इंडियन एसोसिएशन ऑफ इपिडिमियोलॉजिस्ट और कई विशेषज्ञ काफी समय से कह रहे हैं कि भारत में कोविड-19 का सामुदायिक संक्रमण हो रहा है। हालांकि सरकार आधिकारिक तौर पर इससे इंकार कर रही थी।
आईसीएमआर की वरिष्ठ वैज्ञानिक निवेदिता गुप्ता ने बताया कि “हम सिरोप्रिवेलेंस स्टडीज (जिनमें कोविड-19 के लक्षण नहीं दिखे हैं) कर रहे हैं। इसके नतीजे इस सप्ताह के अंत या अगले सप्ताह तक सार्वजनिक होंगे।”
उन्होंने कहा कि “भारत में कोविड-19 का चरम अभी भी बहुत दूर है और देश को इसके बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि प्रसार को रोकने के लिए पर्याप्त उपाय किए जा रहे हैं।”
हालांकि भारत में मरीजों की संख्या का ग्राफ अपने उच्चतम शिखर तक नहीं पहुंचा है। ऐसा देखा गया है कि बीमारी में गिरावट तभी होगी जब वह अपने उच्चतम शिखर पर पहुंच जाएगी। इस अनुमान के अनुसार भारत में मरीजों की संख्या अभी बढ़ेगी। यह समय सीमा क्या होगी यह अभी निश्चित नहीं है
तमाम अध्ययनों के अनुसार भारत में जून-जुलाई में कोविड-19 अपने चरम पर होगा, फिलहाल सरकार ने इस पर कुछ नहीं कहा है।
भारत में कोविड-19 से होने वाली कम मृत्यु दर पर भी बात की गई है लेकिन उन मौतों पर भी चिंता जाहिर की गई है जो इसके अंतर्गत दर्ज नहीं की जा रही हैं।
सांस की बीमारी से मरने वाले मरीजों का अस्पतालों में कोविड-19 परीक्षण न किए जाने के सवाल पर निवेदिता गुप्ता ने कहा “मृत्यु के कारणों की जांच तो की जानी चाहिए, लेकिन ऐसा कहना गलत होगा कि हर मौत की वजह कोविड-19 ही है।”
यह आईसीएमआर के दिशानिर्देशों का उल्लंघन है, जिसके अनुसार, सभी संदिग्ध मौतों के लिए एक नेजल स्वैब लेना पड़ता है। उन्होंने इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि आईसीएमआर के दिशानिर्देशों का कथित रूप से पालन क्यों नहीं किया जा रहा है?
दिल्ली सरकार ने अपनी सीमाओं को बंद कर दिया ताकि कोविड बेड का उपयोग केवल दिल्ली के मरीजों द्वारा ही किया जा सके। इस पर लव अग्रवाल ने केंद्र सरकार के रूख को स्पष्ट करते हुए कहा कि “केंद्र द्वारा जारी दिशा-निर्देश केवल मानक हैं। अगर राज्य सरकार को लगता है कि उसे अतिरिक्त कदम उठाने की आवश्यकता है, तो वह ऐसा करने के लिए स्वतंत्र हैं।”
यह पूछे जाने पर कि क्या राज्यों के बीच तालमेल की कमी है, उन्होंने कहा, “इन सवालों को पूछकर आप एक दूरी बनाने की कोशिश करते हैं। हम सब एकजुट होकर काम कर रहे हैं”।