आईआईटी दिल्ली के स्टार्टअप ने बनाया नया मास्क 'एनसेफ', 50 बार तक धोकर किया जा सकता है इस्तेमाल

आईआईटी दिल्ली के स्टार्टअप नैनोसेफ सोल्युशन्स ने एक नया मास्क 'एनसेफ' बनाया है, यह मास्क 3 माइक्रोन के आकार के कणों को 99.2 फीसदी तक रोक सकता है
आईआईटी दिल्ली के स्टार्टअप ने बनाया नया मास्क 'एनसेफ', 50 बार तक धोकर किया जा सकता है इस्तेमाल
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आईआईटी दिल्ली के स्टार्टअप नैनोसेफ सोल्युशन्स ने एक नया मास्क बनाया है, जिसे 50 बार धोकर भी इस्तेमाल किया जा सकता है| उन्होंने इस मास्क को 'एनसेफ' नाम दिया है| स्टार्टअप का दावा है कि यह मास्क 99.2 फीसदी तक बैक्टीरिया (3 माइक्रोन तक) को रोक सकता है| उनके अनुसार यह मास्क एएसटीएम मानकों पर भी खरा है| जिससे इसे प्रयोग करने वालों में सांस लेने सम्बन्धी दिक्कत नहीं होती| साथ ही यह काफी आरामदेह भी है|

यह मास्क एक प्रीमियम उत्पाद है| जिसके लिए आपको 2 मास्क के पैक के करीब 299 और 4 मास्क के पैक के करीब 589 रूपए चुकाने पड़ सकते हैं| हालांकि यह मास्क 50 बार तक धोकर इस्तेमाल किया जा सकता है, इसलिए यह इसकी कीमत को काफी कम कर देता है| चूंकि देश में सभी के लिए फेसमास्क लगाना अनिवार्य कर दिया गया है ऐसे में सिंगल यूज़ मास्क काफी महंगे पड़ते हैं| साथ ही उनसे होने वाला कचरा भी एक बड़ी समस्या है| यही वजह है कि सिंगल यूज़ मास्क पर्यावरण के लिए भी एक समस्या हैं| यह स्टार्टअप आईआईटी दिल्ली की पूर्व छात्रा डॉ अनसूया रॉय और प्रोफेसर मंगला जोशी, जोकि आईआईटी दिल्ली के टेक्सटाइल एंड फाइबर इंजीनियरिंग विभाग से जुड़े है, ने मिलकर बनाया है।

रोगाणुओं को रोकने में तीन अलग तरह से काम करता है यह मास्क

उनका यह मास्क 'एनसेफ' तीन परतों में बना है| जिसमें आराम को ध्यान में रखकर सबसे निचली परत को हाइड्रोफिलिक बनाया गया है जिससे वो चेहरे पर ज्यादा आरामदेह रहती है| जबकि बीच वाली परत को रोगाणुओं को रोकने के लिए ध्यान में रखकर बनाया गया है| जबकि सबसे ऊपरी परत को पानी और तेल जैसे तरल को रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया है| यही वजह है कि यह मास्क रोगाणुओं को रोकने में ज्यादा कारगर हो सकता है| जिसके वजह से यह मास्क फ़िल्टर के रूप में काम करता है| साथ ही रोगाणुओं को डिकंटेमिनेट कर देता है| साथ ही ऊपरी परत एयरोसोल्स को अंदर जाने से रोक देती है| इस तरह से यह रोगाणुओं पर तीन तरह से काम करता है|

स्टार्टअप के अनुसार हर 'एनसेफ' मास्क को पैकेजिंग से पहले ड्राई-क्लीन किया जाता है और उसे हाइजीनिक परिस्थितियों में पैक किया जाता है। प्रत्येक उपयोग (लगभग 8-9 घंटे) के बाद, मास्क को हल्के डिटर्जेंट के साथ ठंडे पानी में हैंडवाश करना पड़ता है और उसके बाद उसे सूरज की रोशनी में अच्छी तरह से सूखा लेना चाहिए। इस तरह 50 बार उपयोग करने के बाद इस मास्क को एक सील पॉलीथीन बैग में रखकर ढंके हुए कचरे के डिब्बे में फेंक देना चाहिए।

गौरतलब है कि इससे पहले भी आईआईटी दिल्ली के एक प्रोफेसर और उनके स्टार्टअप 'इटेक्स' ने एक मास्क 'कवच' विकसित किया था| जिसकी कीमत 45 रूपए रखी गयी थी| यह मास्क एन95 जितना ही कारगर है, पर उसकी कीमत उससे काफी कम रखी गयी है| इस स्टार्टअप से जुड़े प्रोफेसर बिपिन कुमार का दावा था कि यह मास्क 3 माइक्रोन के आकार के कणों को 98 फीसदी तक रोक सकता है।

दुनिया के करीब 212 देशों में कोरोनावायरस फ़ैल चुका है| जिसके अब तक 38 लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं| भारत में भी अब तक 50 हजार से ज्यादा लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं| ऐसे में स्वास्थ्य से जुड़े सामान की कमी होना लाजिमी ही है| चूंकि यह वायरस खांसने, छींकने, और मानव संपर्क से फैलता है, इसलिए दुनिया भर में मास्क को कोरोनावायरस को रोकने के एक प्रभावी टूल के रूप में देखा जा रहा है| ऐसे में कम कीमत पर किसी प्रभावी मास्क की उपलब्धता फायदेमंद हो सकती है|

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