कोरोनावायरस संक्रमण: तीसरे चरण में प्रवेश कर चुका है भारत?

सांस संबंधित बीमारों में 10 प्रतिशत ऐसे लोग हैं, जिन्होंने पिछले दिनों कोई विदेश यात्रा नहीं की, फिर भी उनमें कोविड-19 टेस्ट पॉजीटिव पाया गया है
लॉकडाउन की वजह से बसें बंद कर दी गई तो लोग पैदल ही चल पड़े। फोटो: विकास चौधरी
लॉकडाउन की वजह से बसें बंद कर दी गई तो लोग पैदल ही चल पड़े। फोटो: विकास चौधरी
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भारत सरकार ने कोरोनावायरस के तीसरे चरण (सामुदायिक संक्रमण) की तरफ इशारा करते हुए 28 मार्च को कहा कि सांस की गंभीर तकलीफ (एसएआरआई) के मरीजों में कोविड-19 का संक्रमण पाया गया है, जिन्होंने न तो पिछले दिनों कोई अंतर्राष्ट्रीय यात्रा नहीं की और वे किसी संक्रमित मरीज के संपर्क में आए थे।

यह जानकारी भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के संक्रमण विभाग प्रमुख डॉ आर गंगाखेड़कर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दी। यह सरकार की तरफ से पहले संकेत है जिसमें कहा गया है कि विदेश यात्रा के मानदंडों के बाहर के लोग भी संक्रमित पाए जा रहे हैं। हालांकि, गंगाखेड़कर ने ऐसे संक्रमित मरीजों की संख्या का खुलासा नहीं किया और कहा कि ऐसे मामले छिटफुट ही हैं।  वह इस बात से इनकार करते नजर आए की यह सामुदायिक प्रसार की तरफ इशारा है।  

आईसीएमआर के सूत्रों ने कहा कि एसएआरआई के 110-120 नमूनों के बीच 10 प्रतिशत मरीजों में संक्रमण पाया गया है। 

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के नेशनल हेल्थ सिस्टम रिसोर्स के पूर्व प्रमुख टी सुंदरारमन ने कहा कि बेशक मामलों की संख्या कम हैं, लेकिन यह साफ संकेत हैं कि भारत कोरोनावायरस के तीसरे चरण की ओर बढ़ चुका है। यह बात भी गलत है कि सरकार आंकड़ों के बारे में सही-सही जानकारी नहीं दी रही है।

डाउन टू अर्थ को उन्होंने बताया कि सबूतों की अनउपलब्धता को सबूतों की कमी के तौर पर पेश किया जा रहा है। जब हम इस मामले को इतनी कम जांच के आंकड़े से देखते हैं तो स्थिति चिंताजनक लगती है। जांच के दायरे को कागज पर तो बढ़ाया गया है लेकिन जमीन पर पुराने तरीके से ही सीमित लोगों की जांच की जा रही है। सांस लेने में गंभीर तकलीफ वाले मरीजों की कोविड-19 संक्रमण की जांच कराना काफी मुश्किल है, जबकि गाइडलाइन में ऐसा करने को कहा गया है. वह कहते हैं कि उन्हों लगता है अब संक्रमण किस स्तर पर है। इसकी चर्चा करने के बजाए हमें अपने सारे संसाधनों को सही तरह से इस्तेमाल में लाने की तरफ ध्यान देना चाहिए और अस्पतालों को तीसरे स्तर के लिए तैयार रहना चाहिए।

राज्यों में हड़कंप

छत्तीसगढ़ के एक वरिष्ठ अधिकारी की नींद उस वक्त उड़ गई जब उन्होंने वॉट्सअप पर 27 मार्च की देर रात एक संदेश देखा। संदेश में लिखा था, "सभी निजी अस्पताल की उपलब्धता सुनिश्चित कर अंदरुनी इलाकों के रास्तों को खाली करो, आईसीयू के सभी उपकरण की गिनती कर उन्हें उपयोग के लिए साफ कर रखो और जितने वेंटिलेटर हो सके अपने नियंत्रण में ले लो।"

यह अधिकारी महामारी से निपटने की तैयारियों में शामिल अधिकारियों में एक हैं। इस संदेश के मिलने के पांच मिनच बाद ही उन्हें पड़ोस के राज्य ओडिसा से एक वरिष्ठ अधिकारी का फोन आता है, "रायपुर में कितने वेंटिलेटर हैंवहां कितने लोग संक्रमित हो चुके हैं?"

इसके अगले 20 मिनट में कोविड-19 से लड़ने के लिए बनाए गए केरल, ओडिसा, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश सहित की राज्यों के नोडल अधिकारियों में तैयारियों को लेकर अफरातफरी मच जाती है और वे जल्दबाजी में स्थिति का आंकलन करने में लग जाते हैं।

उत्तरप्रदेश के एक अधिकारी ने आईसीएमआर के संदर्भ में एक अपुष्ट जानकारी साझा की जिसमें उनका मानना है कि दिल्ली में बैठे अधिकारियों को सामुदायिक प्रसार की प्रबल आशंका हो गई है।  हजारों प्रवासी मजदूरों के इन राज्यों में अचानक आमद देने के साथ ही मार्च 26 के बाद से दहशत में और बढ़ोतरी हो गई। मार्च 28 की शाम तक ओडिसा और छत्तीसगढ़ के आधिकारिक प्रवक्ताओं ने अपने बयानों ने सामुदायिक प्रसार की प्रबल आशंका की तरफ इशारा किया।

ओडिसा और उत्तरप्रदेश के ग्रामीण स्तर पर हो रहे काम को देखते हुए सतर्कता में बढ़ोतरी की तरफ ध्यान जाता है। ओडिसा ने पंचायत के स्तर पर पांच लाख रुपए का बजट रखा है जिससे लोगों को एकांत में रखने और गंभीर स्थिति में इलाज के खर्चों को पूरा किया जा सकेगा। बुनियादी ढांचे की स्थिति का आंकलन भी सरकारों के ध्यान में है।

हालांकि, उपरोक्त सभी काम सामान्य और जरूरी तैयारियों का हिस्सा हो सकता है, लेकिन दिल्ली से आधिकारिक तौर पर देश के सभी कलेक्टरों को सीधे जारी होने वाले संदेश स्थिति की गंभीरता की तरफ इशारा करती है। इससे यह डर और भी पुख्ता हो रहा है कि सरकार जिस तरह की स्थिति सामने ला रही है, उससे कहीं अधिक गंभीर स्थिति को लेकर सरकार तैयारियां कर रही है।

छत्तीसगढ़ में कोविड-19 की तैयारियों से जुड़े और मुख्यमंत्री द्वारा बनाई इस संक्रमण से संबंधित टीम के एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि यह अब सच्चाई है कि हम संक्रमण के तीसरे स्तर पर पहुंच चुके हैं। चाहे इसकी घोषणा ही हो या न हुई हो हमने इसकी तैयारी कर रखी है। वह कहते हैं कि पिछले 24 घंटों में अधिकारियों के बीच होने वाले अंदरूनी संवाद से यह बात साफ हो गई है।

इतना ही नहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने परसों एक ट्वीट कर कहा, "मुझे कोविड-19 की स्थिति और संभावित तीसरे स्तर के संक्रमण की स्थिति में उठाए जाने वाले कदमों को सुझाने के लिए बने पैनल के प्रमुख डॉ. सरीन के द्वारा इसकी रिपोर्ट मिली है।" केजरीवाल ने यह भी जोड़ा कि राज्य सरकार रोजाना 1,000 पॉजिटिव मामलों की जांच, इलाज और उनको एकांत में रखने की क्षमता विकसित कर रही है।

अब सवाल है कि सामुदायिक प्रसार का क्या मतलब है? यूनाइटेड स्टेट के सेंटर फोर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने 26 फरवरी को इसकी परिभाषा देते हुए कहा "सामुदायिक प्रसार की स्थिति में संक्रमित व्यक्ति के संक्रमण का श्रोत अज्ञात होता है।" तमिलनाडु में मार्च 18 को 20 वर्ष का एक व्यक्ति कोविड-19 से संक्रमित हुआ। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने इसको पहला घरेलू मामला बताया। उसने हाल ही में दिल्ली की यात्रा की थी। मंत्री ने डाउन टू अर्थ से कहा कि हमें उस व्यक्ति का कोई भी अंतरराष्ट्रीय यात्रा का इतिहास नहीं मिला। मध्यप्रदेश के इंदौर, छत्तीसगढ़ के रायपुर और ओडिसा में भी ऐसे मामले सामने आए हैं।

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