कोविड-19 ने 120 देशों की मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं पर डाला असर

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 130 देशों में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं पर कोविड-19 की वजह से क्या असर पड़ा है, इसका अध्ययन किया है
Photo: wikimedia commons
Photo: wikimedia commons
Published on

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के एक नए सर्वेक्षण के अनुसार कोविड-19 महामारी ने 93 फीसदी देशों में महत्वपूर्ण मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावित किया है। जिससे मानसिक स्वास्थ्य की देख-भाल की मांग बढ़ रही है। यह सर्वेक्षण 130 देशों पर किया गया।

इस रिपोर्ट में डब्ल्यूएचओ ने पहले मानसिक स्वास्थ्य की पुरानी कमियों के बारे में जानकारी देते हुए कहा है कि महामारी से पहले, दुनिया भर के देश मानसिक स्वास्थ्य पर अपने राष्ट्रीय स्वास्थ्य बजट का 2 प्रतिशत से कम खर्च कर रहे थे। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की मांग बढ़ा रही है। आघात (शोक), अलगाव, आमदनी में कमी और भय की वजह से लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ा है। कोविड-19 न्यूरोलॉजिकल और मानसिक जटिलताओं को जन्म दे सकता है, जैसे स्ट्रोक आदि। पहले से मानसिक, न्यूरोलॉजिकल या मादक द्रव्यों के सेवन करने वाले लोगों में कोरोनावायरस संक्रमण की आशंका अधिक होती है। ऐसे लोग जहां गंभीर रूप से बीमार हो सकते हैं, वहीं कोरोना संक्रमण की वजह से उनकी मौत तक हो सकती है।  

विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडहोम घेब्येयियस ने कहा कि हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार है, उसे मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं मिलें। कोविड-19 ने दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को बाधित किया है। विश्व के नेताओं को महामारी और उसके बाद के जीवन रक्षक मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में अधिक से अधिक निवेश करना होगा। 

यह सर्वेक्षण जून से अगस्त 2020 तक डब्ल्यूएचओ के छह क्षेत्रों के 130 देशों में किया गया था। इसमें मूल्यांकन किया गया है कि कोविड-19 के कारण मानसिक, न्यूरोलॉजिकल और सेवाओं के प्रावधान कैसे बदल गए हैं, किस प्रकार की सेवाओं को रोका गया है, और देश इन चुनौतियों से कैसे पार पा रहे हैं।

देशों ने कई प्रकार की महत्वपूर्ण मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के व्यापक व्यवधान के बारे में बताया :

  • बच्चों और किशोरों में 72 फीसदी, वयस्कों में 70 फीसदी और महिलाओं को प्रसवपूर्व या प्रसव के बाद की सेवाओं में 61 फीसदी की आवश्यकता सहित 60 फीसदी से अधिक लोगों ने मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं में व्यवधान पड़ने के बारे में बताया।
  •  67 फीसदी लोग परामर्श और मनोचिकित्सा की सेवा नहीं ले पाए, 65 फीसदी को महत्वपूर्ण सेवाएं मिलने के कारण नुकसान हुआ।
  •  एक तिहाई लगभग 35 फीसदी से अधिक लोगों ने आपातकालीन सेवाएं न मिलने की बात कही, इनमें ऐसे लोग शामिल थे जिन्हें पहले से ही दौरे पड़ने की बीमारी थी।
  • 30 फीसदी लोगों ने मानसिक, न्यूरोलॉजिकल विकारों के लिए दवाओं के उपयोग में परेशानी के बारे में बताया।
  • लगभग तीन-चौथाई ने स्कूल और कार्यस्थल में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं में क्रमशः 78 फीसदी और 75 फीसदी आंशिक दिक्कतों के बारे में बताया।

जबकि 70 फीसदी देशों ने इन सेवाओं में व्यवधानों को दूर करने के लिए टेलीमेडिसिन या टेलीथेरेपी को अपनाया है। डब्ल्यूएचओ ने सभी देशों को यह निर्देश दिया है कि मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को बनाए रखा जाए। हालांकि 89 फीसदी देशों ने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य उनकी योजनाओं का हिस्सा है, इनमें से केवल 17 फीसदी देशों ने बताया कि इस काम के लिए उनके पास अतिरिक्त धन उपलब्ध है। 

डब्ल्यूएचओ ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य बजट का केवल 2 फीसदी खर्च करना पर्याप्त नहीं है। अंतर्राष्ट्रीय फ़ंड को भी बढ़ाने  की आवश्यकता है। कोविड-19 से पहले के अनुमानों से पता चलता है कि अकेले अवसाद और चिंता के कारण आर्थिक उत्पादकता में लगभग 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष की हानि होती है।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in