वैश्विक स्तर पर 14 हजार से ज्यादा हुए मंकीपॉक्स के मामले, डब्लूएचओ ने बुलाई आपात बैठक

पिछले एक सप्ताह में ही 52 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि के साथ भारत सहित 71 देशों में मंकीपॉक्स से संक्रमित लोगों का आंकड़ा 14 हजार को पार कर गया है
वैश्विक स्तर पर 14 हजार से ज्यादा हुए मंकीपॉक्स के मामले, डब्लूएचओ ने बुलाई आपात बैठक
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एक तरफ दुनिया जहां कोरोना के संकट से उबरी भी नहीं है वहीं एक और बीमारी बड़ी तेजी से अपने पैर पसार रही है। मंकीपॉक्स नामक यह बीमारी बड़ी तेजी से फैल रही है। गौरतलब है कि पिछले एक सप्ताह में ही इसके मामलों में 52 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि दर्ज की गई है। इसके चलते वैश्विक स्तर पर अब तक मंकीपॉक्स से संक्रमित लोगों का आंकड़ा 14 हजार को पार कर गया है। आंकड़ों के अनुसार छह देशों ने इस बीमारी का पहला मामला गत सप्ताह ही दर्ज किया है।

इससे पहले पिछले सप्ताह डब्लूएचओ ने जो आंकड़े साझा किए थे, उनके अनुसार दुनिया के 63 देशों में इस बीमारी के 9,200 मामले सामने आ चुके हैं। स्थिति की गंभीरता इसे से समझ सकते हैं कि इसकी वजह से विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) को स्थिति की समीक्षा के लिए गुरुवार को आपात बैठक बुलानी पड़ गई थी।

इससे पहले आपात समिति की बैठक पहली बार पिछले महीने हुई थी मगर उसमें मंकीपॉक्स को अन्तरराष्ट्रीय रूप से चिंताजनक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा घोषित करने के विरोध में निर्णय लिया गया था। हालांकि गुरुवार को हुई बैठक में तमाम तथ्यों और परिस्थितियों पर गौर करने के बाद आगामी दिनों में अपना निर्णय घोषित करने की बात कही है।

इस बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन प्रमुख डॉक्टर टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस का कहना है कि इस बीमारी के बारे में कोई भी निर्णय लेने से पहले अनेक तथ्यों व कारकों पर गौर करना होगा। उनके अनुसार लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा ही उनकी पहली प्राथमिकता है। उनका आगे कहना है कि, “जैसे-जैसे संक्रमण बढ़ रहा है, विभिन्न सन्दर्भों व परिदृश्यों में उपलब्ध सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों व नीतियों की प्रभावशीलता का आकलन किया जाना महत्वपूर्ण है, जिससे इस बारे में बेहतर समझ विकसित हो सके कि क्या असरदार है और क्या नहीं।”

भारत सहित 71 देशों में दस्तक दे चुकी है यह बीमारी

देखा जाए तो मंकीपॉक्स, वायरस के जरिए फैलने वाली एक दुर्लभ बीमारी है, जो मुख्य रूप से उष्णकटिबन्धीय वर्षा क्षेत्रों में ज्यादा फैलती है। इसमें अफ्रीका के केन्द्रीय और पश्चिमी इलाके शामिल हैं। हालांकि हाल ही में इसका संक्रमण भारत, यूरोप सहित अन्य क्षेत्रों में देखा गया है।

यदि भारत की बात करें तो यह बीमारी भारत में भी दस्तक दे चुकी है। अब तक देश में मंकीपॉक्स के दो मामलों की पुष्टि हो चुकी है। भारत में मंकीपॉक्स का पहला मामला 12 जुलाई, 2022 को सामने आया था। जब संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से केरल लौटे एक शख्स में इसके संक्रमण का पता चला था। इस बारे में केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने जानकारी दी थी कि उस मरीज को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा जारी प्रोटोकॉल के तहत अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन  ने ताजा स्थिति के बारे में जानकारी दी है कि जहां कुछ देशों में इसके प्रसार में कमी आई है वहीं कुछ अन्य देशों में इस बीमारी का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में जिन देशों में मंकीपॉक्स के संक्रमण का पता लगाने के जरुरी साधन और उसके उपचार के लिए जरुरी वैक्सीन उपलब्ध नहीं हैं, वहाँ संक्रमण पर नजर रखना और उसकी रोकथाम करना कठिन है।

कितनी घातक है यह बीमारी

मंकीपॉक्स नामक इस बीमारी के फैलने की वजह मंकीपॉक्स वायरस है, जो पॉक्सविरिडे परिवार के ऑर्थोपॉक्स वायरस जीनस का एक सदस्य है। यह वायरस पहली बार 1958 में रिसर्च के लिए रखे गए बंदरों में पाया गया था। हालांकि इसके संक्रमण का पहला मामला 1970 में दर्ज किया गया था।

इसके बारे में डब्ल्यूएचओ का कहना है कि मंकीपॉक्स जोकि एक जूनोटिक बीमारी है इसके लक्षण आमतौर पर 2 से 4 सप्ताह तक रहते हैं उसके बाद यह खुद ब खुद ठीक होते जाते हैं। हालांकि कुछ मामलों में इसका संक्रमण जानलेवा भी हो सकता है, लेकिन यदि हाल के दिनों में इसकी मृत्यु दर के अनुपात को देखें तो वो करीब 3 से 6 फीसदी के बीच है।

इसके बीमारी के बारे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा साझा जानकारी के अनुसार इससे संक्रमित व्यक्ति को तेज बुखार के साथ-साथ त्वचा पर चकत्ते पड़ने लगते हैं जो चेहरे से शुरू होकर हाथ, पैर, हथेलियों और तलवों तक हो सकते हैं। साथ ही इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति में मांसपेशियों में दर्द, थकावट, सिरदर्द, गले में खराश और खांसी जैसे लक्षण भी दिख सकते हैं। वहीं कुछ लोगों में आंख में दर्द या धुंधलापन, सांस लेने में कठिनाई, सीने में दर्द जैसी दिक़्क़तें भी हो सकती हैं।

यदि इसके उपचार की बात करें तो चेचक के उपचार के लिए विकसित टीकों ने मंकीपॉक्स के खिलाफ भी सुरक्षा प्रदान की है। कई देशों ने नए टीके भी विकसित किए हैं, जिनमें से एक को इसकी रोकथाम के लिए अनुमोदित किया गया है। हालांकि यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रमुख के अनुसार इससे बचाव का सबसे कारगर उपाय सूचना है। उनका कहना है कि मंकीपॉक्स से संक्रमित लोगों के पास इसके बारे में जितनी ज्यादा जानकारी होगी, वो अपने आप की हिफाजत करने में उतना ज्यादा सक्षम होंगें।

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