अल नीनो प्रभाव: दुनिया में बढ़ रहे डेंगू के मामले, स्वास्थ्य क्षेत्र में बढ़ सकती हैं परेशानियां

दुनिया भर में डेंगू के बढ़ते मामलों के लिए तापमान में होती वृद्धि और बारिश के पैटर्न में आता बदलाव जिम्मेवार है
दिल्ली के पुराने हिस्से की सड़कों पर फॉगिंग के काम में व्यस्त एक कर्मचारी; फोटो: आईस्टॉक
दिल्ली के पुराने हिस्से की सड़कों पर फॉगिंग के काम में व्यस्त एक कर्मचारी; फोटो: आईस्टॉक
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा किए एक विश्लेषण के मुताबिक 2000 से 2019 के बीच डेंगू के मामलों में दस गुणा वृद्धि दर्ज की गई है। डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक इस अवधि के दौरान सामने आए डेंगू के मामले 940 फीसदी की वृद्धि के साथ पांच लाख से बढ़कर 52 लाख पर पहुंच गए थे।

हालांकि साथ ही डब्ल्यूएचओ का यह भी कहना है कि इन मामलों का असल आंकड़ा इससे कहीं अधिक हो सकता है, क्योंकि अधिकांश मामलों में संक्रमण के लक्षण सामने ही नहीं आते। वहीं कई देशों में डेंगू से जुड़े आंकड़ों को बीमारी के रूप में दर्ज ही नहीं किया जाता। बता दें कि डेंगू एक बेहद आम वायरल संक्रमण है, जोकि संक्रमित मच्छरों के व्यक्तियों को काटने से फैलता है।

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक 2020 से 2022 के बीच महामारी के दौरान इसके मामलों में कमी जरूर आई, लेकिन उसके बाद इसमें तीव्र वृद्धि दर्ज की गई है। इससे पहले 2019 में जब मामलों में आखिरी बार उछाल आया था, तो यह बीमारी 129 देशों में दर्ज की गई थी। हालांकि 2023 में एक बार फिर 80 देशों में डेंगू के 50 लाख से ज्यादा मामले सामने आए हैं। इतना ही नहीं इस साल यह बीमारी अब तक 5,000 से ज्यादा जिंदगियों को लील चुकी है।

डब्ल्यूएचओ का कहना है कि 2023 में अमेरिकी क्षेत्र ऐसे सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। एक जनवरी, 2023 से 11 दिसंबर, 2023 के बीच इस क्षेत्र के 42 देशों और क्षेत्रों में डेंगू के कुल 41 लाख संदिग्ध मामले सामने आए हैं। इनमें 6,710 गंभीर मामले भी शामिल हैं, जबकि इस दौरान डेंगू की वजह से 2,049 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है।

अमेरिका के 15 देशों में तो अभी भी इसका प्रकोप बना हुआ है। ब्राजील में इसके सबसे अधिक मामले होने की पुष्टि हुई है, इसके बाद पेरू और मैक्सिको का नंबर आता है, जहां डेंगू का प्रकोप अब भी बना हुआ है।

जलवायु परिवर्तन से नए क्षेत्रों को निशाना बना रहा डेंगू

डब्ल्यूएचओ ने आगाह किया है कि वैश्विक स्तर पर इस साल डेंगू के मामलों में वृद्धि दर्ज की गई है और ऐसा उन देशों में भी हुआ है जो पहले इससे अछूते थे। यही वजह है कि स्वास्थ्य संगठन ने इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक बढ़ता खतरा बताया है।

इसके मामले आमतौर पर उष्ण और उप उष्णकटिबन्धीय जलवायु वाले शहरी इलाकों में देखने को मिलते थे। लेकिन अब इसके मामलों में उछाल अन्य देशों में भी देखने को मिल रहा है, जिसकी एक वजह यह है कि संक्रमित मच्छर अब उन क्षेत्रों में पनप रहे हैं, जहां बढ़ते तापमान के चलते वातावरण उनके अनुकूल हो रहा है।

आमतौर पर दक्षिण पूर्व एशिया के 11 में से दस देशों में डेंगू का खतरा बना रहता है। हालांकि कई देशों में 2023 के दौरान, पिछले वर्षों की तुलना में डेंगू के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। जहां बांग्लादेश और थाईलैंड में बड़ी संख्या में मामले दर्ज किए गए हैं।

2023 के दौरान अफ्रीका भी मच्छर और टिक से होने वाली कई आर्बोवायरल बीमारियों की चपेट में रहा है, जिनमें पीला बुखार, डेंगू, चिकनगुनिया, ओ'नयोंग न्योंग, रिफ्ट वैली बुखार और जीका जैसी बीमारियां शामिल हैं। वहां 2023 में, डेंगू के भी 171,991 मामले दर्ज किए गए। वहीं 753 लोगों की मौत डेंगू की वजह से हुई है।

देखा जाए तो 2023 के दौरान अफ्रीकी के 47 में से 15 देशों में इसका प्रकोप दर्ज किया गया। इस दौरान 146,878 संदिग्ध मामलों और 688 मौतों के साथ बुर्किना फासो इससे सबसे ज्यादा प्रभावित रहा।

वहीं पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र की बात करें तो वहां सबसे पहले 1998 में डेंगू के मामले सामने आए थे। तब से, यह वायरस नौ देशों में फैल चुका है। इस क्षेत्र में 2023 के दौरान पाकिस्तान, सऊदी अरब और ओमान में सबसे ज्यादा मामलों की पुष्टि हुई है।

यूरोपीय क्षेत्र में इस बीमारी का प्रभाव न्यूनतम हुआ करता था, इस क्षेत्र में पहले जो डेंगू के मामले सामने आते थे वो यात्रा से संबंधित होते थे। हालांकि, 2010 के बाद से, डेंगू ने इस क्षेत्र में भी अपनी पैठ बना ली है। यही वजह है कि 2023 के दौरान तीन देशों इटली, फ्रांस और स्पेन में इसके मामले सामने आए हैं।

इस साल पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में, डेंगू के पांच लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि 750 लोगों की जान भी डेंगू की वजह से गई है। इनमें फिलीपींस और वियतनाम सबसे अधिक प्रभावित देश थे। वहीं प्रशांत क्षेत्र के द्वीपीय देशों में, फिजी इससे सबसे अधिक प्रभावित हुआ है। 

खतरे के साए में जी रहे 400 करोड़ लोग

2023 के दौरान इसके मामलों में जो उछाल आया है उसे इसके वैक्टरों के बदलते वितरण, मुख्य रूप से एडीज एजिप्टी और एडीज अल्बोपिक्टस के साथ जोड़ा जा सकता है। इसके तार कहीं न कहीं बढ़ते तापमान के साथ जलवायु घटना अल नीनो की वजह से बारिश के पैटर्न में आते बदलावों से जुड़े हैं। इसके साथ ही महामारी के बाद स्वास्थ्य प्रणालियों में आई कमजोरी, देशों में राजनीतिक और वित्तीय अस्थिरता के साथ-साथ आबादी सम्बन्धी हलचलें भी इनकी वृद्धि के लिए कमोबेश जिम्मेवार हैं।

आंकड़ों की मानें तो दुनिया में करीब 400 करोड़ लोगों के इसकी चपेट में आने का जोखिम है। लेकिन अधिकांश संक्रमितों में इसके लक्षण नजर नहीं आते और वो एक से दो सप्ताह के भीतर ठीक हो जाते हैं।

ऐसे में डब्ल्यूएचओ ने इसपर कार्रवाई की वकालत करते हुए इससे निपटने के लिए संसाधन जुटाने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया है। इसके प्रकोप से निपटने के लिए स्वास्थ्य संगठन ने एक वैश्विक संयुक्त घटना प्रबंधन सहायता टीम का गठन किया है। इस दल में डब्ल्यूएचओ के स्वास्थ्य आपातकालीन कार्यक्रम और उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग विभाग के तकनीकी विशेषज्ञ शामिल हैं।

डब्ल्यूएचओ में विशेषज्ञ डॉक्टर डियाना रोजास ऐलवरेज ने जिनीवा में पत्रकारों को जानकारी देते हुए कहा कि स्वास्थ्य से जुड़े इस खतरे पर सर्वाधिक ध्यान देना होगा, और इससे निपटने के लिए सभी स्तरों पर कार्रवाई की आवश्यकता होगी।

डेंगू का प्रसार एक सर्कुलर पैटर्न का अनुसरण करता है, जिसका मुख्य प्रकोप हर तीन से चार साल में होता है। वायरस के चार सीरोटाइप (डीईएनवी-1, डीईएनवी-2, डीईएनवी-3, डीईएनवी-4) होते हैं। हालांकि डेंगू के लिए कोई विशिष्ट उपचार नहीं है, लेकिन समय पर निदान और उचित देखभाल गंभीर मामलों और मृत्यु दर को सीमित कर सकती है।

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