जमाखोरी करने के बाद 241 मिलियन से ज्यादा कोविड वैक्सीन बर्बाद करने की तैयारी में विकसित देश

विकासशील और गरीब देशों में।अतिरिक्त वैक्सीन को दोबारा बांटकर 2022 के मध्य तक दस लाख लोगों की जान बचाई जा सकती है
जमाखोरी करने के बाद 241 मिलियन से ज्यादा कोविड वैक्सीन बर्बाद करने की तैयारी में विकसित देश
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कोविड -19 वैक्सीन का उपनिवेशीकरण करने वाले जी-7 से जुड़े विकसित देश और यूरोपीय संघ के देश इसकी लाखों खुराकें बर्बाद करने की तैयारी में हैं। इन खुराकों से कम आय वाले देशों में बड़ी आबादी का टीकाकरण किया जा सकता है।

विज्ञान सूचना और विश्लेषण कंपनी, एयरफिनिटी के मुताबिक, ‘जी-7 और यूरोपीय संघ के पास इस साल के अंत तक उनकी जरूरत सेएक अरब ज्यादा वैक्सीन होंगी, जिसमें से दस फीसद के करीब इस साल के अंत तक खराब हो जाएंगी।’

इतनी वैक्सीन के दिसंबर 2021 के अंत तक खराब हो जाने का अर्थ यह है कि केवल चार महीने बाद दुनिया में दस करोड़ वैक्सीन कम हो जाएंगी। इनमें से सबसे ज्यादा यानी 41 फीसद वैक्सीन यूरोपीय संघ में, अमेरिका में 32 फीसद, यूनाईटेड किंगडम में 13 और कनाडा में 12 फीसद वैक्सीन खराब हो जाएंगी।

एयरफिनिटी के विश्लेषण के मुताबिक, ‘ जी-7 और यूरोपीय संघ ने संयुक्त तौर पर जितनी वैक्सीन खरीदी हैं, वह कम आय और कम-मध्यम आय वाले देशों की 70 फीसद आबादी के टीकाकरण के लिए पर्याप्त है।’

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन, 22 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के साथ ही वैश्विक वैक्सीन सम्मेलन की मेजबानी भी करने जा रहे हैं। इस मौके पर सभी को वैक्सीन दिलाने के मकसद से बनाए गए दुनिया भर के 75 संगठनों के साझा मंच पीपल्स वैक्सीन एलायंस यानी पीवीए ने मांग की है कि अमीर देश, गरीब देशों को और ज्यादा वैक्सीन उपलब्ध कराएं।

वैक्सीन सम्मेलन से पहले पीवीए ने बयान जारी किया, ‘ जी-7 के नेताओं ने जैसा जून में वादा किया था, वैक्सीन की एक अरब खुराकों में से 13 फीसद वितरित की जा चुकी हैं।’ वैक्सीन के लिए गठित अंतरराष्ट्रीय पहल, कोवैक्स ने कहा कि जितनी वैक्सीन सभी के लिए उपलब्ध होनी थीं, उनमें से पचास करोड़ खुराक अपने लक्ष्य से पहले ही कम पड़ चुकी हैं। ये खुराकें विकासशील देशों की 23 फीसद आबादी के लिए पर्याप्त होतीं।

एयरफिनिटी के मुताबिक, ‘आशंका यह है कि अभी और वैक्सीन बर्बाद होंगी क्योंकि गरीब और कम आय वाले देश ऐसी वैक्सीन दान में स्वीकार नहीं करेंगे, जो जल्द ही खराब होने वाली हैं। इन देशों को वैक्सीन का प्रबंधन करने के लिए भी कुछ समय चाहिए। इनमें से कई देशों को अगर दो महीने पहले वैक्सीन नहीं मिलेंगी, तो वे उसे लेने से इंकार कर देंगे।’

उसके मुताबिक, वैक्सीन के भंडारण और उपयोग होने की इस दो महीने की अवधि के हिसाब से देखें तो जी-7 और यूरोपीय संघ के पास जितनी अतिरक्ति खुराके हैं, उनका 25 फीसद यानी 241 मिलियन खुराकें बर्बाद हो जाएंगी।

दुनिया के कई देशों में टीकाकरण की गति का बढ़ना अभी बाकी है। उदाहरण के लिए अफ्रीका में इसकी गति बहुत धीमी है और वहां केवल चार फीसद आबादी का पूरी तरह टीकाकरण हो पाया है। इस महाद्वीप में कई देश ऐसे हैं, जहां टीकाकरण की दर कम है। इन्हीं देशों में कोरोना से मरने वालों की तादाद ज्यादा है। कम आय वाले देश अब तक मुश्किल से अपनी आबादी के एक फीसद लोगों का टीकाकरण ही कर सके हैं।

एयरफिनिटी की मानें तो दुनिया में अगले साल के मध्य तक कोरोना के 400 मिलियन केस होंगे। अगर विकसित देशों के पास मौजूद अतिरिक्त वैक्सीन को, जो बांटे न जाने पर कुछ समय बाद वैसे ही खराब हो जाएगी, गरीब देशों में दोबारा बांट दिया जाए तो दुनिया भर में दस लाख लोगों की जान बचाई जा सकती है।

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