भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (बीएमएचआरसी) में इलाज कराने जाने वाले गैस पीड़ितों की अब कोविड-19 की जांच भी की जाएगी। यह आदेश जबलपुर हाईकोर्ट ने 21 अप्रैल को गैस पीड़ित संगठनों की रिट याचिका की सुनवाई के दौरान दिया। चीफ जस्टिस अजय कुमार मित्तल और जज विजय कुमार शुक्ला ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मामले की सुनवाई की। गैस पीड़तों के संगठन भोपाल फोर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन ने सह याचिकाकर्ता मुन्नी बी के साथ कोर्ट में उन आदेशों को रद्द करने के लिए याचिका लगाई थी जिसमें मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने बीएमएचआरसी को केवल कोविद-19 मरीजों के इलाज के लिए चिन्हित किया था और जिला प्रशासन को अस्पताल सौंप दिया था। इसके बाद से गैस पीड़ित मरीज इलाज के लिए भटकने लगे और कईयों की इस दौरान मौत भी हो गई। याचिकाकर्ता मुन्नी बी की भी सुनवाई से पहले ही मौत हो गई थी।
गैस पीड़ित पक्ष के वकील नमन नागरथ ने अदालत को बताया कि भोपाल में कोविद-19 से मरने वाले 100 फीसदी मरीज गैस पीड़ित भी हैं और उनकी जांच ने होने के कारण कई मामलों में मृत्यु के बाद कोविद-19 संक्रमण का पता चला। इसपर कोर्ट ने वकील को आश्वासन दिया कि कोर्ट प्रशासन और बीएमएचआरसी को अस्पताल आने वाले गैस पीड़ितों के कोविद-19 टेस्ट कराने के लिए निर्देश देगी।
कोर्ट ने इससे पहले हुई सुनवाई में सरकार से बीएमएचआरसी में गैस पीड़ितों के इलाज न मिलने पर जवाब मांगा था, जिसके जवाब में सरकार ने कहा कि पहले के आदेश रद्द किए जा चुके हैं और अस्पताल की व्यवस्था सुचारू रूप से चालू है।
"इससे पहले 6 मौत में प्रशासन ने मरीजों के गैस पीड़ित होने का रिकॉर्ड जाहिर नहीं किया था, लेकिन सातवें मृत्यु पर जारी बयान में मृतक के गैस पीड़ित होने का जिक्र किया है। डाउन टू अर्थ द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में यह बात सामने आई थी कि भोपाल में अब तक कोविड-19 से मरने वाले लोगों का वास्ता भोपाल गैस कांड से भी है।