क्या कोविड-19 से निपटने में अहम भूमिका निभा सकती है ग्रीन टी?

शोधकर्ताओं ने कहा वे ग्रीन टी में मौजूद सबसे अधिक सक्रिय पदार्थ 'गैलोकैटेचिन' का पता लगा रहे हैं, जो कोविड-19 को रोकने या इलाज में अहम भूमिका निभा सकता है।
Photo : Wikimedia Commons
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दुनिया के देशों के साथ-साथ भारत भी कोरोना महामारी से बुरी तरह प्रभावित है, लोग अपनी रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने के लिए काढ़ा तथा तरह-तरह के प्रयास कर रहे हैं। दुनिया भर में कोरोना संक्रमण से बचाव व इसके इलाज को लेकर शोध जारी हैं। इसी क्रम में यूके की स्वानसी विश्वविद्यालय में भारतीय मूल के एक शोधकर्ता इस बात की जांच कर रहे हैं कि ग्रीन टी किस तरह कोविड-19 से निपटने में मददगार हो सकती है।  

डॉ सुरेश मोहन कुमार ने पहले भारत के ऊटी में जेएसएस कॉलेज ऑफ फार्मेसी, जेएसएस एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन एंड रिसर्च में सहयोगियों के साथ इस पर शोध किया। अब डॉ मोहन कुमार यूके की स्वानसी यूनिवर्सिटी मेडिकल स्कूल में अपनी वर्तमान भूमिका निभाने के साथ-साथ इस पर आगे शोध कर रहे हैं।

डॉ. मोहन कुमार ने कहा कि प्रकृति की सबसे पुरानी फार्मेसी हमेशा संभावित नई दवाओं का खजाना रही है और हमने यह जानना चाहा कि क्या इनमें से कोई भी पदार्थ कोविड-19 महामारी से लड़ने में हमारी सहायता कर सकता है?

हमने प्राकृतिक पदार्थों की एक लाइब्रेरी की जांच की और उनके बारे में जानने के लिए हमने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित कंप्यूटर प्रोग्राम का उपयोग किया। जांच से पता चला कि कुछ प्राकृतिक पदार्थ अलग तरह के कोरोनावारस के खिलाफ काफी सक्रिय रहें हैं। हमारे निष्कर्षों ने सुझाव दिया कि ग्रीन टी में एक यौगिक है जो कोरोनावायरस का मुकाबला कर सकता है।

एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मोहनकुमार ने जोर देकर कहा कि शोध अभी भी अपने शुरुआती दौर में है और नैदानिक ​​प्रयोगों के द्वारा एक लंबा रास्ता तय करना अभी बाकी है। यह शोध जर्नल आरएससी एडवांस में प्रकाशित हुआ है।

हमारा मॉडल जिस यौगिक के सबसे अधिक सक्रिय होने का पूर्वानुमान लगा रहा है, वह "गैलोकैटेचिन" है, जो ग्रीन टी में मौजूद है और आसानी से उपलब्ध और सस्ता हो सकता है। यह दिखाने के लिए अब और जांच की आवश्यकता है कि क्या यह कोविड-19 को रोकने या इलाज के लिए चिकित्सकीय रूप से प्रभावी और सुरक्षित साबित हो सकता है।

यह अभी भी एक प्रारंभिक कदम है, लेकिन यह विनाशकारी कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए एक संभावित उपाय हो सकता है। डॉ. मोहन कुमार ने बताया कि उन्होंने 18 वर्षों से अधिक समय तक दुनिया भर में फार्मेसी शिक्षा, शोध और प्रशासन में काम किया है और हाल ही में अपने नए एमफार्मा कार्यक्रम में शामिल होने के लिए स्वानसी चले गए।

फार्मेसी के प्रमुख प्रोफेसर एंड्रयू मॉरिस ने कहा कि यह एक आकर्षक शोध है और दर्शाता है कि प्राकृतिक उत्पाद संक्रामक रोगों के खिलाफ लड़ाई में सीधे यौगिकों का एक महत्वपूर्ण स्रोत बने हुए हैं। उन्होंने आगे कहा कि मैं इस अंतरराष्ट्रीय शोध को जारी देखकर वास्तव में प्रसन्न हूं कि डॉ मोहन कुमार फार्मेसी टीम में शामिल हो गए हैं।

डॉ. मोहन कुमार ने कहा कि वह अब यह देखने के लिए उत्सुक हैं कि कार्य को कैसे आगे ले जा सकते हैं। इस शोध में उपयुक्त पूर्व-नैदानिक ​​और नैदानिक ​​अध्ययन की आवश्यकता है और हम इस काम को आगे बढ़ाने में मदद करने के लिए संभावित सहयोगियों और भागीदारों का स्वागत करते हैं।

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