महामारी में ओलंपिक का इतिहास

1920 के एंटवर्प ओलंपिक खेलों पर पहली बार महामारी का साया पड़ा था
1920 में हुए ओलंपिक खेलों का एक दृश्य। फोटो: ओलंपिक डॉट कॉम
1920 में हुए ओलंपिक खेलों का एक दृश्य। फोटो: ओलंपिक डॉट कॉम
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कोरोनावायरस महामारी के कारण पिछले साल टोक्यो में होने वाले ओलंपिक खेल स्थगित कर दिए गए और अब लगभग 1 वर्ष बाद 23 जुलाई 2021 से खेलों का यह महाकुंभ शुरू हो चुका है। ओलंपिक खेलों को महामारियां प्रभावित करती रही हैं लेकिन ऐसा पहली बार हुआ जब इन खेलों को सिर्फ महामारी (कोविड-19) के कारण साल भर के लिए स्थगित करना पड़ा। हालांकि दुनियाभर में लोग अब भी महामारी में ओलंपिक के आयोजन पर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि ओलंपिक खेलों से कोविड-19 महामारी न केवल जापान बल्कि दुनियाभर में फिर तेजी से पैर पसार सकती है।

कुछ ऐसी ही स्थिति आज से करीब 100 साल पहले भी थी। लेजर साइंस जर्नल में मई 2020 में प्रकाशित ब्राम कॉन्स्टेंडिट और एनिक विलेम का अध्ययन बताता है कि कोविड-19 पहली महामारी नहीं है जिससे ओलंपिक खेलों पर असर डाला हो। 1920 के एंटवर्प ओलंपिक खेलों पर पहली बार महामारी का साया पड़ा था। उस समय दुनिया प्रथम विश्व युद्ध के साथ 1918-19 में फैली स्पेनिश फ्लू महामारी से जूझ रही थी। कोरोना महामारी की तरह ही स्पेनिश फ्लू महामारी ने 5 करोड़ से अधिक लोगों की जिंदगी छीन ली थी। उस समय ओलंपिक खेलों के आयोजन के पीछे अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति का तर्क था कि ये खेल स्पेनिश फ्लू और प्रथम विश्व युद्ध के बाद दुनिया को एक सूत्र में पिरोएंगे और युद्ध और महामारी के घावों पर मरहम लगाने का काम करेंगे।

इस ओलंपिक में पहली बार ओलंपिक शपथ, ओलंपिक झंडे और कबूतरों को उड़ाने की शुरुआत हुई। इन प्रतीकों ने अंतरराष्ट्रीय शांति और दुनिया को एकजुट करने में ओलंपिक आंदोलन के महत्व पर रोशनी डाली। समिति के उत्साह के बावजूद खेलों पर स्पेनिश फ्लू का खतरा मंडरा रहा था। इस महामारी की अंतिम लहर 1920 के वसंत ऋतु में आई थी। अखबारों में आए दिन महामारी की नई लहर सुर्खियां बना रही थी। यह महामारी इतनी भीषण थी कि ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले बहुत से खिलाड़ी मारे गए। उस समय बेल्जियम के लिए महामारी और विश्व युद्ध के बाद ओलंपिक की तैयारी करना आसान नहीं था। इस ओलंपिक में जमकर राजनीति भी हुई।

बेल्जियन ओलंपिक समिति ने युद्ध में शामिल केंद्रीय शक्तियों- जर्मनी, ऑस्ट्रिया, हंगरी, बुल्गारिया और ओटोमन साम्राज्य को निमंत्रण नहीं दिया। वहीं सोवियत संघ ने भी इसमें हिस्सा लेने से इनकार कर दिया। बहरहाल, 14 अगस्त 1920 को एंटवर्प ओलंपिक की शुरुआत हुई और 2,600 एथलीटों ने इसमें हिस्सा लिया। इसी ओलंपिक में खेलों के महाकुंभ का प्रतीक यानी आपस में जुड़े पांच रिंग जारी हुए। ये पांच रिंग दुनिया के पांच महाद्वीपों के प्रतीक हैं।

यह अलग बात है कि युद्ध और महामारी के कारण बहुत से खिलाड़ियों की मौत हो चुकी थी। 9 बार ओलंपिक मेडल जीतने वाले एथलीट मार्टिन शेरिडन भी फ्लू की चपेट में आकर जान गवां बैठे। विपरीत परिस्थितियों में इन खेलों के आयोजन से बेल्जियन ओलंपिक कमिटी तीन सालों के भीतर दिवालिया हो गई क्योंकि लोग महंगी टिकट खरीद पाने में अक्षम थे। बेल्जियम को इन खेलों से 600 मिलियन फ्रैंक्स का नुकसान हुआ। यह ओलंपिक खराब सुविधाओं के लिए भी जाना जाता है।

इंडियन जर्नल ऑफ ऑर्थोपेडिक्स में मई 2020 में प्रकाशित अध्ययन में एमएस ढिल्लो लिखते हैं कि 1998 में जापान के नागामो में हुआ शीतकालीन ओलंपिक फ्लू से प्रभावित होने वाला दूसरा ओलंपिक था। ओलंपिक में हिस्सा लेने आए बहुत से खिलाड़ी फ्लू फैलने पर ओलंपिक विलेज से बाहर निकलकर होटलों में रहने आ गए। स्वर्ण मेडल जीतने के बहुत से दावेदार बीमार पड़ गए और कुछ ने खुद को ओलंपिक से अलग कर लिया। करीब 8,000 पत्रकार फ्लू से बुरी तरह प्रभावित हुए। फ्लू के कारण आसपास के बहुत से स्कूल बंद कर दिए गए। हालांकि इतना सब कुछ होने के बाद भी ओलंपिक खेलों का आयोजन किया गया।

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