छत्तीसगढ़: रहस्यमय बीमारी से एक ही गांव के आठ आदिवासियों की मौत, प्रशासन सचेत

छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के धनीकोड़ता गांव में एक महीने से लोग बीमार हो रहे हैं और अब तक दो बच्चों समेत आठ आदिवासियों की मौत हो चुकी है
किस बीमारी से लोगों की मौत हो रही है, इसकी जांच शुरू हो गई है।  फोटो- पवन साहा
किस बीमारी से लोगों की मौत हो रही है, इसकी जांच शुरू हो गई है। फोटो- पवन साहा
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छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के धनीकोड़ता गांव में एक रहस्यमयी बीमारी के कारण लगातार मौतें हो रही हैं, जिससे ग्रामीणों में भय का माहौल है। प्रशासन ने अब तक 8 मौतों की पुष्टि की है, लेकिन इन सभी की वजह अलग-अलग बीमारियां बताई जा रही हैं।

यह गोंड़ आदिवासी बहुल गांव है, जो सुकमा जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर ओडिशा बॉर्डर पर स्थित है और इसकी कुल आबादी 620 है। एक महीने पहले यहां मौतों का सिलसिला शुरू हुआ। ग्रामीणों का कहना है कि पहले पीड़ितों को हाथ-पैर, पेट और कमर में तेज दर्द होता है, फिर शरीर में सूजन आ जाती है। दर्द बढ़ने के कुछ दिनों बाद उनकी मौत हो जाती है।

मीडिया के माध्यम से जब यह खबर प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग तक पहुंची, तो विभाग ने गांव में स्वास्थ्य शिविर लगाया। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, ग्रामीणों में सर्दी, खांसी और बुखार के लक्षण भी देखे गए हैं।

सुकमा के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कपिल कश्यप ने पत्रकारों को बताया कि ग्रामीण आमतौर पर अस्पताल नहीं जाते और पारंपरिक झाड़-फूंक व देसी इलाज पर निर्भर रहते हैं। अब स्वास्थ्य विभाग की टीम गाँव पहुँचकर उन्हें अस्पताल जाने के लिए जागरूक कर रही है।

पिछले तीन दिनों से गांव में कैंप लगाकर ग्रामीणों की जांच की जा रही है। अब तक 100 से अधिक लोगों की जांच हो चुकी है, जिनमें से 9 ग्रामीण मलेरिया से पीड़ित पाए गए हैं। इसके अलावा, चेचक और पीलिया की भी आशंका जताई जा रही है।

संभावित कारण

यह समय आदिवासी इलाकों में महुआ फूल बीनने का होता है, जिसके चलते लोग दिनभर जंगल में रहते हैं। इसके कारण डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) की समस्या भी सामने आई है। प्रशासन ने ग्रामीणों को ओआरएस के पैकेट वितरित किए हैं।

स्थानीय पत्रकार पवन शाहा के अनुसार, यह एक दूरस्थ गांव है जहां स्वास्थ्य विभाग की बेसिक टीम नियमित रूप से नहीं पहुंच पा रही थी। लेकिन अब स्वास्थ्य टीम वहां पहुंच गई है, और प्रभावित लोगों के नमूने जांच के लिए जगदलपुर भेजे गए हैं।

लगातार हो रही मौतों के कारण गांव में दहशत बनी हुई है। प्रशासन की सक्रियता के बावजूद ग्रामीणों में चिंता बनी हुई है। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि आवश्यक जांच के बाद संदिग्ध मरीजों को अस्पताल भेजा जा रहा है।

स्वास्थ्य विभाग के फील्ड सुपरवाइजर राजेश सोनी के अनुसार, अब तक 60-70% ग्रामीणों की जांच हो चुकी है, लेकिन किसी विशेष बीमारी की स्पष्ट पहचान नहीं हो पाई है। कुछ लोगों में मलेरिया, कमजोरी और हाथ-पैर में दर्द की शिकायतें पाई गई हैं।

सरकार और स्वास्थ्य विभाग के लिए यह जरूरी हो गया है कि इस बीमारी की सटीक पहचान कर जल्द से जल्द ग्रामीणों को राहत दी जाए। गाँव में लगातार स्वास्थ्य निगरानी रखी जा रही है, लेकिन मौतों के पीछे की असली वजह अभी भी स्पष्ट नहीं हो पाई है।

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