कोरोनावायरस के शरीर में प्रवेश कर संक्रमण फैलाने वाले रास्ते का चला पता

वैज्ञानिकों ने ऐसे द्वार (गेट) का पता लगाया है जिसके खुलने पर हमारे शरीर की कोशिकाएं संक्रमित हो जाती है, इसके बंद होने पर वायरस संक्रमण नहीं फैला सकता है।
फोटो : नेचर केमिस्ट्री, स्पाइक प्रोटीन रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन (आरबीडी)
फोटो : नेचर केमिस्ट्री, स्पाइक प्रोटीन रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन (आरबीडी)
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कोविड-19 महामारी के शुरुआती दिनों से ही वैज्ञानिक उन रहस्यों का पीछा कर रहे हैं जो खतरनाक सांस संबंधी बीमारियां फैलाते हैं। यह श्वसन सिंड्रोम कोरोनावायरस के स्वस्थ मनुष्य के कोशिकाओं में प्रवेश करने और उन्हें संक्रमित करने के लिए जाना जाता है। महामारी की शुरुआत में, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय सैन डिएगो के कम्प्यूटेशनल बायोफिजिकल केमिस्ट, रॉमी अमारो ने सार्स-सीओवी-2 स्पाइक प्रोटीन का एक विस्तृत विज़ुअलाइज़ेशन विकसित करने में मदद की, जो कुशलतापूर्वक हमारे सेल रिसेप्टर तक पहुंच जाता है।

अब शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि कैसे ग्लाइकेन-अणु जो स्पाइक प्रोटीन के किनारों के आसपास एक शर्करा अवशेष बनाते हैं यह संक्रमण द्वार (गेट) के रूप में कार्य करते हैं।  

यह शोध पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय के शोधकर्ता लिलियन चांग, यूसी सैन डिएगो के स्नातक छात्र टेरा स्ज़टेन और सह-शोधकर्ता यूसी सैन डिएगो पोस्टडॉक्टरल सुरल-ही आह की अगुवाई में किया गया है। शोध में ग्लाइकेन की खोज का वर्णन किया गया है, उस दरवाजे (गेट) के बारे में बताया गया है जो सार्स-सीओवी-2 को प्रवेश होने की अनुमति देते हैं।

रसायन विज्ञान और जैव रसायन के प्रोफेसर अमरो ने कहा हमने पता लगाया कि स्पाइक कैसे खुलता है और संक्रमित होता है। हमने स्पाइक का एक महत्वपूर्ण रहस्य खोल दिया है जिससे पता चलता है कि यह कोशिकाओं को कैसे संक्रमित करता है। इस द्वार (गेट) के बिना वायरस संक्रमण नहीं फैला सकता है।

अमारो का मानना ​​है कि शोध दल की द्वार (गेट) की खोज सार्स-सीओवी-2 संक्रमण का मुकाबला करने हेतु नए चिकित्सीय उपचार के लिए संभावित रास्ते खोलती है। यदि ग्लाइकेन गेट को औषधीय रूप से बंद किया जा सकता है, तो वायरस को प्रवेश करने और संक्रमण फैलाने से रोका जा सकता है। 

स्पाइक ग्लाइकेन की कोटिंग मानव प्रतिरक्षा प्रणाली को धोखा देने में मदद करती है क्योंकि यह एक शर्करा अवशेष के रूप में सामने आती है। पिछली तकनीकों ने इन संरचनाओं की नकल की, स्थिर खुली या बंद स्थितियों में ग्लाइकेन को दर्शाया, जिसमें शुरू में वैज्ञानिकों ने इसमें ज्यादा रुचि नहीं ली थी। सुपरकंप्यूटिंग सिमुलेशन ने तब शोधकर्ताओं को तेज फिल्में बनाने में मदद दी, जो संक्रमण की कहानी का एक अभूतपूर्व हिस्सा पेश करते हुए, एक स्थान से दूसरे स्थान पर सक्रिय ग्लाइकेन गेट का खुलासा करती हैं।  

अमारो ने कहा सिमुलेशन से आप वास्तव में संक्रमण की विस्तृत फिल्में देख सकते हैं। जब आप उन्हें देखते हैं तो आपको एहसास होता है कि आप कुछ ऐसा देख रहे हैं जिसे हम आज तक अनदेखा कर देते थे। आप केवल बंद संरचना को देखते हैं, फिर आप खुले ढांचे को देखते हैं और यह कुछ खास नहीं दिखता है। यह केवल इसलिए है क्योंकि हमने पूरी प्रक्रिया की फिल्म बनाई है।

चांग ने कहा इस प्रक्रिया के अनुकरण करने के लिए मानक तकनीकों को वर्षों लग सकते हैं, लेकिन हमारी प्रयोगशाला में उन्नत सिमुलेशन टूल के साथ, हम केवल 45 दिनों में प्रक्रिया को कैद करने में सफल रहे। यह अध्ययन नेचर केमिस्ट्री नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। 

इस तरह की कंप्यूटिंग सिमुलेशन की शक्ति ने शोधकर्ताओं को 300 से अधिक दृष्टिकोणों से स्पाइक प्रोटीन रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन या आरबीडी के परमाणु-स्तर के विचार प्रदान किए। जांच से पता चला कि ग्लाइकेन "एन343" एक घूमने वाले पिन के रूप में है जो मेजबान सेल के एसीई2 रिसेप्टर तक पहुंच की अनुमति देने के लिए स्पाइक प्रोटीन रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन (आरबीडी) को "नीचे" से "ऊपर" की स्थिति में रखता है। शोधकर्ताओं ने एन343 ग्लाइकेन के सक्रिय होने का वर्णन किया।

यूटी ऑस्टिन में आणविक बायोसाइंसेस के एक सहयोगी प्रोफेसर जेसन मैकलेलन और उनकी टीम ने स्पाइक प्रोटीन के वेरिएंट बनाए और यह देखने के लिए परीक्षण किया कि ग्लाइकेन गेट की कमी ने आरबीडी की खोलने की क्षमता को कैसे प्रभावित किया। मैकलेलन ने कहा कि हमने दिखाया कि इस गेट के बिना, स्पाइक प्रोटीन की आरबीडी कोशिकाएं संक्रमित नहीं हो सकती हैं।

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