हो सकती है, जिसमें हृदय, फेफड़े, गुर्दे, मस्तिष्क, त्वचा, आंखें या जठरांत्र संबंधी अंग शामिल हैं।

हाल ही में एडिनबर्ग और लिवरपूल, इंपीरियल कॉलेज लंदन और रॉयल हॉस्पिटल फॉर चिल्ड्रन, ग्लासगो के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन किया। यह अध्ययन इंटरनेशनल सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी एंड इमर्जिंग इन्फेक्शन कंसोर्टियम (इसारिक4सी) के नेतृत्व में किया गया, जिसमें 19 वर्ष से कम उम्र के 651 बच्चों और किशोरों को शामिल किया गया। इनमें से 42 प्रतिशत रोगियों में कम से कम एक में एक समान बीमारी थी, जिनमें सबसे सामान्य न्यूरोलॉजिकल स्थिति और अस्थमा की बीमारी शामिल थे। जबकि 52 रोगी एमआईएस-सी से पीड़ित थे। 

शोधकर्ताओं ने पाया कि कोविड -19 से मरने वाले बच्चों और किशोरों की संख्या वयस्कों की मृत्यु की तुलना में बहुत कम, मात्र छह थी। मरने वाले तीन नवजात बच्चे अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के साथ पैदा हुए थे। तीन अन्य बच्चे 15 से 18 वर्ष की आयु के थे और उन्हें अन्य स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं थीं। जबकि एमआईएस-सी से पीड़ित बच्चों को पांच गुणा अधिक देखभाल की जरूरत थी। 

अध्ययन के दौरान एमआईएस-सी वाले बच्चों में कोविड -19 के लक्षण पाए गए। इनमें सिरदर्द, थकान, मांसपेशियों में दर्द और गले में खराश शामिल हैं। अध्ययन में यह भी पाया गया कि प्लेटलेट्स की संख्या एमआईएस-सी वाले बच्चों के रक्त में बहुत कम थी। 

यह अध्ययन बीएमजे नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। एडिनबर्ग विश्वविद्यालय में बाल चिकित्सा संक्रामक रोगों में क्लिनिकल लेक्चरर और प्रमुख अध्ययनकर्ता डॉ. ओलिविया स्वान ने कहा कि हमने अध्ययन में पाया कि कोविड-19 की वजह से इंग्लैंड में भर्ती रोगियों में बच्चों की संख्या 1 प्रतिशत के आसपास है। उनमें भी गंभीर बीमारी नहीं दिखाई दी। जो स्पष्ट करता है कि बच्चों में कोविड-19 का असर बहुत कम है। 

यूनिवर्सिटी ऑफ लिवरपूल में बाल स्वास्थ्य और सांस रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर कैलम सेम्पल ने कहा कि बच्चों और किशोरों में कोविड-19 के साथ-साथ एमआईएस-सी से पीड़ित होना एक अच्छा संकेत नहीं है। जो हालांकि दुर्लभ है, लेकिन इस पर ध्यान देना बहुत आवश्यक है। 

मेडिकल रिसर्च काउंसिल के मुख्य कार्यकारी प्रोफेसर फियोना वाट ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण अध्ययन है जिसमें इंग्लैंड, वेल्स और स्कॉटलैंड के 138 अस्पतालों को शामिल किया गया है, जिसमें दिखाया गया है कि बच्चों और किशोरों में वयस्कों की तुलना में खतरनाक कोविड-19 विकसित होने या बीमारी से मरने की आशंका कम है। निष्कर्ष बताते हैं कि किशोरों का कोविड-19 की बीमारी से अस्पताल में भर्ती होना के बराबर है।

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