स्वस्थ्य व्यवस्को के शरीर के औसत तापमान में गिरावट के संकेत मिले हैं। अमेजॉन के बोलीविया में बागवानी करने वालों की आबादी जिन्हें त्मिसन कहकर पुकारा जाता है, उनके शरीर के तापमान गिरावट को लेकर यह अध्ययन निष्कर्ष हाल ही में निकला है।
यह अध्ययन कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी सांता बारबरा के प्रोफेसर माइकल गुरवेन और शोधकर्ता थॉमस क्राफ्ट के नेतृत्व में चिकित्सकों, मानवविज्ञानियों और स्थानीय शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने किया है।
16 वर्षों से गुरवेन के बाद से, त्सिमेन हेल्थ एंड लाइफ हिस्ट्री प्रोजेक्ट के सह-निदेशक, और साथी शोधकर्ता त्सिमेन आबादी पर अध्ययन कर रहे हैं। उन्होंने शरीर के औसत तापमान में प्रति वर्ष 0.09 डिग्री फारेनहाइट की कमी देखी गई, आज त्सिमेन के शरीर का तापमान लगभग 36.5 सेंटीग्रेट (97.7 डिग्री फारेनहाइट) है।
स्वस्थ और सामान्य मनुष्य के शरीर का तापमान
जर्मन चिकित्सक कार्ल वुंडरलिच ने एक स्वस्थ और "सामान्य" मनुष्य शरीर के तापमान को 37 डिग्री सेंटीग्रेट (98.6 डिग्री फारेनहाइट) मानक के रूप में स्थापना की। लगभग दो शताब्दियों से थर्मामीटर का उपयोग घरों में तथा डॉक्टरों द्वारा किया जा रहा है। इसका उपयोग बुखार और अक्सर बीमारी की गंभीरता की जांच करने के लिए किया जाता है।
हाल के वर्षों में स्वस्थ्य वयस्कों के शरीर के निचले भाग के तापमान की व्यापक रूप से जांच की गई। यूनाइटेड किंगडम में 2017 में किए गए अध्ययन जिसमें 35,000 वयस्कों को शामिल किया गया था। इस दौरान इनके शरीर का औसत तापमान (36.6 सेंटीग्रेट / 97.9 डिग्री फारेनहाइट) पाया गया। वहीं 2019 में किए गए अध्ययन से पता चला है कि अमेरिकियों में सामान्य शरीर का तापमान 36.4 सेंटीग्रेट (97.5 डिग्री फारेनहाइट) था।
गुरवेन ने कहा दो दशकों से भी कम समय में, लगभग दो शताब्दियों में अमेरिका में भी समान स्तर की गिरावट देखी गई है। उनका विश्लेषण लगभग 5,500 वयस्कों के 18,000 अवलोकनों के एक बड़े नमूने पर आधारित था। कई अन्य कारक जो शरीर के तापमान को प्रभावित कर सकते हैं, जैसे परिवेश का तापमान और शरीर का द्रव्यमान आदि को भी इसमें शामिल किया गया। यह अध्ययन जर्नल साइंस एडवांस में प्रकाशित हुआ है।
गुरवेन ने कहा अमेरिका में लोगों के शरीर के सामान्य तापमान में गिरावट क्यों हुई इसको समझाना कठिन है। लेकिन यह स्पष्ट है कि मानव शरीर के क्रिया विज्ञान में कुछ तो बदलाव हो रहा है। एक प्रमुख परिकल्पना यह भी है कि हमने बेहतर स्वच्छता, साफ पानी, टीकाकरण और चिकित्सा उपचार के कारण समय के साथ संक्रमण फैलने की घटनाएं कम हुई हैं। हमारे अध्ययन में, हम इस बारे में परीक्षण करने में सक्षम थे। हमारे पास प्रत्येक रोगी के नैदानिक जांच और संक्रमण के बायोमार्कर के बारे में पूरी जानकारी है।
गुरवेन ने कहा कुछ संक्रमण ऐसे थे जिनके कारण शरीर का तापमान बढ़ जाता है, मगर ये शरीर के तापमान में गिरावट के लिए जिम्मेदार नहीं थे। उन्होंने कहा हमने अधिकांश अध्ययन के लिए एक ही प्रकार के थर्मामीटर का उपयोग किया, इसलिए यह उपकरण में बदलाव के कारण नहीं हुआ है।
क्राफ्ट ने कहा इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि हमने विश्लेषण कैसे किया, वहां गिरावट देखी जा सकती थी। यहां तक कि जब हमने विश्लेषण को 10 फीसदी से कम वयस्कों तक सीमित कर दिया, जिन्हें चिकित्सकों द्वारा पूरी तरह से स्वस्थ घोषित किया गया था, तब भी हमने समय के साथ शरीर के तापमान में गिरावट देखी।
क्यों आ रही है शरीर के औसत तापमान में गिरावट
एक बुनियादी सवाल यह है कि अमेरिका और त्सिमेन दोनों के लिए समय के साथ शरीर के तापमान में गिरावट क्यों आई है। बोलीविया में टीम के लंबे समय तक शोध से उपलब्ध आंकड़े कुछ आशंकाओं की ओर इशारा करते है। गुरवेन ने बताया आधुनिक स्वास्थ्य देखभाल के बढ़ने और अतीत के मुकाबले हल्के संक्रमण की कम दर के कारण गिरावट हो सकती है। लेकिन जबकि स्वास्थ्य में आम तौर पर पिछले दो दशकों में सुधार हुआ है, ग्रामीण बोलीविया में संक्रमण अभी भी अधिक हैं। हमारे परिणाम बताते हैं कि कम संक्रमण अकेले शरीर के तापमान में गिरावट को स्पष्ट नहीं कर सकता है।
उन्होंने कहा ऐसा हो सकता है कि लोग बेहतर स्थिति में हैं, इसलिए संक्रमण से लड़ने के लिए उनके शरीर को कम काम करना पड़ रहा हैं। एंटीबायोटिक दवाओं और अन्य उपचारों की अधिक पहुंच का मतलब है कि संक्रमण की अवधि पहले की तुलना में कम है। उस तर्क के अनुरूप, गुरवेन ने कहा हमने पाया कि अध्ययन के शुरुआती दौर में श्वसन संक्रमण होने के कारण हाल ही के श्वसन संक्रमण की तुलना में शरीर का तापमान अधिक था।
यह भी संभव है कि इबुप्रोफेन जैसी उत्तेजक दवाओं का अधिक से अधिक उपयोग जलन को कम कर सकता है, हालांकि शोधकर्ताओं ने पाया कि शरीर के तापमान में अस्थायी गिरावट उनके विश्लेषण के बाद भी जलन के बायोमार्कर के लिए जिम्मेदार थे।
क्राफ्ट ने कहा एक और संभावना यह भी है कि हमारे शरीर को गर्मियों में एयर कंडीशनिंग के कारण आंतरिक तापमान को नियमित करने के लिए कड़ी मेहनत करने की ज़रूरत नहीं होती है। जबकि त्सिमान लोगों के शरीर के तापमान वर्ष और मौसम के पैटर्न के साथ बदलते हैं। त्सिमान अभी भी अपने शरीर के तापमान को नियमित करने करने के लिए किसी भी उन्नत तकनीक का उपयोग नहीं करते हैं।
अध्ययन से यह भी पता चलता है कि उष्णकटिबंधीय वातावरण में भी शरीर के तापमान में गिरावट आती है, जहां संक्रमण अभी भी व्यापक स्तर पर फैलता है जो अधिक मृत्यु दर के लिए जिम्मेदार है।
तापमान शरीर में शारीरिक रूप से होने वाले चयापचय थर्मोस्टैट की तरह है। एक बात जो हमें पता चली है वह यह है कि हर समय हर किसी के 'सामान्य' तौर पर शरीर का तापमान एक जैसा नहीं है। 98.6 डिग्री फारेनहाइट पर निर्धारण के बावजूद, अधिकांश चिकित्सक यह स्वीकार करते हैं कि 'सामान्य' तापमान की भी एक सीमा होती है। दिन भर में, शरीर का तापमान 1 डिग्री फारेनहाइट जितना हो सकता है, सुबह सबसे कम, देर से दोपहर में इसका अधिकतम स्तर होता है। यह मासिक धर्म के दौरान और शारीरिक गतिविधि के बाद भी बदलता रहता है और कम हो जाता है।
गुरवेन ने कहा शरीर के तापमान में परिवर्तन के लिए व्यापक महामारी विज्ञान और सामाजिक आर्थिक परिदृश्य में सुधार को जोड़कर देखा जा सकता है। अध्ययन बताता है कि शरीर के तापमान की जानकारी किसी आबादी के समग्र स्वास्थ्य के बारे में जानकारी प्रदान कर सकती है, जैसे कि जीवन प्रत्याशा आदि। शरीर का तापमान मापना सरल है, इसलिए आसानी से इसे नियमित बड़े पैमाने पर सर्वेक्षण में जोड़ा जा सकता है, जिससे आबादी के स्वास्थ्य की निगरानी की जा सकती है।