फास्ट फूड है घातक : सालाना 1.61 करोड़ लोगों की मौत का कारण है नमक का ओवरडोज

जर्नल ऑफ क्लीनिकल हाइपरटेंशन के मुताबिक पांच ग्राम से ज्यादा नमक खाने के कारण हृदय रोग संभव है। सीएसई की हालिया लैब रिपोर्ट ने फास्ट फूड में ज्यादा नमक की पुष्टि की है।
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क्या आपके बच्चे को सिरदर्द है और उसकी नजर कमजोर होने लगी है। कोई वस्तु दो दिखाई देती हैं, धुंधली हैं। यह अधिक नमक खाने के बाद हाइपरटेंशन (ब्लड प्रेशर) का नतीजा हो सकता है। फास्ट फूड में नमक की इतनी ज्यादा मात्रा है कि आप दिन पूरा करते-करते प्रतिदिन की तय मानक से दोगुना नमक खा ले रहे हैं। सामान्य तौर पर ही ज्यादा नमक खाने वाले लोगों में आजकल पैकेटबंद फास्ट फूड खाने का चलन तेजी से बढा है। यह भी देखा गया है कि ज्यादातर लोग फास्ट फूड के पैकेट पर सोडियम की भ्रामक मात्रा देखे बिना ब्रांडेड कंपनियों के चिप्स-नमकीन, बर्गर-पिज्जा का उपभोग कर रहे हैं। इनमें मौजूद नमक की असंतुलित मात्रा, आपकी सेहत का संतुलन बिगाड़ रही है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) की लैब रिपोर्ट के मुताबिक लोगों के पसंदीदा जंक फूड में अत्यधिक नमक होने की पुष्टि हुई है। ऐसे में स्नैक्स या मील के तौर पर पैकेटबंद फास्ट फूड का सेवन आपको बहुत ज्यादा बीमार बना सकता है। यह खतरा बच्चों पर और भी ज्यादा है। विराट कोहली हों या कोई भी मशहूर व्यक्तित्व यदि वह प्रचार के जरिए चिप्स और नमकीन को स्वास्थ्य के लिए हितकर बता रहा है तो यह आपको फांसने वाले जाल से ज्यादा कुछ भी नहीं।

सीएसई लैब रिपोर्ट ने विश्लेषण में पाया गया कि  भारतीय क्रिकेट कप्तान विराट कोहली के जरिए “स्मार्ट ऑप्शन फॉर स्मार्ट स्नैकर” का प्रचार ही झूठा है। संबंधित स्नैकर में नमक की मात्रा सेहत खराब करने वाली है। प्रचार वाले टू यम मल्टीग्रेन चिप्स के 30 ग्राम चिप्स में एक ग्राम नमक ज्यादा पाया गया। यदि आपने टू यम मल्टीग्रेन चिप्स एक बार दिन में खा लिया है तो दिन में दोबारा स्नैक लेने से पहले जरूर सोचें।

एफएसएसएआई ने 100 ग्राम के चिप्स, नमकीन और नूडल्स में 0.25 ग्राम सोडियम की मात्रा निर्धारित की है। जबकि 100 ग्राम के सूप और फास्ट फूड के लिए 0.35 ग्राम सोडियम की सीमा निर्धारित की है। नोर क्लासिक थिक टोमेटो सूप में निर्धारित सीमा से 12 गुणा अधिक नमक पाया गया है। हल्दीराम के नट क्रेकर में भी आठ गुणा अधिक नमक मिला है। 100 ग्राम के चिप्स और नमकीन के लिए वसा की सीमा आठ ग्राम निर्धारित है लेकिन अधिकांश चिप्स और नमकीन में यह 2-6 गुणा अधिक पाया गया है।

सीएसई लैब ने चार प्रकार के नमकीनों को जांचा है। हल्दीराम क्लासिक नट क्रैकर में नमक की मात्रा रेकमंडेड डायेटरी अलाउंस (आरडीए) मानकों से 35 फीसदी ज्यादा है। यह एक बार का समुचित खाना खाने में अनुमति योग्य नमक से भी ज्यादा है। वहीं, सिर्फ वेबसाइट पर ही 35 ग्राम इसकी सर्विंग साइज के बारे में लिखा गया है। यानी पैक खोलने से पहले ऑनलाइन जांचना एक बहुत ही दुश्वारी भरा काम है। वहीं, हल्दीराम की आलू भुजिया खाते ही आप आरडीए मानकों द्वारा तय 21 फीसदी नमक खा लेते हैं, लेकिन ग्राहक किसी भी तरीके से यह नहीं जान सकता है कि इस नमकीन और चिप्स को खाते हुए वह कितनी मात्रा में नमक खा चुका है।

जर्नल ऑफ क्लीनिकल हाइपरटेंशन में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक भारतीय प्रतिदिन औसतन 10 ग्राम नमक का सेवन कर रहे हैं जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन की सिफारिशों के मुताबिक प्रत्येक स्वस्थ्य व्यक्ति को एक दिन में पांच ग्राम से ज्यादा नमक नहीं खाना चाहिए। जाने-अनजाने नमक की तय मात्रा से दोगुना सेवन लोग कर रहे हैं। ऐसे में सीएसई की लैब रिपोर्ट हमारे नमक उपभोग से जुड़ी चिंताओं को और ज्यादा बढ़ा देती है क्योंकि जर्नल ऑफ क्लीनिकल हाइपरटेंशन के मुताबिक पांच ग्राम से ज्यादा नमक खाने के कारण 1 करोड़ 65 लाख लोगों की हर वर्ष हृदय रोग के कारण हो जाती है।  

सीएसई लैब की विस्तृत रिपोर्ट बताती है कि 13 साल का अक्षत स्कूली छात्र है। वह सप्ताह में दो या तीन बार नेस्ले मैगी मसाला इंस्टेंट नूडल्स खाता है। उसकी कैंटीन में यह आसानी से उपलब्ध है। 70 ग्राम का पैक 2.6 ग्राम नमक हमारे शरीर में पहुंचाता है। आटा नूडल्स को चटपटे के तौर पर प्रचारित करने वाले पतंजलि का पंचलाइन है “झटपट बनाओ, बेफिकर खाओ।” इसके एक पैकेट नूडल्स में 2.4 ग्राम नमक है। याद रखिए, एक स्वस्थ व्यक्ति को 5 ग्राम नमक का उपभोग ही पूरे दिन के लिए अनुशंसित है। अक्षत दिन भर की तय मात्रा का आधा सिर्फ एक फुल प्लेट मैगी या पंतजलि का आटा नूडल्स खाकर पूरा कर लेता है।

वहीं, सीएसई लैब रिजल्ट के मुताबिक, चिंग्स सीक्रेट स्केजवान तो एक कदम आगे है। इसके लेबल में इस्तेमाल की गए सामग्री को आधे से भी कम लिखा गया है। इसी तरह से, झटपट तैयार होने वाले सूप भी जाड़े में काफी पसंद किए जाते हैं, लेकिन निश्चित तौर पर यह भी स्वस्थ विकल्प नहीं है। नॉर क्लासिक थिक टोमैटो सूप यदि एक बार परोसते हैं तो आप दिन में इस्तेमाल करने लायक नमक की मात्रा का एक-चौथाई खा लेते हैं। अक्सर लोग खाना खाने की शुरुआत स्टार्टर के तौर पर सूप पीने से करते हैं। इसलिए सूप पीने के बाद आपका सेहतमंद खाना खाकर भी आप बहुत ही कम समय में मानक से ज्यादा नमक उपभोग कर लेते हैं।

इसी तरह एक चिकन महाराजा मैक खाते ही आप एक दिन के लिए निर्धारित नमक की करीब पूरी मात्रा का उपभोग कर लेते हैं। इसमें 4.6 ग्राम नमक होता है। इसका मतलब है कि अब दिन में सिर्फ दस फीसदी अथवा 0.4 ग्राम ही नमक खाना शेष रह जाएगा। जबकि बर्गर किंग का वेजेटिरयन चीज हूपर को खाते ही दिन में आपके पास एक-चौथाई नमक का कोटा ही शेष बचा रह पाता है। छोटे बर्गर्स लोगों को ज्यादा खाने के लिए उकसाते हैं। केएफसी के वेज जिंगर विद चीज में दिन के लिए तय नमक उपभोग सीमा का तीन-चौथाई हिस्सा मौजूद है। वहीं, चिकन क्लासिक जिंगर विद चीज में 60 फीसदी ज्यादा नमक है।

नमक हाइपरटेंशन को बढ़ावा देता है। यह चिकित्सा जगत में स्थापित तथ्य है। इसके लिए जागरुकता भी फैलायी जा रही है। हालांकि दूसरी तरफ फास्ट फूड का व्यापार करने वाली कंपनियों को इसकी चिंता नहीं है। वह फास्ट फूड में हानिकारक तत्वों की स्पष्ट जानकारी आप तक नहीं पहुंचाना चाहती हैं।

सीएसई के जरिए जांचे गए 14 पैकेटबंद भोजन में 10 ने अपने उत्पादों में सोडियम के बारे में बताया है लेकिन नमक के बारे में नहीं। इससे ग्राहकों को भ्रामक सूचना मिलती है। तीन उत्पादों में न ही सोडियम और न ही नमक की मात्रा दर्शायी गई। सिर्फ एक उत्पाद में नमक अथवा सोडियम की मात्रा लिखी गई। मिसाल के तौर पर चिप्स में मिलाई गई सामग्री के बारे में पढ़िए लेकिन आप बच्चे को नहीं बता सकते कि वह रोजाना कितना नमक खा रहा है। यह स्पष्ट है कि फूड कंपनियां जटिल तथ्य देती हैं। एक व्यक्ति को दो ग्राम से ज्यादा सोडियम नहीं खाना चाहिए लेकिन कंपनियां यह सूचना मिलीग्राम में देती हैं। इसलिए हर उत्पाद के बारे में दिमागी गणित लगाना एक और अतिरिक्त काम है।

भारत की खाद्य नियामक संस्था फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड (लेबलिंग एंड डिस्प्ले) रेगुलेशंस 2019, ड्राफ्ट में नमक की जगह सोडियम लिखने का प्रस्ताव दिया गया है, जो फूड इंडस्ट्री के पक्ष में जाता है। लोगों को सोडियम और नमक के साथ उसके संबंध के बारे में बहुत कम जानकारी है। सोडियम में नमक की मात्रा कितनी है, इसका हिसाब कैसे लगाया जाए, इसकी जानकारी भी लोगों को कम ही है। मगर एफएसएसएआई ने ड्राफ्ट में पैकेट के पीछे और सामने सोडियम लिखने का ही प्रस्ताव दिया है। पैकेट के सामने यानी फ्रंट ऑफ पैक  (एफओपी) नहीं है और कंपनियां चाहती भी नहीं है। फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड (लेबलिंग एंड डिस्प्ले) रेगुलेशंस, 2019 में एफओपी लेबल पर प्रस्तावित तीन को पांच तरह के न्यूट्रिएंट्स के बदलाव प्रस्ताव रखा था। इसमें नमक की जगह सोडियम, टोटल फैट के साथ सैचुरेटेड फैट और कुल शुगर के साथ एडेड शुगर को शामिल किया गया है। इससे ग्राहकों को सरलता से कुछ भी पता नहीं चलेगा।

नमक उपभोग के कारण स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों का अध्ययन करने व इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ इंडिया के सदस्य सुधीर राज थोट ने बताया कि 2025 तक वैश्विक स्तर पर नमक उपभोग में 30 फीसदी कमी के लिए राष्ट्रीय स्तर की प्रभावी नीति की जरूरत है।

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