सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों से विशेष आवश्यकता वाले बच्चों यानी स्पेशल चाइल्ड की संख्या और उनके लिए नामांकित विशेष शिक्षकों की संख्या के बारे में जानकरी मांगी है। साथ ही ऐसे शिक्षकों सम्बन्धी रिक्तियों की संख्या और स्थिति के बारे में भी विवरण मांगा है। साथ ही कोर्ट ने राज्यों को यह भी सूचित करने के लिए कहा है कि वे इन रिक्तियों को कब तक भर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने 14 फरवरी 2023 को दिए अपने आदेश में सभी राज्यों को दो सप्ताह की अवधि के भीतर मामले पर संक्षिप्त हलफनामा दाखिल करने और अदालत के लिए जानकारी एकत्र करने के सन्दर्भ में एमिकस क्यूरी को उक्त हलफनामों की अग्रिम प्रति देने के लिए कहा है।
झील की पारिस्थितिकी पर नहीं पड़ेगा सांभर उत्सव का असर: राजस्थान सरकार
सांभर उत्सव से जुड़े कार्यक्रम ऐसे स्थानों पर आयोजित किए जा रहे हैं, जहां पक्षियों या सांभर झील के प्राकृतिक आवास प्रभावित नहीं होंगे। यह जानकारी पहली बार सांभर महोत्सव के आयोजक राजस्थान पर्यटन विभाग ने अपनी रिपोर्ट में कोर्ट को दी है। मामला राजस्थान के जयपुर का है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस क्षेत्र में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए विकास कार्य किए गए है और भारत सरकार ने सांभर को एक पारिस्थितिक गंतव्य के रूप में बढ़ावा देने के लिए 100 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत किया है।
पता चला है कि विकास कार्यों के पूरा होने के बाद, सभी साइटों को सांभर साल्ट्स लिमिटेड और सांभर नगर पालिका को सौंप दिया गया है। पर्यटन विभाग ने केवल शिविर लगाने के उद्देश्य से झील के किनारे के शिविर क्षेत्र का विकास किया है। गौरतलब है कि विभिन्न बैठकों के बाद यह निर्णय लिया गया कि झील के किनारे का क्षेत्र जो सड़क किनारे है, फूड कोर्ट, शिल्प की दुकानों, शिविर के साथ-साथ कुछ साहसिक गतिविधियों जैसे पतंगबाजी, पैरासेलिंग और साइकिल चलाने के लिए उपयुक्त स्थान है।
हालांकि वहां कोई ऐसी गतिविधि नहीं हो रही है, जिससे ध्वनि प्रदूषण हो। इसके अलावा, मुख्य झील क्षेत्र जो प्रवासी पक्षियों का भी घर है, इससे कम से कम 2 किलोमीटर दूर है। रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि ऐसे में यह आयोजन प्रवासी पक्षियों को किसी भी तरह से प्रभावित नहीं करेगा।
भरतप्पुझा नदी तट पर इकोसिस्टम के लिए उठाए गए जरूरी कदम
केरल में भरतप्पुझा नदी तट के पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण और बेहतरी के लिए सभी जरूरी कदम उठाए गए हैं। वहीं पलक्कड़ के जिला कलेक्टर सिंचाई, कृषि, पुलिस विभाग, हरितकर्मसेना और जैव विविधता प्रबंधन समितियों के सहयोग से जिला स्तर पर विभिन्न गतिविधियों का समन्वय कर रहे हैं।
भरतप्पुझा की सीमाओं को फिर से सत्यापित करने के लिए राजस्व विभाग द्वारा एक सर्वेक्षण दस्ता तैनात किया गया है, साथ ही अतिक्रमण को रोकने के लिए सर्वे टीम भी लगाई गई है।
वहीं पलक्कड़ जिला प्रशासन नदी किनारे की खेती, परती भूमि पर बांस के रोपण के साथ सब्जियों और धान की खेती के काम का समन्वय कर रहा है जो पट्टांबी, ओट्टप्पलम, अंकारा, पट्टीथारा तीर्थला, वनीयमकुलम नगर पालिकाओं और ग्राम पंचायतों में किया जा रहा है, जिससे भरतप्पुझा की जैव विविधता को संरक्षित और तट पर होते क्षरण को रोका जा सके।
गौरतलब है कि एनजीटी ने 24 फरवरी, 2022 को मीडिया में प्रकाशित एक रिपोर्ट पर ध्यान देते हुए इस मामले अधिकारियों को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने और इसे रोकने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देने को कहा था।