विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) का हालिया “पल्स सर्वेक्षण” यह स्पष्ट तौर पर बताता है कि कोविड-19 की महामारी घोषित होने के बाद दुनिया के लगभग 90 प्रतिशत देश रोजाना की नियमित आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं की डिलेवरी दुरुस्त नहीं हैं। इसकी वजह महामारी के दौरान आपातकालीन समाधान के लिए सभी तरह की स्वास्थ्य सेवाओं का इस्तेमाल होना है।
डब्ल्यूएचओ आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं पर कोविड-19 महामारी से निपटने के उपायों के असर को जांचने के लिए देशों/क्षेत्रीय स्तरों पर “पल्स सर्वेक्षण” करता है।
इस तरह का पहला सर्वेक्षण 2020 की गर्मियों में किया गया था। नया सर्वेक्षण अक्टूबर 2020-फरवरी 2021 के बीच किया गया। इस सर्वेक्षण में दुनिया 216 देशों और क्षेत्रों को शामिल किया गया और स्वास्थ्य सेवाएं देने वाले 63 प्लेटफॉर्म और क्षेत्रों में सेवाओं में आई गिरावट का आकलन किया गया।
नवीनतम “पल्स सर्वेक्षण” के नतीजों को देखें तो पिछले सर्वेक्षण अवधि के मुकाबले आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करने में बहुत ज्यादा प्रगति नहीं हुई है।
सर्वेक्षण में पाया गया, “देशों को अभी ये महत्वपूर्ण फैसले करने हैं कि जब कोविड-19 नियंत्रण के उपाय किए जाएं तो वे सेहत संबंधी अन्य मुद्दों पर कोई नकारात्मक असर न डाल सकें। कोविड-19 देखभाल के लिए कर्मचारियों को तैनात करने और अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं व सेवाओं को अस्थायी रूप से बंद किया जाना अभी भी जारी है।”
महामारी से निपटने पर जबरदस्त तरीके से ध्यान देने का नतीजा है कि दुनिया भर में महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं पाने वाले लाखों लोग गायब हो गए हैं। हालिया “पल्स सर्वेक्षण” से पता चला है कि “दुनिया के लगभग आधे देशों में कुछ सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं की रोकथाम और प्रबंधन करने वाली प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के इंतजाम पर सबसे व्यापक असर दर्ज किया गया है। गंभीर बीमारियों, पुनर्वास, और जीवन पर्यंत चलने वाले इलाज के लिए दीर्घकालिक देखभाल, अभी भी बुरी तरह से बाधित हैं, सबसे ज्यादा असर बुजुर्गों और विकलांग जनों को मिलने वाली स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ा है।”
सर्वेक्षण में शामिल 20 फीसदी देशों में, अस्पताल अभी भी महामारी के पहले की स्थिति के मुकाबले “जीवन-रक्षक संभावित आपातकाल” उपलब्ध कराने, गंभीर और सर्जिकल देखभाल सुविधाएं देने में सक्षम नहीं हैं। सर्वेक्षण में पाया गया, “दो-तिहाई देशों ने संचयी परिमाणों के साथ जटिल सर्जरी में बाधाएं आने की जानकारी दी है, क्योंकि महामारी बहुत लंबी खिंच गई है।”
इसी तरह, एक-तिहाई देश सामान्य टीकाकरण सेवाओं को दोबारा पटरी पर लाने में सक्षम नहीं हो पाए हैं। हालांकि, सर्वेक्षण में यह पाया गया है कि 2021 के पहले तीन महीनों में प्रगति हुई है।
यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक, हेनरीटा फोर ने कहा, “कोविड-19 महामारी स्वयं के असर से परे वैश्विक स्वास्थ्य के सामने गंभीर चुनौतियां खड़ी कर रही है।” उन्होंने कहा, “बच्चों के लिए, टीकाकरण सेवाओं में बाधाओं से गंभीर नतीजे जुड़े हैं। जैसे-जैसे हम कोविड-19 टीकों की आपूर्ति बढ़ाते हैं, हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि यह बच्चों के अनिवार्य टीकाकरण की कीमत पर न हो। हम कोविड-19 के खिलाफ आज की लड़ाई की वजह से खसरा, पोलियो या टीके से रुकने वाली अन्य बीमारियों के खिलाफ अपनी लड़ाई को कमजोर होने की छूट नहीं दे सकते हैं। लंबे समय तक टीकाकरण बाधित होने का बच्चों के स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक असर होगा। अब इसे सही करने का वक्त है।”