पांचवा भाग : कोविड की लंबी अवधि के लिए भारत तैयार नहीं, पढ़िए साक्षात्कार

सार्वजनिक स्वास्थ्य विश्लेषक और महामारी विज्ञानी चंद्रकांत लहरिया ने ओमिक्रॉन के सामने आने के बाद क्या उम्मीद की जाए, इस पर तरन देओल से बात की। साक्षात्कार के महत्वपूर्ण अंश
पांचवा भाग :  कोविड की लंबी अवधि के लिए भारत तैयार नहीं, पढ़िए साक्षात्कार
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वैश्विक महामारी कोविड-19 का तीसरा साल एक नए वेरिएंट के साथ शुरू हुआ है। ठीक वैसे ही जैसे दूसरे वर्ष की शुरुआत में डेल्टा वेरिएंट आया था। डेल्टा इस महामारी के घातक लहर का कारण बना, लेकिन ओमिक्रॉन नाम का नया वेरिएंट अधिक प्रसार योग्य है और इम्यूनिटी से खुद को बचा ले जाने में सक्षम बताया जा रहा है। इस बार दुनिया को एक लंबी महामारी के लिए तैयार रहना चाहिए, लेकिन भारत कितना तैयार है, पढ़िए पांचवी कड़ी...तरन देओल द्वारा लिया गया सार्वजनिक स्वास्थ्य विश्लेषक और महामारी विज्ञानी चंद्रकांत लहरिया का इंटरव्यू :

क्या भारत तीसरी कोविड-19 लहर देखेगा?

हमें लहर को एक अलग इकाई के रूप में देखना बंद कर देना चाहिए। हमें यह याद रखने की आवश्यकता है कि एक बार जब मामले एक खास निम्न स्तर पर आ जाते हैं, तो वे केवल ऊपर की ओर ही जा सकते हैं। कुछ अनिश्चितता है। हमें नहीं पता कि मामले कब और किस स्तर तक बढ़ सकते हैं। यह बाहरी कारकों द्वारा निर्धारित किया जाएगा। लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि ऊपर की ओर रुझान की संभावना है, जो कुछ हफ्तों तक बनी रह सकती है।

ये बाहरी कारक क्या हैं?

पहला व्यक्तियों द्वारा कोविड-19 अनुकूल व्यवहार को अपनाना है। एक वक्त के बाद लोग लापरवाह हो जाएंगे। दूसरा, एक नए वेरिएंट का उदय, जो प्रतिरक्षा को भेद सकता है और उच्च संचरण क्षमता रखता है। तीसरा कारक, किसी व्यक्ति की प्रतिरक्षा स्थिति है। हम जानते हैं कि टीके और प्राकृतिक संक्रमण कुछ सुरक्षा प्रदान करते हैं। लेकिन कुछ बिंदु पर यह प्रतिरक्षा कम होने लगेगी। फिर, यदि कोई नया वेरिएंट है जो संक्रमित कर सकता है या कोई मौजूदा वेरिएंट जो फिर से संक्रमित करता है तो मामले बढ़ेंगे। चौथा कारक टीकाकरण कवरेज है।

क्या भारत मामलों में संभावित वृद्धि के लिए तैयार है?

हम वर्तमान में कोविड-19 पर जिस तरह ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, उससे प्रतिक्रिया में सुधार हुआ है। बिना किसी बुनियादी बदलाव के अस्पतालों में परीक्षण और बिस्तरों की उपलब्धता को बढ़ाया गया है। इसके अलावा, मामलों की संख्या उतनी अधिक होने की संभावना नहीं है जितनी दूसरी लहर में हुई थी। इसलिए उच्च टीकाकरण कवरेज और मध्यम से गंभीर बीमारी की कम संभावना के साथ भारत बेहतर तरीके से तैयार है। लेकिन लंबी अवधि के लिए यह पर्याप्त नहीं है। हमें एक मजबूत स्वास्थ्य सेवा प्रणाली और लंबी अवधि के निवेश की जरूरत है। सरकार को अब तक किए गए वादों को पूरा करना चाहिए। इसके अलावा, हम देश के विभिन्न हिस्सों में डेंगू और अन्य बीमारियों का प्रकोप देख रहे हैं। अधिकांश स्वास्थ्य कर्मचारियों को कोविड-19 के खिलाड़ लड़ाई की ओर मोड़ दिया गया है। एक समय आएगा जब इन सेवाओं को फिर से शुरू करने की आवश्यकता होगी। ऐसे में हम एक और लहर के लिए तैयार नहीं होंगे।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ओमिक्रॉन के कारण पुन: संक्रमण की चेतावनी दी है।

डब्ल्यूएचओ जो कह रहा है उसे सही संदर्भ में रखा जाना चाहिए। ओमिक्रॉन को वेरिएंट ऑफ कंसर्न घोषित किया गया है क्योंकि इसमें विभिन्न विशेषताओं से जुड़े कई उत्परिवर्तन हैं। जैसे, इसका खुद को इम्यूनिटी से बचा ले जाना, उच्च प्रसार, उपचार के प्रति कम प्रतिक्रिया। दक्षिण अफ्रीका के गौतेंग प्रांत से उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, 30 नवंबर तक यह सभी वेरिएंट्स में सबसे प्रभावशाली बन गया। यह अकेले 90 प्रतिशत मामलों के लिए जिम्मेदार है। यह वृद्धि अन्य वेरिएंट की तुलना में काफी तेज है। यह कहना जल्दबाजी होगी कि पुन: संक्रमण या प्रतिरक्षा से बच जाने का अधिक जोखिम है। हालांकि, यह स्थिति की समीक्षा करने और महामारी के खिलाफ प्रतिक्रिया को तेज करने का एक अच्छा अवसर है।

क्या कोविड-19 के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता कम हो रही है?

समय के साथ एंटीबॉडी कम हो जाती हैं। कोविड-19 के लिए न केवल एंटीबॉडी बल्कि सेल-आधारित इम्यूनिटी भी संक्रमण से लड़ने में मदद करती है। हालांकि, इन्हें मापा नहीं जाता। अध्ययनों से पता चलता है कि सुरक्षा कम से कम 9-12 महीने तक रहती है। हम इससे आगे नहीं जानते क्योंकि टीकों का उपयोग केवल एक वर्ष के लिए किया गया है। याद रखने वाली बात यह है कि एंटीबॉडी स्तर में गिरावट के बावजूद गंभीर बीमारी, अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु से सुरक्षा लगभग अपरिवर्तित रहती है। यही कारण है कि हमें बूस्टर खुराक पर चर्चा करने से पहले और सबूतों की प्रतीक्षा करनी चाहिए।

क्या नए वेरिएंट के खिलाफ टीका लगाना कारगर होगा?

टीका लगाना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। निर्माता और शोधकर्ता हमेशा टीकों को बेहतर बनाने की कोशिश करते हैं। फिलहाल यह वायरस बदल रहा है और नए वेरिएंट सामने आ रहे हैं। इसलिए सही तरीका यह है कि ऐसे टीके विकसित किए जाएं जो बहु-संयोजी हों और कई वेरिएन्ट्स को कवर कर सकें। वैरिएंट-न्यूट्रल टीकों के बारे में भी वैश्विक चर्चा है। यह अनिवार्य रूप से वेरिएंट की भविष्यवाणी करने के लिए भावी तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग को इंगित करता है। यह भी संभव है कि हर कुछ वर्षों में एक नया टीका आ जाए जो मूल टीके से अलग हो।

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