देश में आर्थिक आधार पर 18 से 44 आयु वर्ग के लिए टीकाकरण अभियान की शुरुआत करने वाले राज्य छत्तीसगढ़ ने इसे अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया है। पांच दिन पहले (30 अप्रैल को) रायपुर जिला अस्पताल में मोवा की मीना वर्मा को अन्त्योदय वर्ग के तहत पहला टीका लगाया गया था। अब इस टीकाकरण अभियान पर ग्रहण लगने से 18 से 44 आयु वर्ग में आने वाले अनुमानित 1.35 करोड़ को झटका लग सकता है।
नए कोविड टीकाकरण मुहिम के तहत राज्य सरकार ने तय किया था कि शुरुआत में टीकाकरण सिर्फ उन्हीं लोगों का किया जाएगा जिनका नाम अनिवार्य रूप से अंत्योदय कार्ड या फिर बीपीएल कार्ड में दर्ज हो। इस पर आपत्ति दर्ज करते हुए छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के नेता अमित जोगी एवं अन्य लोगों ने बिलासपुर हाई कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की थी।
याचिका पर संज्ञान लेते हुए हाई कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार को फटकार लगाई थी और पूछा था कि सिर्फ अंत्योदय या फिर बीपीएल कार्ड वालों को 18+ आयु वर्ग वाले को किस आधार पर वैक्सीन दी जा रही है इसको लेकर सरकार संतोषजनक उत्तर नहीं दे सकी थी। इसके बाद हाईकोर्ट ने सरकार को 7 मई, 2021 को एक वैकल्पिक नीति और व्यवस्था के साथ सरकार को कोर्ट में पेश होने को कहा था।
उच्च न्यायालय ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि बीमारी अमीरी या गरीबी देखकर नहीं आती है। इसलिए वैक्सीन भी इस नजरिए से नहीं लगाई जा सकती। उच्च न्यायालय ने स्वास्थ्य विभाग के आदेश को गलत बताते हुए एक स्पष्ट पॉलिसी बनाने का निर्देश दिया था।
इसके बाद टीकाकरण स्थगित करने को लेकर स्वास्थ्य विभाग के उप सचिव सुरेंद्र सिंह बाघे ने 05 मई को एक आदेश जारी किया जिसमें कहा गया है कि
“छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने स्वत: संज्ञान याचिका पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को एक निर्देश दिया है। इसके मुताबिक स्वास्थ्य विभाग से 30 अप्रैल को जारी टीकाकरण में अन्त्योदय बीपीएल और एपीएल के आधार पर प्राथमिकता तय करने वाले आदेश को संशोधित करने को कहा गया है। उच्च न्यायालय ने कहा कि इन वर्गों में टीकाकरण के अनुपात का निर्धारण कमजोर वर्गों, उनमें संक्रमण फैलने की संभावना और पात्र व्यक्तियों की संभावित संख्या के आधार पर होना चाहिए। इसका निर्धारण भी राज्य सरकार को करना है। इस अनुपात के निर्धारण में सरकार को कुछ समय लग सकता है। इस बीच अगर केवल अन्त्योदय राशन कार्ड वालों को टीका लगाया गया तो इसे उच्च न्यायालय की अवहेलना माना जा सकता है। ऐसे में 30 अप्रैल के आदेश में संशोधन किए जाने तक 18 से 44 वर्ष आयु वर्ग के लोगों का टीकाकरण स्थगित किया जाता है।“
ऐसे में टीकाबंदी को लेकर राज्य सरकार के आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि टीकाकरण में प्राथमिकता का वाजिब कारण खोजने के लिए सरकार को समय चाहिए, जब तक सचिवों की समिति यह तय करेगी टीकाकरण नहीं होगा। हालांकि स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के मुताबिक राज्य सरकार ने मुख्य सचिव अमिताभ जैन की अध्यक्षता में सचिवों की एक उच्च स्तरीय समिति गठित कर ली है।
राज्य सरकार की दलील
राज्य सरकार ने हाईकोर्ट को बताया था कि 75 लाख वैक्सीन के आर्डर के विपरीत मात्र 1.5 लाख डोज वैक्सीन 30 अप्रैल को पहुंची। ऐसे में भीड़ और अफरा-तफरी के माहौल से बचने के को ऐसी नीति बनानी पड़ी थी। दूसरी बात इंटरनेट और फोन की सुविधा यहां तक को-विन पोर्टल पर प्रत्येक गरीब रजिस्ट्रेशन नहीं करवा सकता है अतः सरकार ने ऐसा निर्णय लिया। इस पर अमित जोगी सहित कई लोगों ने उच्च न्यायालय में इसे भेदभाव और आरक्षण बताते हुए चुनौती दी थी।
हाईकोर्ट के आदेश को गलत तरीके से पेश
अमित जोगी ने कहा हाईकोर्ट की मंशा है कि आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के साथ-साथ बाकी सभी को भी टीका लगना चाहिए क्योंकि सबको जीने का समान अधिकार है। किंतु देर रात इस मंशा के विपरीत स्वास्थ्य विभाग ने 18-44 आयु वर्ग के टीकाकरण पर रोक लगा देने का फरमान निकाल दिया। अमित जोगी ने आरोप लगाया छत्तीसगढ़ सरकार ने हाई कोर्ट को जनता के समक्ष खलनायक बनाने की गलत नियत से यह फैसला लिया है। यह न्यायालय की अवमानना की परिधि में आता है।
युवाओं में अधिक संक्रमण
छत्तीसगढ़ एपिडेमिक कंट्रोल के निदेशक डॉ. सुभाष मिश्रा ने डाउन टू अर्थ को बताया पहले के तुलना में इस बार का कोविड वायरस युवाओं को भी अपनी चपेट में ले रहा है। फिलहाल इसे आंकड़ों में कहना मुश्किल है।वहीं, राज्य के नोडल अधिकारी (कोरोना) डॉ. धर्मेंद्र बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में कोविड वायरस के प्रसार में काफी तेजी आया है और डेथ रेट करीब 1-1.2 प्रतिशत तक रहता है। इससे बचने के उपाय हैं कोविड प्रोटोकॉल का पालन करें और वैक्सीनेशन करवाएं।
राज्य में 05 मई तक स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक 802643 कोविड संक्रमित मिले जबकि 9738 लोगों की इससे मृत्यु हो चुकी है। हालांकि वास्तविक आंकड़ा इससे काफी अधिक हो सकता है।