भारत में स्तन कैंसर की जांच के बाद पांच साल तक जीवित रहने की दर 66.4 प्रतिशत है, जो अमेरिका जैसे विकसित देशों की तुलना में बेहद कम है, जहां 90 प्रतिशत से अधिक महिलाएं बीमारी की जांच होने के पांच साल बाद भी जीवित रहती हैं। इस बात का खुलासा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के एक अध्ययन में किया गया है।
ये निष्कर्ष आईसीएमआर के वैज्ञानिकों के नेतृत्व में सबसे बड़े जनसंख्या-आधारित कैंसर पर शोध के परिणाम थे, यह अध्ययन अमेरिकन कैंसर सोसाइटी जर्नल के नवीनतम अंक में प्रकाशित हुआ है।
विश्लेषण में 11 जनसंख्या-आधारित कैंसर रजिस्ट्री (पीबीसीआर) से 2012 से 2015 के बीच स्तन कैंसर से पीड़ित 17,331 महिलाओं को शामिल किया गया था, जिसके माध्यम से आईसीएमआर देश भर से व्यवस्थित रूप से कैंसर से संबंधित आंकड़े एकत्र करता है, अध्ययन में जून 2021 तक मरीजों की निगरानी की गई।
अध्ययन में कोल्लम, तिरुवनंतपुरम, मुंबई, वर्धा, अहमदाबाद के शहरी इलाके, कामरूप के शहरी इलाके, मणिपुर, मिजोरम, सिक्किम, त्रिपुरा और पासीघाट शामिल थे।
इस अध्ययन से देश भर में कैंसर से बचने में विविधता का पता चला, अरुणाचल प्रदेश के पासीघाट में 41.9 प्रतिशत से लेकर मिजोरम में 74.9 प्रतिशत तक 33 प्रतिशत की असमानता देखी गई जबकि राष्ट्रीय औसत 66.4 प्रतिशत देखा गया।
अध्ययन में यह नहीं बताया गया कि समान स्वास्थ्य सुविधाओं और सेवाओं वाले दो पूर्वोत्तर राज्यों मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश में जीवित रहने के आंकड़े बिल्कुल अलग क्यों थे।
हालांकि, शोधकर्ता मेहरोत्रा ने कहा कि इसका कारण देरी से जांच और उपचार सुविधाओं तक समय पर पहुंच को माना जा सकता है, जो कैंसर से बचने में सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
विश्लेषण से यह भी पता चला कि स्थानीय स्तर के कैंसर से पीड़ित मरीजों में दूर के चरण के कैंसर से पीड़ित मरीजों की तुलना में पांच साल तक जीवित रहने की दर 4.4 गुना अधिक थी।
इसके अलावा, 65 वर्ष से अधिक उम्र के रोगियों के जीवित रहने की संभावना 15-39 वर्ष की आयु वाले लोगों की तुलना में 16 प्रतिशत कम थी।
आईसीएमआर के राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम (एनसीआरपी) के अनुसार, देश में हर साल स्तन कैंसर के दो लाख से अधिक मामले सामने आते हैं जो भारत में महिलाओं के बीच मृत्यु का एक प्रमुख कारण है। जबकि 22 में से एक महिला में यह बीमारी होती है, लगभग आधी महिलाओं में यह बीमारी विकसित होती है।
एनसीआरपी के माध्यम से, कैंसर के आंकड़े 38 पीबीसीआर के माध्यम से एकत्र किया जाता है। इसमें 189 अस्पताल-आधारित कैंसर रजिस्ट्रियों के अलावा, पंजीकरण के कई स्रोतों, जैसे सरकारी और निजी अस्पतालों, डायग्नोस्टिक प्रयोगशालाओं और जन्म और मृत्यु के रजिस्ट्रार के माध्यम से एक अच्छी तरह से परिभाषित आबादी से आंकड़ों को एकत्र करना शामिल है।
नवीनतम अध्ययन के मुताबिक, स्तन कैंसर भारत में सबसे आम कैंसर है, जो सभी महिलाओं में होने वाले कैंसरों का 28.2 प्रतिशत है, 2022 तक देश में लगभग 2,16,108 मामले थे।
1990 से 2016 तक इस कैंसर की घटना दर में 39.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और यह प्रवृत्ति पिछले 26 वर्षों में भारत के हर राज्य में देखी गई है।