कैंसर के मामलों में हिमाचल दूसरे नंबर पर, राज्य सरकार ने मुफ्त इलाज की घोषणा की

विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को इलाज के साथ-साथ कैंसर के प्रसार को रोकने की दिशा में भी काम करना चाहिए
फोटो कैप्सनः कीट व बीमारियों से बचाने के लिए सेब के पौधों में स्प्रे करता शिमला जिला का बागवान। फोटो: रोहित पराशर
फोटो कैप्सनः कीट व बीमारियों से बचाने के लिए सेब के पौधों में स्प्रे करता शिमला जिला का बागवान। फोटो: रोहित पराशर
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हिमाचल प्रदेश में कैंसर के बढ़ते मामले को देखते हुए राज्य सरकार ने 42 दवाइयों और कुछ इंजेक्शन निशुल्क उपलब्ध करवाने की घोषणा तो की है, लेकिन अब तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि राज्य में कैंसर के मामले क्यों बढ़ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कैंसर के उपचार के साथ-साथ राज्य सरकार को ऐसे ठोस इंतजाम भी करने चाहिए, जिससे कैंसर का प्रसार रुक सके।

राज्य सरकार द्वारा मुफ्त दी जा रही दवाइयों में ट्रासटूजूम्ब टीका भी शामिल है, जिसकी कीमत लगभग 40 हजार रुपये के करीब है। ब्रेस्ट कैंसर के मरीज को इलाज के लिए हर साल ऐसे 18 टीकों की आवश्यकता होती है। इस टीके को उपलब्ध करवाने के लिए प्रत्येक मरीज पर हिमाचल सरकार लगभग सात लाख रुपए खर्च करेगी।

मुख्यमंत्री ने ही जानकारी दी कि देश के पूर्वोत्तर राज्यों में कैंसर के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। हिमाचल प्रदेश कैंसर के मामलों में देश में दूसरे स्थान पर आ गया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2021 में जहां हिमाचल में कैंसर के 8978 मामले थे वहीं 2022 में यह बढ़कर 9164, 2023 में 9373 और 2024 में 9566 हो गए।

प्रदेश में सबसे ज्यादा लंग (फेफड़े) कैंसर और ब्रेस्ट कैंसर के मामले देखने को मिल रहे हैं। हालांकि प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य में जनसंख्या आधारित कैंसर रजिस्ट्री आरंभ की जाएगी। इसके तहत कैंसर के मामलों व संख्या का अध्ययन किया जाएगा और कैंसर के मामलों की स्क्रीनिंग के लिए एक जिला में पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जाएगा।

प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज, शिमला के रेडियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. मनीष गुप्ता ने बताया कि अकेले उनके अस्पताल में हर साल नए 2500 से 3000 कैंसर के रोगी इलाज के लिए आ रहे हैं।

बढ़ते मामलों को देखते हुए आईजीएमसी और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय आपसी साझेदारी में शोध कर रहे हैं। इस शोध में यह देखा जा रहा है कि खेतों में इस्तेमाल होने वाले कीटनाशकों का कितना हिस्सा पानी के स्रोत में जा रहा है, जिससे जो कैंसर के मामले बढ़ा रहा है। शोध के नतीजे अगले 6 से 8 महीने में सामने आ जाएंगे।

प्रदेश सरकार ने लगभग 300 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं। हमीरपुर जिले में कैंसर केयर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस तैयार किया जा रहा है, जहां न्यूक्लियर मेडिसन का विशेष विभाग स्थापित किया जाएगा, जिसमें बड़ी क्षमता की न्यूक्लियर लैब और साइकलोट्रोन भी उपलब्ध करवाया जाएगा।

कृषि एवं बागवानी विशेषज्ञ डॉ. एसपी भारद्वाज ने बताया कि कैंसर के बढ़ते मामलों के कारणों में सब्जी-फल उत्पादन में रसायनों का बढ़ता प्रयोग भी एक कारण है।

डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी (सोलन) का एक शोध बताता है कि हिमाचल में फल-सब्जियों की खेती में जमकर रसायनों का प्रयोग हो रहा है। 3 से 4 प्रतिशत फल-सब्जियों के नमूनों में कीटनाशक-फफूंदनाशकों के अवशेष की मात्रा तय सीमा से अधिक है। हिमाचल में रसायनों का प्रयोग राष्ट्रीय औसत से 1 प्रतिशत अधिक है।

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