17 साल के बेटे ने पिता को लीवर दान के लिए सुप्रीम कोर्ट से मांगी इजाजत
17 वर्षीय नाबालिग पार्थसारथी बजाज ने अपने गंभीर रूप से बीमार पिता को अपना लीवर दान करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मांगी है। इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय का कहना है कि यदि इस मुद्दे से जुड़े कानून को देखें तो अंग दान करने वाला बालिग होना चाहिए।
मामले की गंभीरता और तात्कालिकता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 09 सितम्बर 2022 को उत्तरप्रदेश के स्वास्थ्य सचिव को इस बारे में नोटिस जारी किया है। साथ ही शीर्ष अदालत ने नाबालिग लड़के को संबंधित अस्पताल के सामने पेश होने का निर्देश दिया है, जो यह जानने के लिए प्रारंभिक परीक्षण करेगा कि क्या वो बच्चा अंग दान कर सकता है। साथ ही क्या उसके द्वारा किया अंग दान व्यवहार्य होगा, जिसे मंजूरी दी जा सके।
मनमाने ढंग से इंटरनेट बंद करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब
एक जनहित याचिका (पीआईएल) के जरिए सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर ने चार राज्यों जिनमें अरुणाचल प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और पश्चिम बंगाल शामिल थे, में मनमाने ढंग से इंटरनेट बंद करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश उदय उमेश ललित, न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति पामिघनतम श्री नरसिम्हा की पीठ ने केंद्र से इस मुद्दे पर पूछा है कि इस बारे में क्या कोई मानक प्रोटोकॉल है। साथ ही कोर्ट ने केंद्र को इसपर एक हलफनामा दायर करने का भी निर्देश दिया है।
शालिगंगा नाले में 0.343 मीटर प्रति वर्ष की दर से दोबारा जमा हो रहा है तलछट: रिपोर्ट
जम्मू कश्मीर, भूविज्ञान और खनन विभाग ने एनजीटी को सौंपी अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी है कि अदालत के निर्देशानुसार उसने बडगाम के शालिगंगा नाला में तलछट के दोबारा भरने की दर को जानने के लिए अध्ययन किया है।
कोर्ट को दी जानकारी से पता चला है कि तलछट बहाली का यह अध्ययन गार्डे और कोथ्यारी के क्षरण मॉडल का उपयोग करके किया गया है, जोकि इसके लिए सबसे ज्यादा उपयोग की जाने वाली प्रायोगिक विधि है। इसके तहत जीआईएस की मदद से किसी विशेष नदी प्रणाली में जमा होने वाले तलछट की वार्षिक दर को मापा जाता है। साथ ही इस अध्ययन में वाटरशेड, भूमि उपयोग, भूमि कवर, मॉर्फोमेट्री, और बारिश से जुड़े स्थानिक आंकड़ों का उपयोग किया जाता है।
जानकारी मिली है कि शालिगंगा नाले में तलछट के दोबारा भरने की दर 0.343 मीटर प्रति वर्ष है। गौरतलब है कि यह जानने के बाद कि लघु खनिज ब्लॉकों की पुनः पूर्ति को लेकर शालिगंगा नाले पर कोई अध्ययन नहीं किया गया है, एनजीटी ने 12 अगस्त, 2022 को वहां खनन गतिविधियों पर रोक लगा दी थी।
बारनवापारा अभयारण्य की सीमा से दूर खनिजों की खोज कर रही है वेदांता
वेदांता ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को सौंपी अपनी रिपोर्ट में आश्वासन दिया है कि कंपनी किसी भी पर्यावरण और वन क्षरण का कारण नहीं बनेगी। न ही उस क्षेत्र में पारिस्थितिकी को बाधित किया जाएगा। मामला छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले का है।
रिपोर्ट में वेदांता ने कोर्ट को जानकारी दी है कि उसे जिस क्षेत्र में पूर्वेक्षण का लाइसेंस मिला है वो बारनवापारा अभयारण्य और पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र की सीमा से दूर स्थित है।
वेदांता लिमिटेड ने कोर्ट को जानकारी दी है कि उसे 144.6 हेक्टेयर वाले बघमारा गोल्ड कम्पोजिट साइट, डिवीजन नंबर 254 के सम्बन्ध में पूर्वेक्षण और अन्वेषण के लिए वन मंजूरी मिली है। इसमें किसी खनन गतिविधियों के लिए मंजूरी नहीं दी गई है।
वर्तमान में इस क्षेत्र में खनन के लिए कोई संसाधन नहीं मिले हैं। साथ ही यहां वेदांता ने कोई पूर्वेक्षण, ड्रिलिंग शुरू नहीं की है। चूंकि इस क्षेत्र में कोई पूर्वेक्षण ड्रिलिंग गतिविधियां शुरू नहीं हुई है, इसलिए क्षेत्र में वनस्पतियों और जीवों को नुकसान का कोई सवाल ही नहीं है।