गायों पर भारी धातुओं के प्रदूषण के असर को लेकर एक अध्ययन किया गया है। इसमें पाया गया कि भारी धातुओं से दूषित पानी पीने से डेयरी फार्म की गायों में रोगाणुरोधी-प्रतिरोध जीन तथा विभिन्न प्रकार के एंटीबायोटिक दवाओं को सहन करने की क्षमता बढ़ गई है। इन गायों के बीमार होने पर कई तरह के एंटीबायोटिक दवाओं का इन पर कोई असर नहीं देखा गया।
यह अध्ययन फ्रंटियर्स इन माइक्रोबायोलॉजी में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं की एक टीम ने ब्राजील में डेयरी फार्म की गायों के दो समूहों पर भारी धातुओं से दूषित वातावरण और पानी से पड़े प्रभाव का अध्ययन किया है। खनन के कचरे का एक बांध टूटने से गायों पर दुष्प्रभाव देखा गया, जिसके बाद वहां खनन पर रोक लगा दी गई थी। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह मानव स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक है।
अध्ययन में कहा गया है कि भारी धातुओं के लंबे समय तक पर्यावरण में रहने से आनुवंशिक बदलाव बढ़ सकता है। पेन स्टेट में खाद्य पशु माइक्रोबायोम के सहायक प्रोफेसर और शोधकर्ता एरिका गंडा ने कहा कि इन धातुओं की वजह से गायों पर पाए जाने वाले सूक्ष्मजीव प्रभावित हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि हमारे निष्कर्ष महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि यदि जीवाणु रोगाणुरोधी प्रतिरोध को दूध या मांस की खपत के द्वारा भोजन श्रृंखला में बदल देते हैं, तो इसका मानव स्वास्थ्य पर खतरनाक प्रभाव होगा। जब वातावरण में भारी धातु प्रदूषण होता है, तो तथाकथित 'सुपरबग' वृद्धि की आशंका होती है। सुपरबग सामान्यतः एक जीवाणु को कहा जाता है, आमतौर पर जब इलाज करने के लिए उपयोग किए जा रहे एंटीबायोटिक दवाओं का असर नहीं होता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार एंटीमाइक्रोबायल्स का प्रतिरोध मानवता के सामने शीर्ष 10 वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरों में से एक है। रोगाणुरोधी प्रतिरोध तब होता है जब बैक्टीरिया, वायरस, कवक और परजीवी समय के साथ बदलते हैं और उन पर दवाओं का असर नहीं होता है, जिससे संक्रमण का इलाज करना कठिन हो जाता है और बीमारी फैलने, गंभीर बीमारी और मृत्यु तक का खतरा बढ़ जाता है।
मैरियाना डैम आपदा : 2015
यह अध्ययन दक्षिण अमेरिकी पर्यावरण आपदा के बारे में बताता है, जिसे मैरियाना डैम आपदा के रूप में जाना जाता है। 2015 में फंडो टेलिंग्स डैम के टूटने से एक विकट घटना हुई और यहां से 1100 करोड़ (11 बिलियन) गैलन से अधिक लौह अयस्क अपशिष्ट बह निकले। दक्षिण पूर्व ब्राजील के एक राज्य मिनस गेरैस में मैरियाना सिटी के आस-पास डोसे रिवर बेसिन में जहरीला कीचड़ जा कर फैल गया था।
इस तबाही के बाद, टीम ने डेयरी मवेशियों पर दूषित पेयजल के लंबे समय तक होने वाले खतरों का विश्लेषण किया।
अपने निष्कर्षों तक पहुंचने के लिए, शोधकर्ताओं ने पर्यावरणीय आपदा के चार साल बाद लौह अयस्क के कचरे से दूषित क्षेत्र में 16 डेयरी फार्म के मवेशियों के मल में रोगाणुरोधी-प्रतिरोध जीन, रुमेन द्रव की पहचान की। शोधकर्ताओं ने 16 डेयरी मवेशियों के उन जानवरों से लिए गए नमूनों की तुलना वहां से लगभग 220 मील दूर एक अप्रभावित डेयरी फार्म के पशुओं से की।
विश्वविद्यालय साओ पाउलो ब्राज़ील की पशु स्वास्थ्य विभाग में शोध सहायक नतालिया कैरिलो गीता ने कहा पशुओं में रहने वाले सूक्ष्मजीव लगातार दूषित पानी के संपर्क में आए, जबकि गाय कई मायनों में भारी धातुओं के संपर्क में नहीं आए थे। उन्होंने कहा कि जीवाणुरोधी रोगाणुरोधी प्रतिरोधों की अधिकता और व्यापकता जो डेयरी फार्म दूषित नहीं थे उनके मवेशियों की तुलना में भारी धातुओं से प्रभावित डेयरी फार्म के मवेशियों में अधिक थी।
गीता ने बताया कि भारी धातुओं के प्रदूषण के संपर्क में आने से कई दवाओं के लिए प्रतिरोध जीन बना है। हमने पाया कि जीवाणुरोधी रोगाणुरोधी-प्रतिरोध जीनों का फेकल नमूनों के द्वारा सबसे आसानी से पता लगाया जाता है।
गंडा ने कहा कि वातावरण में भारी धातु प्रदूषण और जीवाणुओं में एंटीबायोटिक प्रतिरोध के बढ़ते प्रसार के बीच की कड़ी को पहले देखा जा चुका है। इसे "सह-प्रतिरोध घटना" के रूप में जाना जाता है और यह एक ही आनुवंशिक तत्व में स्थित विभिन्न प्रकार के प्रतिरोध जीनों के बीच निकटता की विशेषता है।
गीता ने बताया कि इस संबंध के परिणामस्वरूप भारी धातु प्रतिरोध प्रदान करने वाले एक जीन में बदल जाता है, निकटतम जीन में बदलाव से ये आपस में ताल-मेल बिठा लेते हैं, जो एक एंटीबायोटिक प्रतिरोध करता है। नतीजतन, कुछ प्रतिरोध तंत्र एंटीबायोटिक दवाओं और भारी धातुओं के बीच बट जाते हैं।
यह अध्ययन जानवरों, लोगों और वातावरण के परस्पर प्रभाव पर केंद्रित है। यह अध्ययन स्वास्थ्य समस्या के बारे में जानकारी देता है।
गंडा ने कहा बांध के टूटने से आई विनाशकारी बाढ़ जिसे ब्राजीलियाई पर्यावरणीय आपदा के रूप में जाना जाता है। इसकी वजह से न केवल कई लोग और जानवर मारे गए थे, बल्कि इसने वातावरण में प्रदूषण फैलाया और इसकी वजह से डेयरी की गायों में बदलाव आए, जो मनुष्यों के लिए एक और खतरा पैदा कर सकता है।