शहरों में पेड़-पौधों के बीच रहने वाले बच्चों की सेहत और व्यवहार होता है बेहतर

अध्ययन में 6 से 11 वर्ष की आयु के 1,581 बच्चों में शहरी पर्यावरणीय विशेषताओं और स्वस्थ आदतों के बीच संबंध का आकलन किया गया है।
शहरों में पेड़-पौधों के बीच रहने वाले बच्चों की सेहत और व्यवहार होता है बेहतर
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अधिक वनस्पति वाले शहरी इलाके और जहां जनसंख्या तथा सड़कों का जाल कम होता है वहां रहने वाले बच्चों के स्वास्थ्य के साथ उनका व्यवहार भी बेहतर होता है। इस बात का पता बार्सिलोना इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ (आईएस ग्लोबल) के नेतृत्व में किए गए एक अध्ययन में लगाया गया है।

विशेष रूप से अध्ययन में पाया गया कि जो बच्चे अधिक प्राकृतिक स्थानों से घिरे रहते हैं, वे शारीरिक रूप से अधिक सक्रिय होते हैं, वे अधिक शारीरिक गतिविधि वाली कामों में ज्यादा समय बिताते हैं, अधिक घंटे सोते हैं और उनके चलने या साइकिल से स्कूल जाने की संभावना अधिक होती है।

आज तक किए गए अधिकांश अध्ययनों ने वयस्कों पर शहरी पर्यावरण के प्रभाव पर गौर किया है और इसमें अन्य कारणों को ध्यान में रखे बिना केवल एक ही प्रकार के खतरों पर विचार किया है। यह नया अध्ययन छह यूरोपीय समूहों से 6 से 11 वर्ष की आयु के 1,581 बच्चों में शहरी पर्यावरणीय विशेषताओं और स्वस्थ आदतों की एक विस्तृत श्रृंखला के बीच संबंध का आकलन करता है।

अध्ययन इस बात का भी पता लगता है कि शहरी वातावरण बच्चों में बुरे व्यवहार को बढ़ाने के लिए कैसे योगदान देता है और क्या शहरी डिजाइन में बदलाव से स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है।

विश्लेषण करने के लिए, शोधकर्ताओं ने बच्चों के घरों और स्कूलों के पास शहरी वातावरण की 32 विशेषताओं का अनुमान लगाया, जिसमें निकटतम सड़क पर यातायात घनत्व और हरे-भरे स्थानों या नीले स्थानों (समुद्र तट, नदियों, झीलों, आदि) की उपस्थिति शामिल है।

उन्होंने बच्चों की स्वस्थ आदतों के बारे में भी जानकारी एकत्र की, जिसमें मध्यम से जोरदार शारीरिक गतिविधि, स्कूल के घंटों के बाहर शारीरिक गतिविधि, सक्रिय परिवहन (चलना, साइकिल चलाना, आदि) नींद की अवधि और गतिहीन गतिविधियों के साथ-साथ बिताए गए कुल समय शामिल हैं। अध्ययनकर्ताओं ने इन आंकड़ों का उपयोग करके एक मल्टी-एक्सपोज़र मॉडल विकसित किया।

शहरी डिजाइन स्वास्थ्य को किस तरह प्रभावित करता है?

अध्ययन में पाया गया कि सक्रिय परिवहन में वृद्धि और उन जगहों पर गतिहीन गतिविधियों को करने में लगने वाला समय कम हो गया जहां बच्चों को अधिक हरी-भरी जगह के संपर्क में लाया गया था। यह भी पाया गया कि एक सड़क की निकटता से नींद की अवधि में औसतन हर रात 4.80 मिनट की कमी आई।

आईएस ग्लोबल के बचपन और पर्यावरण कार्यक्रम के प्रमुख और अध्ययनकर्ता मार्टीन व्रिजिद ने कहा हमारे निष्कर्ष शहरी नियोजन नीतियों के लिए अहम हैं। उन्होंने कहा हमारे साक्ष्य बच्चों में स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले व्यवहारों में सुधार करने और वयस्कों में स्वास्थ्य को होने वाले बुरे प्रभाव को रोकने के लिए शहरी डिजाइन को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर जोर देते हैं। ऐसी एक रणनीति होनी चाहिए जिसके तहत गलियों में हरे-भरे स्थानों की संख्या और वनस्पति की मात्रा बढ़ाई जाए।

अध्ययनकर्ता व्रिजिद ने कहा हमें और शोध की आवश्यकता है जिसमें अन्य शहरी चीजें शामिल हैं जो बच्चों और किशोरों के व्यवहार के लिए प्रासंगिक हो सकती हैं, जैसे पैदल चलने वाली जगहें और खेल की सुविधाएं जिसमें पिंग-पोंग टेबल, वॉलीबॉल कोर्ट, आदि शामिल है। शहरी वातावरण में इस तरह के बदलाव लोगों की जीवन शैली को कैसे प्रभावित करते हैं, इसका बेहतर आकलन करने के लिए अधिक देशों और जहां अध्ययन कम किए गए ऐसे क्षेत्रों को देखा गया।

अध्ययन में शामिल बच्चों का एक बड़ा हिस्सा 63.6 प्रतिशत, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से सुझाए गए हर दिन कम से कम 60 मिनट जोरदार शारीरिक गतिविधि के वर्तमान सिफारिश को पूरा नहीं करता था। जबकि 58.6 प्रतिशत बच्चों ने हर दिन दो घंटे टीवी देखने या कंप्यूटर या वीडियो गेम खेलने में बिताए थे।

इसके अलावा, जिन इलाकों में परिवहन की व्यवस्था कम थी वहां बच्चे प्रतिदिन औसतन 6.9 मिनट घर से स्कूल जाने में व्यतीत करते पाए गए। यह अध्ययन एनवायरनमेंट इंटरनेशनल नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

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