तिलचट्टों के कारण घर की हवा में बढ़ रहा है एलर्जी का स्तर

अध्ययन में पाया गया कि कॉकरोच की वजह से घरों में एलर्जी और एंडोटोक्सीन का स्तर बढ़ गया जो स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है।
कॉकरोचों की संख्या जितनी अधिक, घर में  एलर्जी और एंडोटोक्सीन का स्तर उतना ही ज्यादा पाया गया।
कॉकरोचों की संख्या जितनी अधिक, घर में एलर्जी और एंडोटोक्सीन का स्तर उतना ही ज्यादा पाया गया।फोटो साभार: आईस्टॉक
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सारांश
  • कॉकरोचों की संख्या जितनी अधिक, घर में एलर्जी और एंडोटोक्सीन का स्तर उतना ही ज्यादा पाया गया।

  • कीट नियंत्रण के बाद एलर्जी और एंडोटोक्सीन दोनों में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई।

  • तिलचट्टों के मल में मौजूद बैक्टीरिया एंडोटोक्सीन छोड़ते हैं, जो हवा और धूल के जरिए फैलते हैं।

  • मादा तिलचट्टे नर की तुलना में लगभग दोगुना एंडोटोक्सीन छोड़ती हैं, क्योंकि वे अधिक भोजन करती हैं।

  • इनडोर एंडोटोक्सीन और एलर्जन के सांस द्वारा सेवन से एलर्जी और अस्थमा जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।

हमारे घरों में अक्सर छिपे रहने वाले तिलचट्टे (कॉकरोच) केवल गंदगी का संकेत नहीं होते, बल्कि वे हमारे स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा बन सकते हैं। उत्तरी कैरोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने हाल ही में यह पाया है कि घर में तिलचट्टों की संख्या जितनी अधिक होती है, वहां एलर्जी और एंडोटोक्सीन का स्तर भी उतना ही ज्यादा पाया जाता है। यह अध्ययन जर्नल ऑफ एलर्जी एंड क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी: ग्लोबल नामक वैज्ञानिक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

शोध का उद्देश्य

इस अध्ययन का मुख्य उद्देश्य यह जानना था कि घरों में तिलचट्टों की उपस्थिति किस तरह से घर के अंदर की हवा की गुणवत्ता को प्रभावित करती है। वैज्ञानिकों ने यह भी देखा कि जब तिलचट्टों को घरों से खत्म किया गया, तो क्या एलर्जी और एंडोटोक्सीन के स्तर में कोई बदलाव हुआ।

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तिलचट्टे और एंडोटोक्सीन का संबंध

तिलचट्टे सर्वाहारी कीट हैं, वे लगभग हर चीज खाते हैं, जिससे उनके आंतों में विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया पाए जाते हैं। जब ये बैक्टीरिया मरते हैं, तो उनके कोशिकीय अवशेषों से एंडोटोक्सीन निकलता है। यह एंडोटोक्सीन तिलचट्टों के मल के माध्यम से घर के वातावरण में फैल जाता है।

वैज्ञानिकों ने पाया कि घरों में पाए जाने वाले धूल के कणों में मौजूद एंडोटोक्सीन का बड़ा हिस्सा तिलचट्टों के मल से आता है। हालांकि इंसान और पालतू जानवर भी कुछ मात्रा में एंडोटोक्सीन छोड़ते हैं, लेकिन तिलचट्टों की तुलना में यह बहुत कम होता है।

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अध्ययन की प्रक्रिया

यह शोध उत्तरी कैरोलिना के रैले के बहु-इकाई अपार्टमेंट परिसरों में किया गया। वैज्ञानिकों ने सबसे पहले उन घरों में तिलचट्टों की संख्या का अनुमान लगाया जहां संक्रमण मौजूद था।

फिर उन्होंने फर्श और हवा दोनों से धूल के नमूने इकट्ठे किए, ताकि एलर्जी और एंडोटोक्सीन की मात्रा मापी जा सके। इसके बाद घरों को तीन समूहों में बांटा गया:

  • तिलचट्टों से संक्रमित लेकिन कोई उपचार नहीं किया गया घर।

  • संक्रमित घर जिनमें कीट नियंत्रण किया गया।

  • तिलचट्टे-मुक्त घर, जो नियंत्रण समूह के रूप में रखे गए।

  • तीन और छह महीने के अंतराल पर सभी घरों से दोबारा नमूने लिए गए।

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क्या कहते हैं परिणाम

जिन घरों में तिलचट्टे मौजूद रहे, वहां एलर्जी और एंडोटोक्सीन दोनों के स्तर लगातार बहुत ज्यादा पाए गए। जिन घरों में कीट नियंत्रण किया गया, वहां तिलचट्टों की संख्या कम होने के साथ-साथ एलर्जी और एंडोटोक्सीन में भी बड़ी गिरावट दर्ज की गई। तिलचट्टे-मुक्त घरों में दोनों पदार्थों का स्तर पूरे अध्ययन के दौरान बहुत कम रहा।

शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि मादा तिलचट्टे नर की तुलना में लगभग दोगुना एंडोटोक्सीन छोड़ती हैं, क्योंकि वे अधिक भोजन खाती हैं। साथ ही, रसोई में एंडोटोक्सीन का स्तर शयनकक्षों की तुलना में अधिक था, क्योंकि तिलचट्टे अधिकतर रसोई में रहते हैं।

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स्वास्थ्य पर असर

शोध के अनुसार, एंडोटोक्सीन के श्वसन से मनुष्यों में एलर्जिक प्रतिक्रियाएं और अस्थमा जैसी सांस की बीमारियां बढ़ सकती हैं। पहले के सर्वेक्षणों में भी यह पाया गया था कि जिन घरों में तिलचट्टे मौजूद हैं, वहां एंडोटोक्सीन का स्तर बहुत अधिक होता है। यह प्रभाव कम-आय वाले बहु-इकाई घरों में विशेष रूप से अधिक देखा गया।

शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि जब आप तिलचट्टों को खत्म करते हैं, तो आप उनके एलर्जी और एंडोटोक्सीन दोनों को खत्म कर देते हैं। केवल कुछ तिलचट्टों की संख्या कम करने से कोई खास फायदा नहीं होता, क्योंकि जो बचे हुए कीट होते हैं, वे लगातार एलर्जी जमा करते रहते हैं।

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आगे के शोध की दिशा

शोध में कहा गया है कि शोधकर्ताओं की योजना है कि अब यह अध्ययन चूहों जैसे अस्थमा के मॉडल जीवों पर किया जाए, ताकि यह समझा जा सके कि तिलचट्टों के एलर्जी और एंडोटोक्सीन मिलकर अस्थमा को और गंभीर तो नहीं बना देते।

शोध पत्र में शोधकर्ताओं के हवाले से कहा गया है कि इस बात की संभावना है कि एलर्जी और एंडोटोक्सीन के बीच ऐसी परस्पर क्रियाएं होती हैं जो अस्थमा के लक्षणों को और बढ़ा देती हैं। हमें इसे वैज्ञानिक रूप से परखना होगा।

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घर की हवा का छिपा दुश्मन

यह शोध इस बात की ठोस पुष्टि करता है कि तिलचट्टे केवल गंदगी नहीं फैलाते, बल्कि वे हमारे घर की हवा में हानिकारक एंडोटोक्सीन और एलर्जी की मात्रा बढ़ाकर स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचाते हैं।

इसलिए, घरों में कीट नियंत्रण केवल सौंदर्य या स्वच्छता का मामला नहीं, बल्कि स्वास्थ्य संरक्षण का एक आवश्यक कदम है। नियमित सफाई, भोजन के अवशेषों को ढक कर रखना और पेशेवर कीट नियंत्रण सेवाओं का उपयोग करके तिलचट्टों को खत्म किया जा सकता है, जिससे न केवल घर साफ रहेगा बल्कि सांस लेने की हवा भी ज्यादा स्वस्थ होगी

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