रेमडिसिविर का उपयोग कोविड 19 के गंभीर मरीजों पर ही किया जाएगा या सभी को यह दवा दी जाएगी। इसको लेकर सरकार की कोई स्पष्ट राय नहीं है। इस दवा का पेटेंट लेने वाली अमेरिकी कंपनी गिलियड इंक और भारत में दवा निर्माण लाइसेंस प्राप्त कंपनियों के पास इस दवा से मरीजों के ठीक हो जाने का न तो कोई आधार है न हीं कोई प्रमाण।
केंद्रीय औषध मानक नियंत्रण संस्थान (सीडीएससीओ) ने नोवल कोरोना वायरस के मरीजों पर रेमडेसिविर नामक दवाई के इमरजेंसी इस्तेमाल को अपनी स्वीकृति दे दी है। यह स्वीकृति किस आधार पर दी गई है इस ओर कोई स्पष्टता नहीं है। 2 जून मंगलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय अपनी प्रेस कांफ्रेस में भी इसके उपयोगों के आधार पर कोई ठोस स्पष्टीकरण नहीं दे पाया।
मंत्रालय के सचिव लव अग्रवाल ने डाउन टू अर्थ को बताया कि कुछ प्रोटोकॉल हैं जिनका पालन किया गया है।
उन्होंने बताया कि औषध संस्थान द्वारा दिए गए प्रमाणों के आधार पर ही इस दवा के प्रयोग की अनुमति दी गई है। सरकार के समक्ष कौन से तथ्य व प्रमाण रखे गए और उन्हें कैसे उपयोग में लाना है वह अभी मेरे पास मौजूद नहीं हैं।
फिलहाल औषध संस्थान, दवा बनाने वाली कंपनियों गिलियड इंक और भारत में इसे बनाने का लाइसेंस प्राप्त करने वाली भारतीय कंपनियों (सिपला और हिटिरो लैब्स) की ओर से दिए गए प्रमाणों से इसके उपयोग का आधार स्पष्ट नहीं हो रहा है।
रेमडिसिविर का उपयोग किन मरीजों पर करना है इस पर भी सरकार स्पष्ट नहीं है। कोविड के गंभीर मरीजों के उपचार में इसका उपयोग करना है या सभी पर इसको लेकर सरकार के पास कोई ठोस जानकारी नहीं है।
न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि यह दवा इंजेक्शन के रूप में अस्पताल में भर्ती मरीजों को ही दी जाएगी। डाउन टू अर्थ ने इस संबंध में भारतयी औषध महानियंत्रक (डीजीसीआई) वीजी सोमानी से बात करने की कोशिश की लेकिन खबर लिखे जाने तक उनका कोई जवाब नहीं आया।
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इस दवा का वैश्विक परीक्षण किया जा रहा है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) भी इस परीक्षण में भाग लेने वाली सहयोगी एजेंसी है। दवा रेमडिसिविर का परीक्षण अभी भी जारी है।
अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने कोविड-19 मरीजों के उपचार के दौरान आपातकालीन स्थिति में रेमडिसिविर दवा का उपयोग करने की स्वीकृति प्रदान की है। यह स्वीकृति यूएस-आधारित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजीज एंड इंफेक्शियस डिसीज (एनआईएआईडी) के रेंडम कंट्रोल ट्रायल और गिलीड इंक द्वारा किए गए एक अध्ययन के आधार पर दी गई है।
अमेरिका की एनआईएआईडी द्वारा जिन 1,093 रोगियों पर यह परीक्षण किया गया उनकी रिकवरी अन्य मरीजों की तुलना में 15 के बजाय 11 दिनों में ही हो गई।
जबकि ऐसा ही एक अन्य रेंडम क्लिनिकल ट्रायल हुबेई में कोविड-19 के 237 मरीजों पर किया गया। इस परीक्षण में रेमडिसिविर दवा लेने वाले और न लेने वाले मरीजों की रिवकरी में कोई अंतर नहीं था।
इस परीक्षण की सीमा यह है कि इसके अन्तर्गत मरीजों की संख्या काफी कम है, यानी ट्रायल की सत्यता स्थापित करने के लिए बहुत कम परीक्षण किए गए हैं। जबकि मूल रुप से ऐसा नही किया जाना था।
यूएस एफडीए वयस्कों के उपचार के पहले दिन 200 मिलीग्राम के इंजेक्शन की सलाह देता है, इसके बाद नौ दिनों के लिए 100 मिलीग्राम का इंजेक्शन दिया जाए। इसके बाद भी जरूरी हो तो इसे अगले पांच दिनों के लिए बढ़ाया जा सकता है। भारतीय मरीजों को इंजेक्शन की कितनी मात्रा दी जाएगी, यह स्पष्ट नहीं है।